एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा मंत्र के गुरू बाबा फुलसंदे वाले महाराज का द्विदिवसीय दिव्य सत्संग हुआ प्रारम्भ

त्रेता युग में बदायूं वेदामऊ के नाम से जाना जाता था : बाबा फुलसंदे वाले

भास्कर समाचार सेवा

बदायूँ। एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा मंत्र के गुरू बाबा फुलसंदे वाले महाराज का द्विदिवसीय दिव्य सत्संग गुरुद्वारा हाल निकट शक्ति टैंट हाउस में प्रारम्भ हुआ। समिति द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय सत्संग के पहले दिन सतपुरुष बाबा फुलसंदे वालो ने कहा बदायूँ वेदों की धरती त्रेता युग से रही है, संत महापुरूषों ने बदायूँ को ही वेदों का केन्द्र बताया। त्रेतायुग में इसी कारण बदायूँ को वेदामऊ के नाम से जाना जाता था।
उन्होंने कहा कि बदायूँ के निकट ऊष्नापुरी जिसको वर्तमान में उसावां नाम से जाना जाता है यहाँ वृषपर्वा नाम के राजा राज करते थे, जिनके राजपुरोहित शुक्राचार्य थे, जिनकी बेटी वेदयानी का विवाह राजा ययाति के साथ हुआ, जिसके साक्ष्य ग्राम नबीगंज में आज भी इस बात को प्रमाणित करते हैं। उन्होंने बताया कि ययाति के पुत्र राजा यदु हुए, जिनके नाम से यदुवंश प्रारम्भ हुआ और आगे चलकर द्वापर युग में इसी यदुवंश में भगवान कृष्ण ने जन्म लिया। उन्होंने बताया कि जिस स्थान पर भगवान शिव ने शुक्राचार्य को मृतसंजीवनी मंत्र दिया| वह स्थान वर्तमान में पटना देवकली के नाम से जाना जाता है।शुक्राचार्य, राजा ययाति और नहुष के मंत्र आज भी सामवेद में वर्णित हैं। तत्पश्चात बाबा फुलसंदे वालो ने यदुवंश के बारे में प्रवचन के माध्यम से विस्तार से बताया। प्रवचन से पहले प्रमोद कुमार शर्मा, मोहन स्वरूप गुप्ता, ब्रजेश कुमार चौहान, नीरज शर्मा, सरिता चौहान, रंजीत राठौर, हरनाम दास, के.के साहू, अशोक सक्सेना, सुधीर सक्सेना, एम.पी. शर्मा व कार्यक्रम के मुख्य आयोजक साहित्यकार अशोक खुराना आदि ने बाबा फुलसंदे वालो का फूलमालाएँ पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर जगदीश धींगड़ा, राम सेवक चौधरी, स्वतंत्र गुप्ता, डी.के. चड्डा, शिवस्वरूप गुप्ता, सन्तोष सक्सेना, गुलशन गांधी, जितेन्द्र साहू, राजीव भारद्वाज, निर्वेन्द्र गुप्ता, आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन कामेश पाठक ने किया।

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