राजस्थान में किसानों ने फिर शुरू किया जमीन समाधि सत्याग्रह, सामने आया ये वीडियो

जयपुर। सीकर रोड पर जेडीए की नींदड़ आवासीय योजना का फिर विरोध शुरू हो गया है। नींदड़ बचाओ संघर्ष समिति ने नए भूमि अधिग्रहण के तहत मुआवजा देने सहित कई मांग को लेकर जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया। कुछ लोग ही मौके पर ही गड्ढा खोद अदृर्ध समाधि के रूप में बैठ गए और विरोध शुरू कर दिया। इस बीच बड़ी संख्या में महिलाएं भी साथ हैं। समिति के नगेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि कई वर्षों से नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा देने की मांग की जाती रही है,

लेकिन हर बार आश्वासन देकर टरकाया जाता रहा है। जबकि, इस मामले में तत्कालीन नगरीय विकास मंत्री ने आश्वास्त भी किया था। इसके बावजूद जेडीए ने नए सिरे से कार्यवाही शुरू नहीं की। उन्होंने कहा अब आंदोलन उसी समय खत्म होगा, जब किसान-काश्तकारों की मांग ली जाती है। हालांकि, मौके पर जेडीए अधिकारी भी पहुंचे लेकिन कुछ असर नहीं हुआ। उधर, जेडीए प्रशासन का दावा है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था और कोर्ट ने 4 सितम्बर, 2018 को ही प्रभावित व समिति की याचिका को खारिज कर चुका है। ऐसे में अब जमीन लेने में किसी तरह की दिक्कत नहीं है।

गौरतलब है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में भी लोगों ने इसी तरह कई दिनों तक आंदोलन किया था, जो 44 दिन तक चला था। बाद में पुलिस और जेडीए प्रशासन ने मिलकर लोगों को वहां से हटाया। कई आंदोलनकारियों के खिलाफ मामला भी दर्ज। अब वही स्थिति फिर बन रही है।

गड्ढे में बैठ लोगों को पानी पिलाते रहे
मौके पर नगेन्द्र सिंह शेखावत, समिति अध्यक्ष कैलाश बोहरा व सीताराम शर्मा जमीन के भीतर बैठे हैं। इस दौरान कंधे से नीचे तक के शरीर को मिट्टी में दबा दिया गया। इन लोगों को पानी पिलाने के लिए लोग आगे आते रहे। इस बीच जेडीए और सरकार विरोध नारेबाजी चलती रही। यहां एतिहातन पुलिसकर्मी भी पहुंचे।

प्रभाावितों यह है तर्क
-प्रभावितों का तर्क है कि यहां अवाप्ति के लिए 31 मई, 2013 को अवार्ड जारी किया गया था। जबकि, नया भूमि अधिग्रहण कानून 1 जनवरी, 2013 को ही लागू हो गया था। ऐसे में नए भूमि अवाप्ति कानून के तहत मुआवजा दिया जाए।
-पृथ्वीराज नगर मामले में भी अवाप्ति मुक्त किया गया था। नींदड़ योजना में भी सरकार ऐसा चाहे तो आसानी से कर सकती है।
-ज्यादार प्रभावित किसान-काश्तकारों ने अभी तक जमीन सरेंडर नहीं की है। जेडीए की ओर से भ्रम फैलाया जा रहा है कि प्रभावितों की रजामंदी से जमीन सरेंडर कर दी गई है।

जयपुर विकास प्राधिकरण का तर्क
-जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है। ऐसे में इसे निरस्त नहीं किया जा सकता है।
-प्रभावित लोग सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे थे लेकिन ने 4 सितम्बर, 2018 को ही याचिका खारिज कर दी थी। इससे जमीन पर कब्जा लेने में किसी तरह की दिक्कत नहीं है। इसके बावजूद लोग विरोध पर उतारू हैं, जो कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।
-ज्यादातर प्रभावितों ने जमीन सरेंडर कर दी है और बाकी किसान-काश्तकार भी इसके लिए रजामंद हैं लेकिन कुछ लोग इन्हें भ्रमित कर रहे हैं।

यह है स्थिति
– 327 हैक्टेयर जमीन है आवासीय योजना में
– 204 हैक्टेयर जमीन अब तक हुई सरेंडर
– 123 हैक्टेयर जमीन का समर्पण बाकी है

-सरकार चाहे तो प्रभावितों को नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा दे सकती है, लेकिन अफसर गुमराह कर रहे हैं। पिछली सरकार में भी धोखा हुआ था पर अब मौके से तब ही उठेंगे जब सरकार सुनेगी। कांग्रेस सरकार में ही नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू हुआ था इसलिए उम्मीद है कि जल्द समाधान होगा। -नगेन्द्र सिंह शेखावत, नींदड़ बचाओ संघर्ष समिति

-जमीन अवाप्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह विरोध सही नहीं है। यहां तक की सुप्रीम कोर्ट ने भी इनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बावजूद किसान-काश्तकारों को गुमराह किया जा रहा है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना है। ज्यादातर प्रभावित किसान-काश्तकार जमीन सरेंडर कर चुके हैं और बाकी भी तैयार हैं। नियम-कायदों के तहत कार्यवाही कर रहे हैं। -मनीष फौजदार, उपायुक्त, जेडीए

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें

थाईलैंड – कंबोडिया सीमा विवाद फिर भड़का तारा – वीर ने सोशल मीडिया पर लुटाया प्यार हिमाचल में तबाही, लापता मजदूरों की तलाश जारी न हम डरे हैं और न यहां से जाएंगे एयर इंडिया विमान हादसे पर पीएम मोदी की समीक्षा बैठक