फतेहपुर: यमुना पुल पर जानलेवा गड्ढे, सुरक्षा रेलिंग भी ध्वस्त

दैनिक भास्कर ब्यूरो

फतेहपुर । बाँदा टांडा नेशनल हाइवे के यमुना नदी पर बना पुल मोरंग के ओवरलोड वाहनों की धमाचौकड़ी से एक बार फिर क्षतिग्रस्त होता नजर आ रहा है। लगभग 1980 में पीब्ल्यूडी व सेतु निगम के द्वारा निर्मित यह पुल सरकारी रखरखाव व उदासीनता का शिकार हो रहा है। निर्माण के बाद कई बार पुल क्षतिग्रस्त हुआ। जिसकी मरम्मत का कार्य सेतु निगम ने किया, परंतु अब बांदा-टांडा मार्ग नेशनल हाईवे हो जाने के कारण इस मार्ग का अधिकार एनएचआई रायबरेली के पास सुरक्षित है। कंक्रीट चटकने से जगह-जगह सरिया दिख रही है। पुल की जालियां जाम होने से जल निकास पूर्णतया अवरुद्ध है। यदि जिम्मेदारों ने इसका ध्यान नहीं दिया तो पुल में हुए गढ्ढे बडे हादसे का सबब बन सकते है।

मुख्यमंत्री का गड्ढामुक्त अभियान जिले में फेल

गौरतलब हो कि बांदा-टांडा राष्ट्रीय राजमार्ग पर दतौली गांव के पास यमुना नदी में वर्ष 1980 में निर्मित पुल का उदघाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री ने दोनों जनपदों के बीच आर्थिक कॉरिडोर के रूप में देखा था, यह पुल बांदा और फतेहपुर जनपद सहित चित्रकूटधाम मंडल को जोड़ता पहला पुल था। निर्माण के बाद वर्षों से बालू और गिट्टी के ओवरलोड हैवी वाहन इसी पुल से गुजर रहे हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि यह पुल सदा से सरकारी उदासीनता का शिकार रहा है, वर्तमान समय में पुल गिट्टी व मोरम सहित छोटे-बड़े वाहनों का रोजाना भार सहता है।

चार दशक पुराना यमुना पुल मांग रहा मरम्मत

जिस कारण पुल में जगह-जगह सरिया दिख रहीं है। बीते सप्ताह पुल की रेलिंग टूट गई थी, जिसका मरम्मतीकरण एनएचआई ने नहीं करवाया। रोजाना निकलने वाले यात्रियों ने बताया कि बीते सप्ताह पुल पर मरम्मत का काम शुरू हुआ था। परंतु मौके पर आई टीम खानापूर्ति कर चली गई। जबकि इस पुल पर कई जगह छोटे-बड़े गढ्ढे मौत का सबब बने हुए हैं। रेलिंग टूटने से यात्रियों के गिरने का भय बना हुआ है। पुल पर मरम्मतीकरण का कार्य करना अति आवश्यक है। जिससे आने जाने वाले राहगीरो के लिए यात्रा सुगम हो सके।

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