पहला मामला : गर्भ तक पहुंचा कोरोना का खतरा, गर्भवती महिला के पेट में पल रहे बच्चे तक पहुंचा संक्रमण

पुणे. कोरोना महामारी से परेशान दुनिया के लिए और चिंताजनक खबर है। अभी तक सुरक्षित मानी जा रही मां की कोख भी शिशु के लिए सुरक्षित नहीं है। देश में अपनी तरह का यह मामला पुणे में सामने आया है। यहां डिलीवरी के बाद मां की रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आई जबकि बच्ची पॉजिटिव पाई गई। डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची गर्भ में ही संक्रमित हो गई थी। चिकित्सकीय भाषा में इसे वर्टिकल ट्रांसमिशन कहते हैं। उपचार के बाद ब’ची ठीक हो गई है। अस्पताल से मां-बेटी घर भेज दी गई हैं। यह डिलीवरी ससून जनरल हॉस्पिटल में हुई थी, जिस पर बीजे मेडिकल कॉलेज (बीजेएमसी) के डॉक्टरों ने शोध पेपर तैयार किया है। यह शोध पत्र जल्दी ही अमरीका के प्रतिष्ठित जनरल में प्रकाशित होगा।


मां के कोख में पल रहे ब’चे पर कोरोना अटैक को लेकर दुनिया भर में बहस चल रही है। भारत में अभी तक यही माना रहा था कि शिशु के लिए मां की कोख सुरक्षित है। बीजेएमसी के शोधकर्ताओं ने कहा, अब यह साबित हो गया है कि गर्भ में पल रहे शिशु को भी मां से कोरोना का संक्रमण हो सकता है। उल्लेखनीय है कि कोरोना काल के दौरान मुंबई सहित देश भर में हजारों संक्रमित गर्भवतियों की डिलीवरी हुई है। जन्म के बाद अधिकांश बच्चों की रिपोर्ट निगेटिव आई। जिन ब’चों की रिपोर्ट पॉजिटिव मिली, अब तक यही माना जा रहा था कि उनमें जन्म के बाद संक्रमण हुआ है।

जून में डिस्चार्ज
बीजेएमसी और ससून हॉस्पिटल के डीन डॉ. मुरलीधर तांबे ने कहा, यह तो पहले से साबित हो गया है कि जीका और एचआईवी वायरस का गर्भस्थ शिशु में मां से वर्टिकल ट्रांसमिशन होता है। भारत में यह अपना तरह का पहला मामला है। जन्म के बाद तीन हफ्ते तक हमने ब’ची का उपचार आईसीयू में किया। स्वस्थ होने पर जून में यह ब’ची मां के साथ घर भेजी गई।

गंभीर थी हालत
बीजेएमसी में प्रोफेसर और ससून हॉस्पिटल के बाल रोग विभाग की प्रमुख डॉ. आरती किणीकर ने बताया, गर्भ में बच्ची के संक्रमित होने और डिलीवरी के बाद उसके उपचार पर हमने रिसर्च किया है। यह रिसर्च पेपर प्रतिष्ठित अमरीका जनरल में प्रकाशित होगा। जन्म के बाद बच्ची की हालत गंभीर थी। इसे हमने चुनौती के रूप में लिया। हम खुश हैं कि ब’ची स्वस्थ है।

प्रसूता में संक्रमण के लक्षण
डॉ. किणीकर ने बताया कि हडपसर क्षेत्र की एक 22 वर्षीय महिला की डिलीवरी मई के आखिरी सप्ताह में कराई गई। डिलीवरी से एक दिन पहले उसे बुखार हुआ था। आरटी-पीसीआर टेस्ट में उसकी रिपोर्ट निगेटिव आई। लेकिन, एंटीबॉडी टेस्ट में पता चला कि वह संक्रमित थी। हमने प्रसूता के गर्भनाल और प्लेसेंटा की जांच कराई, जिसमें संक्रमण के लक्षण मिले।