मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का लंबी बिमारी के बाद निधन, भाजपा में शोक की लहर

वरिष्ठ भाजपा नेता एवं मध्य प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का बुधवार सुबह 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से बिमार थे और भोपाल एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। गौर को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिस कारण उन्हें पिछले 15 दिन से वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। इसके अलावा उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। इससे पहले दिल्ली स्थित मेदांता अस्पताल में उनकी एंजियोप्लास्टी की गई थी। दिल्ली से गौर पिछले महीने की 27 तारीख को भोपाल लौटे थे।
बाबूलाल गौर के निधन से भाजपा में शोक की लहर छा गई है। दोपहर दो बजे सुभाष नगर विश्राम घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। इसके पहले दोपहर 12 बजे भाजपा कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए उनकी पार्थिव देह को रखा जाएगा।

बाबूलाल गौर का राजनीतिक सफर:

बाबूलाल गौर का जन्म दो जून,1930 को उत्तर प्रदेश के प्रतापनगर जिला में हुआ था। बाबूलाल गौर का भाजपा के नेता के रूप में मध्यप्रदेश की राजनीति में प्रमुख स्थान रहा। 23 अगस्त,2004 से 29 नवंबर,2005 तक वे मप्र के मुख्यमंत्री रहे। गौर पहली बार 1974 में भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने गए थे। उन्होंने 1977 में गोविन्दपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और वर्ष 2003 तक वहां से लगातार सात बार विधानसभा चुनाव जीते। बीए और एलएलबी डिग्रीधारी गौर पहली बार 1974 में भोपाल दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में निर्दलीय विधायक चुने गए थे। उन्होंने 1977 में गोविन्दपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और वर्ष 2013 तक वहां से लगातार 10 बार विधानसभा चुनाव जीते। 2018 के चुनाव में पार्टी ने उनकी जगह उनकी बहू कृष्णा गौर को टिकट दिया था। कृष्णा गौर गोविंदपुरा से पहली बार विधायक बनी हैं।

अपना ही कीर्तिमान तोड़ा:

वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में 59 हजार 666 मतों के अंतर से विजय प्राप्त कर बाबूलाल गौर ने कीर्तिमान रचा था और 2003 के विधानसभा चुनाव में 64 हजार 212 मतों के अंतर से विजय पाकर अपने ही कीर्तिमान को तोड़ा। वे सात मार्च,1990 से 15 दिसंबर,1992 तक मप्र के स्थानीय शासन, विधि एवं विधायी कार्य, संसदीय कार्य, जनसंपर्क, नगरीय कल्याण, शहरी आवास तथा पुनर्वास एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत मंत्री रहे।
गौर चार सितंबर,2002 से सात दिसंबर,2003 तक मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। बाबूलाल गौर सन् 1946 से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने दिल्ली तथा पंजाब आदि राज्यों में आयोजित सत्याग्रहों में भी भाग लिया था। गौर आपातकाल के दौरान 19 माह की जेल भी काटी।

भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्य थे

1974 में मध्य प्रदेश शासन द्वारा बाबूलाल गौर को ‘गोवा मुक्ति आंदोलन’ में शामिल होने के कारण ‘स्वतंत्रता संग्राम सेनानी’ का सम्मान प्रदान किया गया था। सक्रिय राजनीति में आने से पहले बाबूलाल गौर ने भोपाल की कपड़ा मिल में नौकरी की थी और श्रमिकों के हित में कई आंदोलनों में भाग लिया था। वे भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक सदस्य थे।

शिवराज ने लिखा भावुक संदेश, कहा- बाबूलाल गौर अपने परिश्रम से शून्य से शिखर तक पहुंचे

मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के निधन का समाचार मिलने के बाद प्रदेश भर में भाजपा में शोक की लहर है। हर कोई अपने चहेते राजनेता को श्रद्धांजलि दे रहा है। लंबी बिमारी के बाद बुधवार को बाबूलाल गौर ने अंतिम सांस ली। दोपहर 12 बजे भाजपा कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए उनकी पार्थिव देह को रखा जाएगा। इसके बाद दोपहर 2 बजे सुभाष नगर विश्राम घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज सिंह चौहान ने भी बाबूलाल गौर के निधन पर गहरा दुख जताते हुए ट्वीट पर भावुक संदेश लिखा है।

शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर बाबूलाल गौर के निधन पर गहरा दुख जताते हुए शोक व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने कहा कि गौर को सदा याद रखा जाएगा। शिवराज ने ट्वीट कर लिखा ‘मध्यप्रदेश की राजनीति में एक युग की समाप्ति। @BJPyMP के आधार स्तंभ, पूर्व मुख्यमंत्री, हमारे मार्गदर्शक व जन-जन के नेता बाबूलाल गौर के निधन से दुखी हूं। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें व परिजनों को इस गहन दुख को सहने की क्षमता प्रदान करें। ॐ शांति’। आदरणीय बाबूलाल गौर को सत्य के लिए लड़ने वाले सिपाही और मज़दूरों, गरीबों व कमज़ोर वर्ग के हितों के रक्षक के रूप में सदैव याद किया जाएगा। गोवा मुक्ति आंदोलन से लेकर आपातकाल तक में पुलिस की लाठियों का निडरता से सामना करने वाले नायक युगों युगों तक हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

अपने संदेश में आगे शिवराज ने लिखा कि ‘आदरणीय बाबूलाल गौर जी अपने परिश्रम के बल पर शून्य से शिखर पर पहुंचे। 1974 में जब वे चुनाव में खड़े हुए, तब मैंने उनके लिए काम किया, एक तरह से तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई। आपातकाल के समय उनका सानिध्य मिला, जेल के माहौल को मज़ाकिया अंदाज़ में हल्का करने की वे कोशिश करते। किसी विधानसभा क्षेत्र का विकास करना सीखना हो तो बाबूलाल गौर जी से सीखें। गोविंदपुरा क्षेत्र से उन्होंने चुनाव जीतना प्रारंभ किया तो पीछे मुड़कर नहीं देखा, एक ही क्षेत्र से इतने बार जीतकर उन्होंने एक रिकॉर्ड बनाया। यह जनता की सेवा और जनता के प्रति उनके समर्पण से ही संभव हो सका। ऐसे जनसेवक और संघर्ष के पर्याय रहे आदरणीय बाबूलाल गौर जी के चरणों में मैं अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

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