गोरखपुर : बीआरडी मेडिकल कॉलेज पर एनजीटी ने 5 करोड़ जुर्माना ठोंका

गोपाल त्रिपाठी 
गोरखपुर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज पर पांच करोड़ का जुर्माना लगाया है। ट्रिब्यूनल ने यह कार्रवाई चिकित्सीय कचरे के निस्तारण में लापरवाही पर की है। इसकी पुष्टि प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने की है।
 प्रदूषण नियंत्रण विभाग के मुताबिक बीआरडी में 911 बेड हैं। हर बेड पर भर्ती मरीजों से रोजाना औसतन 500 ग्राम संक्रमित कचरा निकलता है। ऐसे में रोजाना करीब 450 किलोग्राम संक्रमित कचरा निकल रहा है। इसमें एचआईवी, हेपेटाइटिस, कैंसर और टीबी व संक्रामक बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के साथ ही सामान्य मरीजों के ऑपरेशन व इलाज के दौरान खून से सनी रूई, गाज-पट्टी, आईवी सेट, ड्रिप सेट, ग्लूकोज की बोतल,ग्लब्स, पैथोलॉजी में खून व पेशाब की जांच करने वाले वॉयल, इंजेक्शन, सुई शामिल है। सूत्रों की माने तो कैंपस के आसपास के एक दर्जन निजी अस्पतालों का संक्रमित कचरा भी बीआरडी में डंप हो रहा है।
इसके लिए अस्पताल संचालक बीआरडी में इंट्री के वैकल्पिक रास्तों का प्रयोग कर रहे हैं। इसकी भनक भी प्रदूषण नियंत्रण विभाग को लगी है। विभाग की टीम ने पिछले वर्ष जून में बीआरडी परिसर की जांच की। टीम को जगह-जगह संक्रमित कचरे के ढेर मिले। कूड़ा निस्तारण करने वाला इंसीनिरेटर खराब मिला। इस पर टीम ने नोटिस जारी किया लेकिन कालेज प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में गठित एनजीटी की स्पेशल टीम ने भी अक्तूबर में कालेज परिसर का निरीक्षण किया। टीम को कैंपस में संक्रमित कचरे का ढेर मिला। इंसीनिरेटर प्लांट के पास ही खुले में संक्रमित कचरा मिला। इसे खुले में जलाया जा रहा था। इंसीनिरेटर के लॉग बुक में गड़बडियां मिली थी।
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ. टीएन सिंह ने बताया कि बीआरडी मेडिकल कालेज में संक्रमित कचरा निस्तारण की प्रक्रिया पटरी से उतर गई है। जांच में कैंपस में कचरा डंप करने के साक्ष्य मिले। मलबा छिपाने के लिए संक्रमित कचरे को जलाने के भी सबूत मिले। इस रिपोर्ट के बाद एनजीटी ने कॉलेज पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

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