दिल्ली चुनावों में हार के बाद अमित शाह ने एक चैनल के माध्यम से पहली बार सार्वजनिक मंच पर आए। यहां अमित शाह ने साफ किया कि कुछ नफरत भरे और भड़काऊ बयानों ने पार्टी की इमेज को खराब किया जिसकी वजह से वोटर्स के बीच एक गलत संदेश गया। CAA और NRC पर घमासान के बीच हुए दिल्ली चुनावों में भाजपा ने CAA को मुद्दा बनाने की कोशिश की थी, जिसके तहत भाजपा ने CAA के पक्ष में कई रैलियाँ आयोजित की थी। इन रैलियों में कुछ भाजपा नेताओं ने ऐसे बयान दिये, जिन्हें वोटर्स ने सकारात्मक दृष्टि से नहीं लिया और पार्टी को उसका नुकसान उठाना पड़ा। अमित शाह ने भी कल इसी बात की ओर इशारा किया।
बता दें कि चुनावी प्रचार के दौरान एक रैली में अनुराग ठाकुर ने लोगों से “देश के गद्दारों को-गोली मारो सालों को” का नारा बुलवाया था। ठाकुर के इस बयान पर जमकर बवाल हुआ था। इसके अलावा भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने एक विवादित ट्वीट कर दिल्ली चुनावों में आम आदमी पार्टी और भाजपा की टक्कर को भारत और पाकिस्तान की लड़ाई का रंग दे दिया था। इस विवादित ट्वीट के बाद चुनाव आयोग ने ट्विटर को मिश्रा का ट्वीट हटाने का आदेश देना पड़ा था।
अमित शाह स्वयं तथ्यों पर बात करने वाले नेता हैं और वे इस तरह के भड़काऊ बयानों से दूर रहना ही पसंद करते हैं। दिल्ली में 6 फरवरी को एक सभा में जब उनके सामने पार्टी के एक कार्यकर्ता ने गोली मारो सालों का नारा लगाने की कोशिश की थी, तो अमित शाह ने उसे डांटते हुए कहा था “बटन दबाओ न भैया, बेवकूफी मत करो”। अमित शाह की इस सीख को बीजेपी के नताओं को गंभीरता से लेना चाहिए। कई बार छोटे स्तर के नेता अपने आप को लाईमलाइट में लाने के लिए ऐसे भड़काऊ बयान दे देते हैं जिसकी वजह से बाद में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता है। दिल्ली में ऐसा ही देखने को मिला। अब भाजपा के नेताओं की ज़िम्मेदारी है कि वह आने वाले चुनावों में ऐसा ना दोहराएँ और अपनी पार्टी की छवि को कोई नुकसान ना पहुंचाए।