
अक्सर हमने ये कहते हुए सुना है कि जो इंसान संघर्ष के दौर से गुजरकर आगे बढ़ते हैं और अपनी मंजिल हासिल करते हैं, उन्हें दूसरों की मेहनत की हमेशा कद्र होती है. उनमें उन लोगों के प्रति संवेदना ज्यादा गहरी होती है, जो संघर्ष कर परिस्थितयों का रुख मोड़ना चाहते हैं. दुनिया में बहुत ऐसे इंसान जिनको वाकई किसी के मेहनत की कदर होती है. संघर्ष के साथ जो इंसान आगे बढ़ता है उसे हमेशा कामयाबी मिलती है.
हम आज संघर्ष की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हमारे समाज में अभी भी कुछ ऐसे लोग मौजूद हैं जो दूसरे के संघर्ष में उनकी मदद करने आगे आते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से,जहां पर अंकिता नाम की एक आईपीएस उन युवाओं की मदद करती हैं जो अपनी ज़िन्दगी में एक मुकाम हासिल करना चाहते हैं और जिनमें कुछ कर गुजरने की ललक है.

अंकिता पूरे हफ्ते भर अपनी ड्यूटी में व्यस्त रहती हैं और रविवार के दिन एक टीचर का रोल अदा करती हैं. उनका ऑफिस ही उनका क्लास रूम बन जाता है. यहां करीब 20- 30 ऐसे युवाओं की कतार लगी रहती है, जो राज्य के अलग-अलग हिस्सों से हैं और जो परीक्षा पास करने के लिए तैयारियों में जुटे हुए हैं. इनमें से ज्यादातर युवा ऐसे हैं जो दिल्ली या किसी बड़े शहर में किसी महंगे कोचिंग संस्थान की फीस नहीं भर सकते. यह सब भले ही साधारण परिवारों से हैं, पर इन सभी की आंखों में असाधारण सपने हैं.

अंकिता का कहना है कि वो छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के एक छोटे से गांव से हैं. अंकिता ने यहां के सरकारी स्कूल से शुरूआती शिक्षा हासिल की. हाईस्कूल के दौरान अंकिता को यह पता चला की जिले के सर्वोच्च प्रशासनिक और पुलिस के पदों पर पहुंचने के लिए यूपीएससी की तैयारी करनी होती है, लेकिन इस सब्जेक्ट में उन्हें इससे ज्यादा डायरेक्शन देने के लिए कोई नहीं था. उनका कहना है कि उनके अपने मन में इस पद तक पहुंचने की ललक उसी वक्त पैदा हो गई थी, लेकिन सही रास्ता न मिलने की वजह से दिक्कतें भी आईं, जिसके बाद रास्ते आसानी से बनने लगा. उन्हें यूपीएससी की पढ़ाई या आईपीएस के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, इस वजह से यूपीएससी की तैयारी करते समय उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. इसलिए वे अब कोशिश कर रही हैं कि उन्हें जितनी परेशानी हुई है, आगे किसी और को ना हो, इस वजह से वे यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों की हफ्ते में एक दिन क्लास लेकर उनकी मदद कर रही हैं.