साल 2017, गोरखपुर अस्पताल में हुई सैकड़ो बच्चो की मौत ने पूरा देश हिला कर रख दिया था। इस दौरान एन्सेफ्लाईटिस ने सैकड़ो बच्चो को निगल लिया था। अस्पताल से लेकर अखबारों की सुर्खियों तक सिर्फ एक ही चीज सुनाई दे रही थी, माँ- बाप की चीखे। इसके बाद भी हमारे देश का सिस्टम स्वास्थ्य के लिहाज से कितना लाचार और अपाहिज है कोटा के नए बाक्या से जाना जा सकता है।
साल 2027 का गोरखपुर अस्पताल हो या फिर कोटा के जे. के. लोन अस्पताल, इन दोनों में एक समानता बनती जा रही है, और बह है सैकड़ो बच्चो का कातिल अस्पताल। राजनीति करने बाले राजनीती करते रहते है, और गरीबो के बच्चे मरते रहते है।
राजस्थान (Rajasthan) में कोटा (Kota) शहर के जेके लोन अस्पताल (JK Lone Hospital) में बच्चों की मौत (Children Death) का सिलसिला थम नहीं रहा है। नए साल के पहले दो दिन में यहां दो बच्चों (संख्या बढ़ती जा रही है) की मौत हो गई है।
इन्हें मिलाकर बच्चों की हुई मौत का कुल आंकड़ा 102 से ऊपर हो गया है। बच्चों के इलाज में लापरवाही के आरोपों से चर्चा में आए जेके लोन अस्पताल में पिछले साल कुल 963 बच्चों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था। बीते दिसंबर महीने में मौत का आंकड़ा अचानक बढ़ने से हड़कंप मच गया। विपक्ष ने अशोक गहलोत सरकार को इस मुद्दे पर घेरा, लेकिन जांच रिपोर्ट में इलाज में लापरवाही नहीं बल्कि ऑक्सीजन पाइप लाइन नहीं होना और ठंड को मौत की वजह बताया गया।
वहीं, इसी अस्पताल प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक़, साल 2018 में 77 बच्चों की मौत हो गई थी। जे. के. लोन अस्पताल के सुपरीटेंडेंट डॉ. सुरेश दुलारा ने TOI से कहा, “30 दिसम्बर को चार बच्चे और 31 दिसम्बर को पांच बच्चों की मौत हो गई थी। इसके पीछे लो बर्थ वेट को ज़िम्मेदार माना जा रहा है।”
इस मामले में राजस्थान सरकार ने मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में मेडिकल इक्विपमेंट आदि की सुविधा के जांच के आदेश दिए हैं।
साल 2019 में करीब 963 बच्चों की मौत हुई
कोटा संभाग के सबसे बड़े जेके लोन अस्पताल में साल, 2019 में 963 बच्चों की मौत हुई। इनमें दिसंबर में 100 बच्चों की मौत होना शामिल है। नए साल के पहले दो दिन में ही तीन बच्चों की मौत हुई है। चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि यहां बच्चों की मौतों की संख्या में लगातार कमी आ रही है 2018 में 1005 शिशुओं की मौत हुई थी।
उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन पाइप लाइन नहीं होना और ठंड बच्चों की मौत का कारण है। अब तक सिलेंडरों से ऑक्सीजन पहुंचाया जाता था, जिससे इंफेक्शन का खतरा हमेशा रहता था। लेकिन अब पाइन लाइन बिछाने का काम शुरू किया जा रहा है। स्टाफ में बढ़ोतरी करने के साथ ही अन्य आवश्यक प्रबंध किए गए हैं।
2018 में क़रीब 1,005 बच्चों की मौत हुई
दिसंबर महीने के आखिरी दो दिन- 30 ओर 31 दिसंबर को अस्पताल में आठ बच्चों ने दम तोड़ दिया था। अकेले दिसबंर में यहां 100 बच्चों की मौत हो गई थी। वर्ष 2019 में कुल 963 मौतों के आंकडे़ ने जेके लोन अस्पताल में जिम्मेदारों पर सवाल उठाए और सरकार को भी कठघरे में खड़ा किया।
23 और 24 दिसंबर को 48 घंटे के भीतर अस्पताल में 10 शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा हुआ था। वहीं अस्पताल के अधिकारियों ने कहा था कि वर्ष 2018 में यहां 1,005 शिशुओं की मौत हुई थी और 2019 में उससे कम मौतें हुई हैं। अस्पताल के अधीक्षक के अनुसार अधिकतर शिशुओं की मौत मुख्यत: जन्म के समय कम वजन के कारण हुई।
पिछले 6 साल में कोटा के जेके लोन अस्पताल में इतने शिशुओं की मौत

नवजातों में 3 तरह की समस्याएं देखी जा रहीं:
- हाइपोथर्मिया : यह बच्चे में तापमान की कमी से होती है, जिसे ट्रांसपोर्ट इंक्यूबेटर या कंगारू मदर केयर से मेंटेन किया जा सकता है।
- हाइपोग्लाइसीमिया : ग्लूकोज की कमी से होती है। बच्चे को दूध पिलाते हुए लाएं। यदि दूध नहीं है तो 10% ग्लूकोज फीड कराएं।
- हाइपोक्सिया : ऑक्सीजन की कमी। ट्रांसपोर्टेशन के दौरान ऑक्सीजन का इंतजाम होना चाहिए, तभी बचाया जा सकता है।
जालीदार खिड़कियों से आती है हवा
डॉक्टर हर मौत पर अपने तर्क दे रहे हैं, लेकिन अब अस्पताल में भर्ती नवजातों के लिए कड़ाके की ठंड जानलेवा साबित हो रही है। बुधवार को प्रसूति विभाग के ई-वाॅर्ड में हुआ। यहां पार्वती पत्नी देवप्रकाश ने 4 दिन पहले ऑपरेशन से स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। 4 दिन तक बच्ची उनके साथ थी।
सुबह 9 बजे डॉक्टरों ने राउंड लिया, तब तक बच्ची स्वस्थ थी, लेकिन 11 बजे उसकी माैत हाे गई। बच्ची के दादा महावीर ने बताया कि हम अंदर जाने का प्रयास करते रहे, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने जाने नहीं दिया। जब तक पहुंचे तो बच्ची सुन्न पड़ी थी। आशंका है कि ठंड से बच्ची की मौत हो गई।
राजस्थान सरकार की सफाई
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कोटा में नवजातों की मौत पर कहा, ‘हमें इन मौतों का दुख है। हमारी जिम्मेदारी बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने की होती है। कई बच्चे काफी गंभीर अवस्था में लाए गए थे। अगर बीजेपी चाहती है इसका पता लगा सकती है। जो भी बच्चा बचाए जाने की स्थिति में था, उसे बचाया गया।’