हिन्दी का ज्ञान वो सागर है जो कभी नहीं भर सकता : गार्गी मिश्रा

हिन्दी दिवस पर विशेष रिपोर्ट –

प्रवीण पाण्डेय/नीलेश मिश्रा

भोगांव/मैनपुरी- हिन्दी दिवस हर दिवस हर वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है हिन्दी दिवस को लेकर कवि और हिन्दी प्रेमियों के दिलों में टीस है उनका कहना है कि जो सम्मान हिन्दी को मिलना चाहिये वो नहीं मिल पाया जिसका उन्हंे अफसोस है हमारी टीम ने हिन्दी के कुछ प्रेमियों से बात की पेश में उनसे बातचीत के कुछ अशं।


नगर के नेशनल इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य डा0 जोगेन्द्र सिंह चैहान कहते हैं कि हिन्दी का ज्ञान सागर से भी गहरा है संविधान तटबन्ध वाला पहरा है उन्होेने कहा है कि स्वंतंत्रता के दिनांे मंे जिस हिन्दी को जन आन्दोलन के लिये चुना गया था। स्वतंत्रता के बाद आज उसे राष्ट्र भाषा के रूप मंे न जाना जाना बेहद दुखद है। समूची संस्कृति की आग का ही नाम हिन्दी है, हिन्दी में जो काम करते हैंे करोडांे कन्ठ के काम का नाम हिन्दी है।


कस्तूरवा गांधी बालिका इण्टर कालेज की प्रधानाचार्य गार्गी मिश्रा का कहना है कि हिन्दी मात्र एक भाषा नहीं बल्कि भारत की सांस्कृति अस्मिता की पहचान है। हमें इस पहचान को और मजवूत वनाने की जरूरत है तभी बैश्विक स्तर पर हिन्दी के लिये एक बेहतर माहौल बनेगा। भाषा को मजवूत करने के लिये उसे समृद्ध बनाने का सवसे बेहतर माध्यम साहित्य है। अतः प्रत्येक प्रत्येक व्यक्ति को साहित्य रचना को जरूर पढना चाहिये।

नगर के वरिष्ठ कवि एंव मुक्तक सम्राट बदन सिंह मस्ताना कहते हंै कि हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है हमारा सरकारी काम हिन्दी में होना चाहिये हिन्दी से सरल भाषा कोई नहीं हैै। इसलिये हिन्दी को बढावा देना चाहिये। हमारे यहां अंग्रेजी वोलने वालो को बहुत महत्व दिया जाता है। अंगे्रजी तो ठीक है लेकिन हमे हिन्दी को मजवूत बनाना है। इसके लिये सवसे मजवूत कदम हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाना होगां।


नगर के वरिष्ठ कवि श्रीचन्द्र वर्मा का कहना है कि हिन्दी हमारी राष्ट्रीय एकता की सम्भाहक भाषा है जरूरत इस बात की है कि हिन्दी को तकनीक में और सक्षम बनाया जाये आज हिन्दी में रोजगार की विपुल सम्भावनायें हैं प्रिन्ट मीडिया, इलेट्रानिक मीडिया से लेकर अच्छी हिन्दी समझने और बोलने वाले की आवश्यकता है। हिन्दी मंे रोजगार की असीम सम्भावनायें हंै केन्द्रीय विश्व विधालय से लेकर राज्य विश्व विधालय तक विभिन्न महाविधालयों सहित प्रत्येक राज्य में स्थित विधालय मंे हिन्दी शिक्षक के पद सबसे अधिक आते हैं इसलिये लोगों को हिन्दी के प्रति रूचि अधिक लेनी चाहिये तो हिन्दी का प्रयोग करने वालो की कमी नहीं होगी।
मैनपुरी से प्रवीण पाण्डेय की रिपोर्ट

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