आरा । श्रीनगर में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त सीआरपीएफ की 73वीं बटालियन के सदस्य और जांबाज जवान रमेश रंजन के गांव देवटोला और ससुराल गुंडी सरैयां में हर कोई गमजदा है। भोजपुर के इन दोनों गांवों में कोहराम मच गया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीर सपूत के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की है। रंजन की शादी तीन साल पहले गुंडी सरैयां में हुई थी। समूचे भोजपुर में पाकिस्तान के प्रति गुस्सा है। लोग शहीद की पार्थिव देह के आने का इंतजार कर रहे हैं। बिहार सरकार ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कराने की घोषणा की है।
इस आतंकी हमले का पलटवार करते हुए सीआरपीएफ के जवानों ने दो आतंकियों को मार गिराया और तीसरे को जख्मी कर दिया. हालांकि इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ जवान रमेश रंजन शहीद हो गए. मुठभेड़ के दौरान बिहार के इस लाल के सिर में गोली लग गई थी, लेकिन फिर भी उनकी बंदूक नहीं थमी और दो आतंकवादियों को उन्होंने मार गिराया. इस मुठभेड़ में बचे तीसरे आतंकी को अस्पताल में भर्ती कराया गया
शहीद रमेश, जगदीशपुर प्रखंड में बभनियांव पंचायत के देवटोला-मठिया गांव के निवासी थे। वे सीआरपीएफ की 73 वीं बटालियन में तैनात थे। उनके पिता राधामोहन सिंह बिहार पुलिस से रिटायर सब-इंस्पेक्टर हैं। बुधवार को आतंकी मुठभेड़ में रमेश रंजन की शहादत की सूचना प्रसारित होते ही गांव समेत पूरे इलाके में गमगीन माहौल कायम हो गया। गांव-जवार से लोग उनके घर पहुंचने लगे
। जिस समय रमेश की शहादत की सूचना परिवार को मिली, उस वक्त गांव में पिता व उनकी माँ सुमित्रा देवी थीं। वह यह खबर पाकर पुत्र के वियोग में तड़प-तड़प कर रोने लगी। शहीद की प|ी बेबी देवी कोलकाता में थी। शाम तक शहीद जवान की प|ी बेबी देवी पति की मौत से अंजान थी। वह पति के छुट्टी पर घर आने के बाद 22 दिसम्बर को ड्यूटी जाने के बाद अपने पिता विजय राय के पास कोलकाता चली गयी है। रमेश के परिजनों ने बताया कि घटना की सूचना शहीद के प|ी को अभी नहीं दी गई है। बताया जाता है कि बुधवार को श्रीनगर के बारामुला के नजदीक हाईवे किनारे आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान दोनों तरफ से गोलियां चली। इस दौरान सीआरपीएफ जवान रमेश को सिर में गोली लग गयी और वे वीरगति को प्राप्त हो गये।
शहीद के पिता ने की मांग
देश से आतंकियों का पूर्ण सफाया करे सरकार
पिता राधामोहन सिंह ने कहा कि मेरे पिता ने भी सेना में रहकर देश की सेवा की है। मेरा दामाद भी सेना में है। देश की सेवा करते-करते मेरा बेटा शहीद हो गया। आज मुझे अपने बेटे की शहादत पर फख्र है। शहीद के पिता ने बेटे की शहादत पर सरकार से मांग करते हुए कहा कि देश से आतंकियों के पूर्ण सफाई के लिए सरकार को कड़ा से कदम उठाना चाहिए। शहीद बेटे के नाम पर शहीद स्मारक व गांव का मुख्य सड़क का नाम किया जाना चाहिए।
कोलकाता के लिलुआ में रहते हैं ससुराल के परिजन, लौट रहे गांव
बड़हरा| श्रीनगर में शहीद हुए रमेश रंजन जगदीशपुर के देवटोला की शादी तीन वर्ष पूर्व बड़हरा प्रखंड के गुंडी पंचायत के जयलाल के डेरा गांव में विजय राय के दूसरी पुत्री बेबी के साथ हुआ था। रमेश के शहीद होने पर जयलाल के डेरा गांंव में मातम पसरा हुआ है।
22 दिसम्बर को छुट्टी के बाद अपनी ड्यूटी पर लौटे थे रमेश
काफी मिलनसार, कर्मठ व हंसमुख स्वभाव के रमेश पिछले वर्ष 20 नवम्बर 2019 को छुट्टी लेकर अपने गांव आए थे। गांव आने के बाद अपने इंजीनियर भाइयों के बुलाने पर प|ी को साथ लेकर बाहर घूमने भी गये थे। एक माह की छुट्टी के पश्चात 22 दिसम्बर को श्रीनगर के लिए रवाना हुए थे।
मंगलवार की शाम पिता से नये मकान के बारे में हुई थी बात
रमेश ने मंगलवार की शाम लगभग 7 बजे अपने पिता से अंतिम बार माेबाइल फाेन से बात की थी। शहीद के पिता राधामोहन सिंह ने बताया कि आरा के मकान के बारे में रमेश रंजन ने बातचीत के दौरान पूछा था। तब मैंने बताया था कि मकान का पेटिंग का काम हो रहा है।
भोजपुर के लाल की शहादत की सूचना पर गांव समेत पूरे इलाके में गमगीन हुआ माहौल
4 भाइयों में सबसे छोटे थे, वर्ष 2011 में हुए थे बहाल
देव टोला के मठिया निवासी राधा मोहन सिंह के 4 पुत्रों व एक पुत्री में सबसे छोटा पुत्र रमेश रंजन थे। उनकी शुरुआती पढ़ाई आरा शहर के डीएवी स्कूल, धनपुरा से हुई थी। वहां से इंटरमीडियट करने के बाद आरा में ही हर प्रसाद दास जैन कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई किए थे।
वर्ष 2016 में बेबी राय के साथ हुई शादी, नहीं कोई संतान
रमेश रंजन की शादी वर्ष 2016 में बड़हरा प्रखंड में जयलाल के डेरा गांव निवासी विजय राय की पुत्री बेबी राय के साथ काफी धूमधाम से हुई थी। रमेश रंजन को कोई संतान नहीं है। फिलवक्त, उनकी प|ी कोलकाता में अपने पिता के पास है।