लाडली जी मन्दिर में गढ़ा लठामार होली का डाढ़ा

फागमहोत्सव की मस्ती में झूमें श्रद्धालु

भास्कर समाचार सेवा

बरसाना। लट्ठमार होली से पूर्व बसंत पंचमी पर विश्व प्रसिद्ध लाडली मन्दिर में सेवायत पुजारी के द्वारा होली के प्रतीक के रूप में डाढ़ा गाढ़ा गया। बसंती फूलों के बगले में विराजमान होकर श्यामा प्यारी ने अपने श्यामसुन्दर के साथ बसंती वस्त्र धारण करके अपने भक्तों पर कृपा का सागार बरसाया। इस मौके पर प्रिया प्रियतम को बसंती छप्पन भोग भी लगाया गया। इसके बाद गोस्वामी समाज द्वारा सयुक्त रूप से होली के पदों का गुणगान करते हुए एक दूसरे को गुलाल लगाते हुए ब्रज में फागमहोत्सव की शुरुआत की। श्रद्धालु आन्नद में वशीभूत होकर ब्रज के इस अनोखे फागमहोत्सव में झूम रहे थे। चालीस दिवसीय चलने वाले इस फाग महोत्सव का आनंद ब्रज में जगह-जगह मन्दिरों में देखने को मिले करीब शाम पांच बजे लाडली जी मन्दिर में सेवायत गोस्वामीयों द्वारा राधा जी के मुकुट व चुदंरी से सजे ध्वज रूपी (डाढ़े) को गर्भ ग्रह में विधि विधान से पूजकर रोपा गया। जिसके तदोपरांत जगमोहन में बने बसंती फूल बगले में राधाकृष्ण के श्रीविग्रह को बसंती वस्त्र धारण कराकर विराजमान कर उनके श्रीचरणों में गुलाल अर्पित किया। जिसके बाद उनके समक्ष होली का डाढ़ा रोपकर उसे स्थापित किया गया। इस दौरान संखी भाव में गोस्वामीजन कहते है कि ’’’रितु बसंत में लसंत मूरति दोऊ बैठे निकसि निकुंज बाग, ललित गुंज मंजुल लतानि पर अलि पुंजनि की सुनि, सुनि गुनि गुनि पुनि पुनि रस को चढ़त पाग,,। समाज गायान चालीस दिन तक रोज शाम लाडली जी मन्दिर परिसर में पांच से छः बजे तक गाया जाएगा। इस दौरान सेवायतो द्वारा छप्पन प्रकार के बसंती व्यंजनो से बृषभान नन्दनी व माखन चोर श्रीकृष्ण को भोग लगाया गया। इस अवसर पर पूरे मन्दिर परिसर को बसंती परिधानों से सजाया गया । श्रीकृष्ण व राधा रानी के इस अद्भुत छवि के दर्शन करके श्रद्वालु अपने आपको कृतार्थ मान रहे थे। पूरा मन्दिर परिसर राधारानी के जयघोषों से गूंज रहा था। इसके बाद उस प्रेम भरी दिव्य होली का आगाज ब्रज मण्डल में शुरू हो जाता है। इसके बाद गोस्वामी समाज द्वारा जय देव स्वामी के रचित मुख्य पदों के साथ संयुक्त रुप से समाज गायान प्रारम्भ हो गया। ’’विरहरत हरी रिह सरस बसंते नित्यति युवती जनेन सम संखी विरह हीय जनस बसंते, ललित लवंग लता ,, ढप मृदंग झाझ आदि वाद यंत्रों द्वारा पद का गायान किया गया। अबीर गुलाल से गोस्वामी एक दूसरे को लगाना शुरू कर दिया।

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