गलत ऑप्रेशन से डायपर पर आकर ठहरी जिंदगी

-सीएमओ व अपर निदेशक द्वारा गठित कमेटी ने ठहराया दोषी
-पीड़ित ने कोर्ट में चार्ज शीट लगाने तो चिकित्सक ने की मुकदमा खारिज करने की मांग

लियाकत मंसूरी
मेरठ। गलत ऑप्रेशन के कारण एक व्यक्ति डायपर के सहारे अपना जीवन जी रहा है। लंबे समय तक डायपर के इस्तेमाल से पीड़ित तनाव में आ गया। चिकित्सक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को लेकर मेडिकल थाने में नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया, लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। शिकायत के आधार पर सीएमओ व अपर निदेशक द्वारा तीन सदस्य कमेटी से जांच कराई गयी, जिसने चिकित्सक को दोषी ठहरा दिया। अब चिकित्सक ने एसएसपी को दिए प्रार्थना पत्र में थाना मेडिकल में दर्ज हुए मुकदमे को निरस्त करने की मांग की है।
नेहरू नगर निवासी मुनीश कुमार गुप्ता ने बताया, पेट में दर्द की शिकायत होने पर वे 16 सितम्बर 2020 को गढ़ रोड स्थित एसएम अस्पताल के मालिक डा. नवनीत गर्ग के पास गए थे। टेस्ट होने के बाद डा. नवनीत ने हार्निया बताया और 18 सितम्बर 2020 को ऑप्रेशन कर दिया। लेकिन इस दौरान डा. नवनीत ने गदूद का भी ऑप्रेशन कर दिया, जबकि गदूद की परेशानी उन्हें नहीं थी। डिस्चार्ज होने के बाद जब घर आए तो पेशाब आने की परेशानी बढ़ गई। इस पर डा. नवनीत ने आश्वासन दिया कि 15 से 20 दिन में पेशाब की समस्या दूर हो जाएगी। नौ नवम्बर 2020 को इसकी शिकायत जब डा. नवनीत से की तो उन्होंने गलती को स्वीकार कर लिया, लिखकर दिया कि जो खर्च आएगा उसे देने का भरोसा दिया, लेकिन अब धमकी दे रहे हैं।

आरोप- जांच दल में नहीं था कोई भी यूरोलॉजिस्ट
पीड़ित मुनीश गुप्ता ने मामले की शिकायत सीएमओ से की। मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा तीन सदस्य जांच दल का गठन किया गया, जिसमें उप मुख्य चिकित्साधिकारी, सर्जन एवं फिजिशियन को शामिल किया गया। टीम की जांच में सामने आया, डा. नवनीत गर्ग ने मरीज के गदूद का ऑप्रेशन टीयूआरपी विधि द्वारा किया, लेकिन टीयूआरपी विधि द्वारा ऑप्रेशन करने की पात्रता संबंधी कोई भी प्रपत्र जांच दल के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाए। इससे डा. गर्ग की प्रथम दृस्टया लापरवाही उजागर होती है। हालांकि, डा. गर्ग ने इस रिपोर्ट को चुनौती देते हुए जांच टीम पर ही सवाल खड़े कर दिए। डा. गर्ग का कहना है, जांच दल में कोई भी यूरोलॉजिस्ट नहीं था, जो रिपोर्ट तैयार की गई वह गलत तथ्यों पर बनाई गयी थी।

दावा- अल्ट्रासाउंड में गदूद बढ़े हुए मिले, तभी किया ऑप्रेशन
अपर निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) की अध्यक्षता में तीन सदस्य टीम का गठन किया गया। इस टीम ने अपनी जांच में पाया, मरीज मुनीश गुप्ता हर्निया से पीड़ित थे, अल्ट्रासाउंड में गदूद बढ़े हुए मिले, मरीज ने भी पेशाब में दिक्कत बताई थी, जिसके आधार पर गदूद का ऑप्रेशन किया गया। सहमति पत्र व डिस्चार्ज में भी गदूद का ऑप्रेशन होना अंकित है। इसके अलावा प्रस्तुत प्रपत्रों के अनुसार डा. गर्ग ने रामा मेडिकल कॉलेज पिलखुआ में सहायक आचार्य जनरल सर्जरी (यूरोलॉजी संकाय) में वर्ष 2019-20 में कार्यरत थे, इस अवधि में उनके द्वारा यूरोलॉजी सर्जरी के किए गए केसस की सूची भी प्रस्तुत की गई।

बेबसी- पीड़ित का लगातार निकलता रहता है पेशाब
पीड़ित के भाई मनोज गुप्ता इस मामले को लेकर एडीजी से मिले, आरोप लगाया कि डा. नवनीत गर्ग ने बिना पूछे ही गदूद का ऑप्रेशन किया है। जबकि डा. गर्ग यूरो सर्जन भी नहीं है। गलत ऑप्रेशन से उनका भाई लगातार पेशाब करता रहता है, पूरा जीवन डायपर पर आकर ठहर गया है। मेडिकल थाने में मुकदमा भी कराया, लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही। उन्होंने मांग की, दर्ज मुकदमे के आधार पर कोर्ट में चार्जशीट लगाई जाए।

मांग- डीएम व एसएसपी को लिखा पत्र
दूसरी ओर, डा. नवनीत गर्ग ने डीएम व एसएसपी को पत्र लिखकर मुकदमे को निरस्त करने की मांग की है। उनका दावा है, वे टीयूआरपी विधि द्वारा प्रोस्टेट सर्जरी की पात्रता रखते हैं और वे रामा मेडिकल कॉलेज में 2012 से आचार्य जनरल सर्जरी, यूरोलॉजी संकाय में कार्यरत हैं।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें