Manipur Violence: हिंसा की आग में क्यों सुलग रहा है पूरा मणिपुर ? यहां समझें क्या है पूरा विवाद

Manipur Violence: 22,347 वर्ग कि.मी में फैला पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर बीते कई दिनों से भीषण हिंसा की चपेट में है। आगजनी, पथराव और झड़प के कारण यहां अभी तक 10 हजार से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। आलम यह है कि सरकार यह बताने की स्थिति में नहीं है कि इस हिंसा में कितने लोगों की मौत हुई, कितने जख्मी हुए। हिंसा को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया है। लेकिन इस सख्त आदेश के बाद भी राज्य में हालात अभी भी तनावपूर्ण है। इंटरनेट बंद, कर्फ्यू, सेना के जवानों की मुस्तैदी के बाद भी हालात सुधरते नजर नहीं आ रहे। हिंसा की इस भीषण आग के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर मणिपुर में हिंसा भड़की क्यों? मणिपुर की हिंसा के कारणों की पड़ताल को जानते हैं इस विशेष रिपोर्ट में 10 पॉइंट्स के जरिए। 

क्यों जल रहा मणिपुर, क्या है हिसा का कारण?

1. मणिपुर में ताजा हिंसा के पीछे हाई कोर्ट का एक आदेश है। तीन मई को मणिपुर हाई कोर्ट का आदेश दिया कि सरकार 10 साल पुरानी सिफारिश को लागू करे, जिसमें गैर-जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी। इस फैसले के बाद राज्य के कई हिस्सों में हिंसा भड़क उठी।

2. तीन मई को हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद इंफाल घाटी में स्थित मैतेई और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच हिंसा शुरू हो गई। मैतेई मणिपुर में प्रमुख जातीय समूह है और कुकी सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है। ये दोनों समुदाय आमने-सामने हैं।

3. 16 जिलों वाले मणिपुर की भौगोलिक स्थिति फुटबॉल के मैदान जैसी है। इसमें इंफाल वैली बिल्कुल सेंटर में प्लेफ़ील्ड की तरह और बाकी चारों ओर के पहाड़ी इलाके गैलरी की तरह हैं। इंफाल घाटी मैतेई बहुल हैं। मैतई जाति के लोग हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

4. पहाड़ी जिलों में नागा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है। हालिया हिंसा चुराचांदपुर पहाड़ी जिलों में ज्यादा देखी गई। यहां पर कुकी और नागा ईसाई हैं। मणिपुर की आबादी लगभग 28 लाख है। इसमें मैतेई समुदाय लगभग 53 फीसद हैं। मणिपुर के भूमि क्षेत्र का लगभग 10% हिस्सा इन्हीं लोगों के पास है। कुकी जातीय समुह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रही है।

5. कुकी जातीय समूह में कई जनजातियाँ हैं। कुकी जनजातियां वर्तमान में राज्य की कुल आबादी का 30 फीसद हैं। इन लोगों का कहना है कि अगर मैती समुदाय को आरक्षण मिल जाता है तो वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले से वंचित हो जाएंगे। कुकी जनजातियों का मानना है कि आरक्षण मिलते ही मैतेई लोग अधिकांश आरक्षण को हथिया लेंगे।

मणिपुर हिंसा के बीच दंगाईयों को देखते ही गोली मारने का आदेश है। देंखे आदेश की कॉपी

6. अनुसूचित जनजाति मांग समिति मणिपुर 10 साल से राज्य सरकार से आरक्षण की मांग कर रहा है। किसी भी सरकार ने इस मांग को लेकर अबतक कोई भी फैसला नहीं सुनाया। ऐसे में मैतेई जनजाति कमेटी ने कोर्ट का रुख किया। जहां कोर्ट ने राज्य सरकार से केंद्र से सिफारिश करने की बात कही है। इस सिफारिश के बाद ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने विरोध शुरू कर दिया है।

7. शिड्यूल ट्राइब डिमांड कमिटी ऑफ मणिपुर यानी STDCM 2012 से मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने की मांग करता आया है। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने ये बताया कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था, उससे पहले मैतेई को जनजाति का दर्जा मिला हुआ था।

8. हालिया हिंसा और विरोध के पीछे मुख्य कारण यह है कि मैतेई एसटी का दर्जा चाहते थे। जबकि ये लोग मणिपुर के समृद्ध समुदाय है। सवाल यह है कि समृद्ध होने के बाद भी उन्हें एसटी का दर्जा कैसे मिल सकता है? ऑल मणिपुर ट्राइबल यूनियन के महासचिव केल्विन नेहसियाल ने मीडिया को बताया कि अगर उन्हें एसटी का दर्जा मिलता है तो वे हमारी सारी जमीन ले लेंगे।

9. ऑल मणिपुर ट्राइबल यूनियन के महासचिव केल्विन ने ये कहा कि कुकी को सुरक्षा की जरूरत थी और अभी भी है क्योंकि वे बहुत गरीब थे। उनके पास कोई स्कूल नहीं था। दूसरी ओर मैतेई जाति के लोगों का ये कहना है कि एसटी दर्जे का विरोध सिर्फ एक दिखावा है। कुकी आरक्षित वन क्षेत्रों में बस्तियां बना कर अवैध कब्जा कर रहे हैं।

10. ऑल मेइतेई काउंसिल के सदस्य चंद मीतेई पोशंगबाम ने मीडिया को बताया कि एसटी दर्जे के विरोध की आड़ में उन्होंने ( कुकी ने) मौके का फायदा उठाया, उनकी मुख्य समस्या निष्कासन अभियान है। ये अभियान पूरे मणिपुर में चलाया जा रहा है न कि केवल कुकी क्षेत्र में, लेकिन इसका विरोध सिर्फ कुकीज ही कर रहे हैं।

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