
गुरुग्राम की भोंडसी जेल में बंद 400 करोड़ रुपये के सिटी बैंक घोटाले के कथित मास्टरमाइंड शिवराज पुरी दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई है। अधिकारियों ने शुक्रवार को ये जानकारी दी। अधिकारियों का कहना है कि 46 वर्षीय शिवराज पुरी तपेदिक (टीबी- TB) से पीड़ित था।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, बीते 18 दिनों में तपेदिक (टीबी) से पीड़ित होने के बाद शिवराज पुरी भोंडसी जेल का तीसरा कैदी है। खेरकी दौला थाने में दर्ज धोखाधड़ी के एक मामले में शिवराज पुरी नवंबर 2020 से जेल में बंद था। शिवराज पुरी का टीबी का इलाज महरौली के एलआरएस अस्पताल में चल रहा था। इलाज के दौरान पुरी की गुरुवार सुबह करीब 9.30 बजे मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि वह इस साल फरवरी से टीबी से पीड़ित था।
शिवराज पुरी को गुरुग्राम पुलिस ने जमीन धोखाधड़ी के एक मामले में नवंबर 2020 में उत्तराखंड की रजाधानी देहरादून से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया कि शिवराज पुरी को पहले भगोड़ा अपराधी (पीओ) भी घोषित किया जा चुका है। पुरी को पहली बार 2010 में 400 करोड़ रुपये के सिटी बैंक घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने कहा कि पुरी पर उच्च नेटवर्थ वाले व्यक्तियों और कॉर्पोरेट संस्थाओं को निवेश कराने, फिर शेयर बाजार में पैसा लगाने और 405.52 करोड़ रुपये का भारी नुकसान करने का आरोप लगाया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, सिटी बैंक के साथ रिलेशनशिप मैनेजर के तौर पर काम करते हुए शिवराज ने कथित तौर पर फर्जी खातों में विभिन्न ग्राहकों के 400 करोड़ रुपये का गबन किया था। साल 2018 में जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद वह छिप गया। इस दौरान उसने कई और लोगों को ठगा। पुलिस ने कहा कि पुरी को 2018 में भगोड़ा घोषित किया गया था और 2020 में गिरफ्तार किया गया।