फ़र्ज़ी दस्तावेजो के सहारे नौकरी कर रहे सिपाही को बचाने में लगी मथूरा पुलिस’       

शहजाद अंसारी
लखनऊ। यूं तो उत्तर प्रदेश पुलिस के नित नए कारनामें सामने आते रहते है। लेकिन इस बार कई वर्षो से फ़र्ज़ी प्रमाणपत्रों के सहारे धोखाधड़ी करके उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर नौकरी हांसिल कर मथूरा पुलिस लाइन में तैनाती का मांमला प्रकाश में आया है। हैरत की बात यह है कि इस फर्जीवाडे की शिकायत पूर्व में सबूतो के साथ एसपी मथूरा से लेकर डीजीपी, भर्ती बोर्ड सहित मुख्यमंत्री तक से की जा चुकी है लेकिन फ़र्ज़ी सिपाही को मोटाफीलगुड के चक्कर में मथुरा पुलिस के अधिकारियों द्वारा बचाना यूपी पुलिस को कटघरे में खडा कर रहा है।

जानकारी के अनुसार जनपद मेरठ के थाना मुंडाली के ग्राम समयपुर निवासी सुरेंद्र कुमार तोमर पुत्र स्व० राज सिंह तोमर ने आपराधिक इतिहास होने के बावजूद उत्तर प्रदेश पुलिस की आंखों में शातिराना तरीके से धूल झोंक दी है। सुरेंद्र तोमर अवैध तमंचा रखने के अपराध में वर्ष 2014 में अपराध संख्या 154/2014 के अंतर्गत 25 आर्म्स एक्ट के तहत जेल गया।

 

जबकि वर्ष 2011 में हुई कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में फेल हो गया लेकिन पुलिस में भर्ती होने के जुनून में उसने 2013-14 हुई एसआई की परीक्षा में सफल हो गया लेकिन 2014 में दर्ज आर्म्स एक्ट के मुकदमें का खुलासा होने पर पुलिस विभाग से सुरेन्द्र कुमार तोमर को बर्खास्त कर दिया गया यहीं से उसने एक बार फिर पुलिस में नौकरी पाने के लिए शातिराना चाल चली जिसमें अब सुरेंद्र तोमर ने अपना नाम पता उम्र सब बदल लिया और वह फ़र्ज़ी नाम रविन्द्र कुमार तोमर पुत्र स्व० राज सिंह तोमर बदलकर अपने अन्य भाईयों के यहां जागृति विहार थाना मेडिकल जनपद मेरठ के पते पर रहने लगा।

 

वर्ष 2016 में कॉन्स्टेबल की नौकरी हासिल कर फ़र्ज़ी नाम रविन्द्र कुमार तोमर व पते का वेरिफिकेशन भी करा लिया तथा पीएनओ न० 172490018 पर जनपद मथुरा से कॉन्स्टेबल भर्ती हो गया। पीटीएस मुरादाबाद में 29 अप्रैल 2017 को ट्रेनिंग की और ट्रेंनिग पूरी करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पुलिस लाइन मथुरा में फिलहाल मज़े से नौकरी कर रहा है।

 

लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग को इसके कारनामें की भनक तक न लग सकी। यदि सुरेंद्र तोमर उर्फ रविन्द्र तोमर के पुराने अभिलेख देखे जाएं तो लगभग इसकी उम्र 35 वर्ष के आस पास है जो कॉन्स्टेबल भर्ती के लिए बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है वहीं आधार कार्ड द्वारा भी सत्यापन की कोशिश नहीं की गई। इतना ही नहीं इसके मूल निवास स्थान मुंडाली से यदि वेरिफिकेशन कराया गया होता तो पूरे राज का पर्दाफाश हो जाता है। विश्वसनीय सुत्रों की मानें तो फर्जी दस्तावेजो के आधार पर पुलिस विभाग में नौकरी कर रहे इस कांस्टेबल के जो बच्चे है स्कूल के रिकार्ड में उनके पिता के नाम अलग अलग है।

 

मामले की गम्भीरता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग के झोल झाल का फायदा उठाकर सुरेंद्र तोमर जैसे शातिरों की मदद से आपराधिक तत्व भी अपना चोला बदलकर उत्तर प्रदेश पुलिस में एंट्री पा कर देश व समाज के साथ गद्दारी कर सकते है।

 

जिससे देशभक्त और कर्तव्यपरायण पुलिसकर्मियों की छवि व साख पर असर पड़ना लाज़मी है। कुछ माह पूर्व जब इस मांमले की शिकायत सबूतो के साथ एसपी मथूरा से लेकर डीजीपी, भर्ती बोर्ड सहित मुख्यमंत्री से की गई थी। जिसके बाद 24 सितम्बर 18 को मथूरा के पूर्व पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार के आदेश पर जांच संख्या-151/18 सीओ लाइन मथूरा द्वारा की गई थी मांमला गर्माता देख आरोपी सिपाही कुछ माह के लिए भूमिगत हो गया था लेकिन जैसे ही एसपी का तबादला हुआ तो जांच अधिकारी ने आरोपी सिपाही से मोटाफीलगुड कर जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यदि इस प्रकरण की ठीक से जांच नही हुई तो यह शातिर सिपाही अपने कारनामों से उत्तर प्रदेश पुलिस की कभी भी किरकिरी करा सकता है।

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