आगरा में मौत की मॉक ड्रिल: कोरोना मरीजों की ऑक्सीजन रोका हॉस्पिटल, 22 मरीजों ने 5 मिनट में ही तोड़ा दम

 

आगरा के पारस हॉस्पिटल पर 22 मरीजों की मौत का आरोप लग रहा है। आरोप है कि ये मौतें ऑक्सीजन बंद करने से हुई हैं। 4 वीडियो सामने आए हैं, जिसमें अस्पताल के संचालक डॉ. अरिंजय जैन पूरी कहानी बयां कर रहे हैं। डॉक्टर जैन कबूल कर रहे हैं कि मरीजों की छंटनी के लिए 26 अप्रैल को सुबह 7 बजे मॉक ड्रिल की गई थी, जिसमें कोरोना संक्रमित मरीजों की ऑक्सीजन सप्लाई रोक दी गई। इस दौरान 22 मरीजों ने 5 मिनट में ही दम तोड़ दिया था। जिलाधिकारी पीएन सिंह ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है।

अस्पताल में भर्ती थे 96 मरीज

जिस दौरान इस कथित मॉक ड्रिल को अंजाम दिया गया, उस समय अस्पताल में 96 मरीज भर्ती थे। मॉक ड्रिल के बाद 22 मरीज कम हो गए। ये वो समय था, जब आगरा में कोरोना संक्रमण का पीक चल रहा था। लोग इलाज और ऑक्सीजन के लिए भटक रहे थे। उस समय सर्वाधिक मौतें भी इसी अस्पताल में हुई थीं। मॉक ड्रिल का समय सुबह 7 बजे बताया जा रहा है। उस दिन ऑफिशियल हॉस्पिटल में सिर्फ 3 लोगों की मौत दिखाई गई है।

पारस हॉस्पिटल के संचालक अरिंजय जैन ने पहले मरीजों का बिल बनाया और बाद में आक्सीजन कमी की आड़ लेकर तीमारदारों द्वारा अपने मरीज की व्यवस्था खुद करने का नोटिस चस्पा किया गया। फिर जानबूझकर ऑक्सीजन सप्लाई बंद कर दी।

डॉ. अरिंजय जैन लोगों से बात करते समय कह रहे हैं कि खुद मुख्यमंत्री भी ऑक्सीजन का इंतजाम नहीं कर सकता। हमने मोदीनगर तक से व्यवस्था की और कमीशन देकर ऑक्सीजन मंगवाई।

महामारी अधिनियम का मुकदमा दर्ज
कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान भी पारस हॉस्पिटल खासी चर्चा में रहा था। इस अस्पताल से प्रदेश के 10 जिलों में कोरोना फैल गया था। अस्पताल पर महामारी फैलाने का आरोप लगा था। चिकित्सक और उसके मैनेजर के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा भी दर्ज हुआ था।

अस्पताल संचालक ने दी सफाई
अस्पताल संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने फोन पर बताया कि यह 26 या 27 अप्रैल का वीडियो है। मैं अपने स्टाफ से बात कर रहा हूं। इसे तोड़ मरोड़कर पेश किया गया है। मॉक ड्रिल का मतलब मरीजों के ऑक्सीजन लेवल को नापना था। हालांकि 22 छंट गए… के सवाल पर उन्होंने वीडियो तोड़ मरोड़कर पेश करने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया।

डीएम दे रहे सफाई, बोले- उस दिन सिर्फ 3 मौतें हुई थीं

आगरा के जिलाधिकारी प्रभु नारायण सिंह मामले में सफाई देते हुए कह रहे हैं कि 27 व 28 को ऑक्सीजन की कमी हुई थी। हमने शासन द्वारा और आगरा में सिकन्दरा प्लांट और अन्य ऑक्सीजन प्लांट के दम पर ऑक्सीजन की व्यवस्था करवाई थी। बाद में एयरफोर्स की मदद से और खराब खन्दौली प्लांट की मरम्मत के बाद हमने हालात पर काबू पा लिया था।

पारस में भी ऑक्सीजन की लगातार सप्लाई की गई है। जिस दिन का यह वीडियो बताया जा रहा है, उस दिन सिर्फ तीन मौतें पारस में हुई हैं। वहां आईसीयू में बेड खाली थे, फिर भी वीडियो की जांच के बाद आगे जो होगा कार्रवाई की जाएगी।

अस्पताल का मालिक डॉक्टर अरिंजय जैन क्या कह रहे हैं, आप भी ये 4 वीडियो की वॉइस सुनिए-

  • वीडियो-पार्ट-1

अस्पताल संचालक के पास कुछ लोग बैठे हैं। तभी वह किसी का नाम लेकर कहता है- “बोले बॉस कि आप समझाओ, डिस्चार्ज करना शुरू करो। ऑक्सीजन कहीं नहीं है। मुख्यमंत्री भी ऑक्सीजन नहीं मंगा सकता। मोदीनगर ड्राइ हो गया है। मेरे तो हाथ-पांव फूल गए। कुछ लोगों (मरीजों के परिवार वालों को) को व्यक्तिगत समझाना शुरू किया। कहा, समझो बात को। कुछ पेंडुलम बने थे कि कहीं नहीं जाएंगे… नहीं जाएंगे। कोई नहीं जा रहा है। फिर हमनें कहा कि उनको छांटो जिनकी ऑक्सीजन बंद हो सकती है। एक ट्राई मार दो। पता चला जाएगा कि कौन मरेगा कौन नहीं। मॉक ड्रिल सुबह 7 बजे की। सुन्न कर दिए 22 मरीज। छंट गए 22 मरीज। नीले पड़ने लगे। छटपटाने लगे थे। तुरंत खोल दिए। तभी दूसरे शख्स की आवाज आई। उसने पूछा- कितने देर की मॉक ड्रिल थी। डॉक्टर ने कहा, 5 मिनट में 22 मर गए। इसके बाद तीमारदारों से कहा कि अपना अपना सिलेंडर लेकर आओ। यह सबसे बड़ा प्रयोग रहा।’

  • वीडियो-पार्ट-2

‘इसके बाद फैसला हो गया कि कोई कहीं नहीं जाएगा। हमने कहा इतना बड़ा कांड हो गया, लास्ट ईयर कांड तो कुछ भी नहीं था। अब लिखा जाएगा कि पारस में 96 मरीजों की मौत। दूसरे शख्स ने कहा- मौत का मंजर देखने को मिलेगा। अब तो हो गया खेल खत्म। अब कैरियर भी खत्म। 304 लिखवाएंगे पत्रकार, मानेंगे नहीं। जेल भी होगी। आखिरी रात है। क्या करते फिर से मैंने ऑक्सीजन का ग्रुप पकड़ा। उस पर एक बड़ा पत्र डाला। अपनी मजबूरी लिखी। मैंने उस पर पत्र डाला कि ऑक्सीजन खत्म हो गई है। मैं त्यागी वेंडर्स आदि से मदद मांगी। कुछ लोगों के रिप्लाई आया। एक ने 5 सिलेंडर देने की बात कही। मैंने कहा इससे क्या होगा। दो लाख पांच लाख दस लाख की गाड़ी ले लो, लेकिन सिलेंडर दे दो। भोपाल कहीं से भी दिलवाओ। जिंदगी बचानी थी कैरियर बचाना था। मैंने कहा सोने का भाव लगा दो, टैंकर खड़ा करो। कैसे भी खड़ा करो। मुख्यमंत्री भी सिलेंडर नहीं दिलवा सकता था।’

  • वीडियो- पार्ट-3

‘मेरे पास 12 घंटे का समय। या ये सब मर जाएंगे या इन्हें रेफर कर दो। दिमाग बिल्कुल खत्म। कोई रास्ता दिखा ही नहीं। एक घंटे तक वार्डों में फोन किया कि कैसे बचें ये मरीज। दोपहर 1 बजे एक पत्र लिखा तीमारदारों के लिए आवश्यक सूचना। कि आगरा में पॉवर सप्लाई ऑक्सीजन की खत्म हो गई है। कि मरीजों का कहीं इंतजाम कर लें। सुबह 10 बजे तक समय है। पत्र नरेंद्र गौरव चौहान को, लालजीत को। कहा कि सभी मरीजों को पढ़ा के आओ। नोटिस चस्पा करते तो वायरल हो जाता। ढाई बजे से मच गया हड़कंप। घेराबंदी। चारों तरफ लोग थे। तभी दूसरे शख्स ने कहा, जीवन ज्योति में तो खूब मारपीट हुई। अरे नहीं मेरे यहां घटना कोई नहीं हुई है। मैं रिसेप्शन पर आया। सभी लोग लॉबी में खड़े। लोगों को समझाया तो लोग बोले कि हम जिएं या मरें कहां जाएंगे। सभी ने ध्वनि मत से जाने से इंकार कर दिया।’

  • वीडियो- पार्ट-4

‘मेरे पास शमन अधिकारी का फोन आया, का हुआ साहब। राउंड लेता रहा। आगरा का सबसे बड़ा सप्लायर है। तुरंत आया, बोला कि कत्ल की रात है। मैंने कहा- क्या कांड हो गया। मन तो लगा नहीं, जैसे तैसे राउंड खींचा। 12 बजे उसने कह दिया सर सुबह तक का माल है। गाजियाबाद ड्राई हो गया। मोदीनगर ड्राई हो गया। दिल्ली से गाड़ी नहीं आ रही है। माल नहीं पाएगा। मैंने कहा कि क्या मजाक कर रहे हो। उसे नहीं मिलेगा। कोई समाधान नहीं। क्या डीएम से भी नहीं मिलेगा। मैंने तो उसकी बातों को हल्के में लिया। मैंने कहा मसाला खाओ। बोला कि नहीं मिलेगी। यहां 96 मरीज थे। सबकी सफाई हो जाएगी।’

नोट- ये सभी वीडियाे सोशल प्लेटफॉर्म पर वायरल हैं। ये पब्लिकेशन इनकी पुष्टि नहीं करता है।

 

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