प्रधानमंत्री ने किया काशी विश्वकनाथ कॉरिडोर का भूमि पूजन, बोले- जब मैं राजनीति में नहीं था, तब भी यहां आता था श्रीधर

वाराणसी।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने के बाद बहुप्रतीक्षित काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का भूमि पूजन किया।

pm modi in varanasi

मंदिर के निकट ही मिर्जापुर मठ की खाली कराई गई जमीन पर प्रधानमंत्री ने 11 बार कुदाल और करनी से सीमेंट रख भूमि-पूजन की रस्म निभाई। इसके बाद विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पांच विशेष शिलाओं (विश्वनाथ धाम और तारीख अंकित ईंट) को नींव में रखीं।

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विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद् की तरफ से तैयार इन विशेष ईंटों को नींव में रखने के बाद प्रधानमंत्री ने कॉरिडोर के सारे परियोजनाओं का शिलान्यास कर परियोजना मॉडल को देखने के बाद इसका अनावरण किया। इस दौरान कॉरिडोर पर आधारित एक लघु वित्तचित्र भी प्रधानमंत्री को दिखाई गई।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संक्षिप्त संबोधन में कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि काशी विश्वनाथ धाम को लेकर जो सपना देखा था, आज पूरा हुआ । जब मैं राजनीति में नहीं था, तब भी यहां आता था। मुझे लगता था कि यहां कुछ करना चाहिए। उन्होंने बेहद भावुक अंदाज में कहा कि भोले बाबा ने तय किया होगा कि बेटे बातें बहुत करते हो यहां आओ और कुछ करके दिखाओ। आज भोले बाबा के आशीर्वाद से वो सपना पूरा हो रहा

kashi vishwanath corridor

मोदी ने कहा कि सदियों से ये पवित्र स्थान दुश्मनों के निशाने पर रहा, कितनी बार ध्वस्त हुआ, लेकिन यहां की आस्था ने इसे पुनर्जीवित किया और ये क्रम सदियों से चल रहा है । पिछले कई सालों से भोले बाबा की चिंता किसी ने नहीं की, सभी ने अपनी-अपनी चिंता की। अच्छा हुआ कि भोलेबाबा ने हमारे भीतर एक चेतना जगाई। इसके कारण 40 से ज्यादा पुरातात्विक मंदिर इस पूरे धाम के अंदर से मिले। अब इन मंदिरों की मुक्ति का रास्ता भी खुला है। उन्होंने कहा कि पहली बार संकरी इमारतों से बाबा को मुक्ति मिली। अतिक्रमण में जकड़े मंदिरों की मुक्ति का रास्ता भी खुला हैं। यहां जब महात्मा गांधी यहां आए थे, तो उनके मन में भी यहां की दशा देख पीड़ा थी की भोले बाबा का स्थान ऐसा क्यों? काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में बापू अपने मन की व्यथा बताने से खुद को रोक नहीं पाए थे। प्रधानमंत्री ने काशी विश्वनाथ मंदिर और सोमनाथ मंदिर के जीणोद्धार करने वाली रानी अहिल्याबाई को भी याद किया। उन्होंने कहा कि दोनों मंदिरों के जीणोद्धार में अहिल्याबाई का बड़ा योगदान है, लेकिन उसको भी ढाई सौ साल बीत गए।

pm modi in varanasi मैं हैरान हूं जब इतनी सारी इमारतों को तोड़ना शुरू किया तो 40 मंदिरों पर लोगों ने कब्जा कर रखा था। चालीस के करीब ऐसे ऐतिहासिक पुरातात्विक मंदिर मिले जो अजूबा लगेगा कि यह काम कैसे हो गया। लोग दबाते गए आज उन मंदिरों के मुक्ति का भी नंबर आ गया। दशकों बाद इस बार शानदार शिवरात्रि मनाई गई। आप सोशल मीडिया में देखिए परिसर की तस्वीरें। एक सपना था उसका आज मॉडल और फिल्म देख रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर करोड़ों देशवासियों की आस्था का स्थल है। लोग यहां इसलिए आते हैं कि काशी विश्वनाथ के प्रति उनकी अपार श्रद्धा है। उनकी आस्था को अब बल मिलेगा। काशी विश्वनाथ धाम, अब काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के रूप में जाना जाएगा। इससे काशी की पूरे विश्व में एक अलग पहचान बनेगी। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कॉरिडोर निर्माण में आए अवरोधों का जिक्र कर इस कार्य में लगे अफसरों के साथ प्रदेश सरकार खास कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सहयोग की दिल खोल कर सराहना की।

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इसके पहले प्रधानमंत्री कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस लाइन से सीधे वाहनों के काफिले में ज्ञानवापी क्रॉसिंग पर पहुंचे। यहां से दुल्हन की तरह सजे सवंरे मंदिर परिक्षेत्र के गेट नम्बर चार छत्ताद्वार के पास बने सड़क के रास्ते सीधे बाबा विश्वनाथ दरबार के गर्भगृह में पहुंचे। यहां काशी विश्वनाथ न्यास के अध्यक्ष आचार्य डॉ. अशोक द्विवेदी के आचार्यत्व में मंदिर के पुजारी ओमप्रकाश मिश्र, राजेश कुमार ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गर्भगृह में प्रधानमंत्री को पूजन अर्चन कराया। प्रधानमंत्री ने विधिवत बैठकर पावन द्वादश ज्योर्तिलिंग पर दुग्धाभिषेक कर आरती उतारी। पूजन अर्चन के बाद प्रधानमंत्री यहां से पैदल चल कर सीधे मिर्जापुर मठ के जमीन पर बने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। मंदिर के पुजारी नीरज पांडेय, टेकनारायण उपाध्याय की अगुवाई में वैदिक मंत्रोच्चार के बाद प्रधानमंत्री ने भूमिपूजन कर कॉरिडोर की नींव रखी। इसके पहले सर्वार्थ सिद्धि योग में पंचकलश में पंचदेवता की स्थापना, पांच शिलाएं नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता, पूर्णा की स्थापना कर पूजा-अर्चना की। इस दौरान प्रधानमंत्री ने मंच से ही बाबा के स्वर्ण शिखर और मां गंगा का दर्शन किया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल राम नाईक, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ. महेन्द्रनाथ पांडेय भी मौजूद रहे।

उल्लेखनीय है कि काशी विश्वनाथ मंदिर से ललिता घाट तक करीब 43 हजार वर्ग मीटर में प्रस्तावित मंदिर कॉरिडोर अब श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के रूप में जाना जाएगा। माना जा रहा है कि धाम बनने के बाद यहां लगभग दो लाख श्रद्धालुओं के बैठने व कतारबद्ध होने की सुविधा मिल जाएगी। लगभग 40-40 फुट के दो कॉरिडोर बन जाने पर श्रद्धालुओं को संकरी गलियों से विश्वननाथ मंदिर तक पहुंचने से मुक्ति मिल जाएगी, तो यहां के प्राचीन गलियों का अस्तित्व भी बरकरार रहेगा। श्रद्धालु गंगा स्नािन के बाद कॉरिडोर से सीधे मणिकर्णिका घाट, ललिता घाट और जलासेन घाट से काशी विश्व नाथ मंदिर पहुंच सकेंगे। मंदिर कॉरिडोर का विकास चार चरणों में होगा। कॉरिडोर के लिए नियुक्तम कंसल्टेंलट कंपनी एचसीपी ने ब्लून प्रिंट के बाद डीपीआर तैयार कर लिया है। खास बात यह है कि कॉरिडोर के ब्लू प्रिंट में यहां ध्वस्तीकरण अभियान में मिले देव विग्रहों को एक जगह स्थारपित कर काशी का सांस्कृितिक वैभव दिखाने के लिए संग्रहालय बनाया जाना भी प्रस्तामवित है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने विश्वनाथ मंदिर के विस्तार के संबंध में 1916 में सोचा था, लेकिन विस्तार होने में 100 वर्ष से ज्यादा लग गए। अब श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में धरातल पर आ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में दूसरी बार फावड़ा चलाया। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में फावड़ा चलाने के पहले प्रधानमंत्री ने पदभार ग्रहण करने के बाद पहली बार आठ नवम्बर 2014 को अस्सीघाट पर फावड़ा चलाकर पूरे देश में स्वच्छता अभियान की अलख जगायी थी।

यह संयोग ही है कि पहली बार जब उन्होंने गंगा किनारे अस्सीघाट पर फावड़ा चलाया था तब आठ तारीख थी और इस बार भी आठ तारीख हैं। 23 सितंबर 2017 को ‘स्वच्छता ही सेवा’के लिए रोहनिया के शाहंशाहपुर की मुसहर बस्ती में भी प्रधानमंत्री ने करनी से दो गड्ढों वाले शौचालय निर्माण की शुरुआत की थी। काशी विश्वनाथ धाम परियोजना पर एक नजर – 360 करोड़ से पहले चरण में होगा कार्य – 238 भवनों की हो चुकी है रजिस्ट्री – 271 भवन आ रहे मंदिर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के दायरे में – 24 हजार वर्ग मीटर में तैयार होगा धाम – 43 हजार वर्ग मीटर में स्थित श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद -श्रद्धालुओं के लिए बैठने व ठहरने के बेहतर प्रबंध – तीन चरणों में होगी सुरक्षा व्यवस्था – आगंतुकों के लिए एक बड़ा सभागार – संग्रहालय, बहुउद्देश्यीय हॉल, मल्टीस्टोरी शौचालय – भजन संध्या के लिए हॉल, योगा स्थल – मणिकर्णिका घाट पर ओपेन थिएटर।

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