नौसेना के जहाजों अक्षय और निशंक की 32 साल बाद इस तारीख को होगी विदाई

 सूर्यास्त के साथ दोनों जहाजों की पताका उतारकर शानदार यात्राओं का होगा अंत

पोटी शिपयार्ड (जॉर्जिया) में बने थे भारतीय नौसेना का हिस्सा, मुंबई से होगी विदाई

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के दो जहाजों निशंक और अक्षय की शानदार यात्राओं का 3 जून को सूर्यास्त के साथ समापन हो जायेगा। समुद्री हितों की रक्षा में सबसे आगे रहने वाले दोनों युद्धपोतों को 32 साल की राष्ट्र सेवा के बाद मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में अंतिम विदाई दी जाएगी। दोनों जहाजों को तत्कालीन सोवियत संघ के पोटी शिपयार्ड (जॉर्जिया) में कमीशन किया गया था लेकिन इनकी विदाई मुंबई में होगी। यह माहौल ग़मगीन और उदासी भरा होगा, क्योंकि दोनों जहाजों से चालक दल की तमाम यादें जुड़ीं हैं।

नौसेना में जहाज को एक जीवित इकाई के रूप में माना जाता है। किसी भी जहाज की नौसेना से विदाई का समारोह उसके चालक दल के लिए बहुत भावनात्मक होता है। डी-कमीशनिंग समारोह में सूर्यास्त के दौरान जहाज की पताका नीचे उतारे जाने की परंपरा नौसेना के लिए बहुत ही भावुक है, क्योंकि यह जहाज की सेवा के अंत को दर्शाता है। आखिरी बार जहाज पर बिगुल लगाया जाता है जो एक जीवित आत्मा का प्रतीक है। विदाई के समय का माहौल ग़मगीन और उदासी भरा होगा, क्योंकि दोनों जहाजों से चालक दल की तमाम यादें जुड़ीं हैं। दोनों जहाज समुद्री योद्धाओं के लिए लम्बे समय तक ‘घर’ के रूप में रहे हैं, इसलिए वे चालक दल के लिए हमेशा सम्मान और गौरव के स्रोत बने रहेंगे।

आईएनएस निशंक 

वीर क्लास मिसाइल कार्वेट का चौथा जहाज निशंक पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध किलर स्क्वाड्रन का एक अभिन्न अंग रहा है। निशंक को पूर्वी और पश्चिमी समुद्र तट पर संचालित होने का गौरव प्राप्त है। सतह से सतह पर मार करने वाली शक्तिशाली मिसाइल से लैस जहाज में दुश्मन के दिल में डर पैदा करने की क्षमता थी। निशंक का सफर अभी खत्म नहीं हुआ है। जहाज को उपयुक्त ऐतिहासिक स्थानों पर युद्ध अवशेष के रूप में प्रदर्शित करने के लिए निर्धारित किया गया है। यह पोत भारतीय नौसेना की ताकत को प्रदर्शित करते हुए हमारी भावी पीढ़ियों को हमारे गौरवशाली अतीत और उज्ज्वल भविष्य का हिस्सा बनने के लिए प्रेरित करता रहेगा।

आईएनएस अक्षय

युद्धपोत अक्षय 23वें पेट्रोल वेसल स्क्वाड्रन का हिस्सा है, जिसकी प्राथमिक भूमिका पनडुब्बी रोधी युद्ध और तटीय गश्ती है। लंबी दूरी के टारपीडो और पनडुब्बी रोधी रॉकेटों के अपने दुर्जेय हथियार के साथ यह जहाज दुश्मन की पनडुब्बियों को दूर रखने के लिए लगातार गश्त पर था। तीन दशकों से अधिक के अपने शानदार करियर के दौरान इन जहाजों को कई मौकों पर सुरक्षा स्थितियों के दौरान तैनात किया गया है। इन जहाजों ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान ऑपरेशन तलवार, 2001 में ऑपरेशन पराक्रम और 2017 में उरी हमले के बाद दुश्मन के किसी भी दुस्साहस का करारा जवाब देने के लिए चौकसी बरती।

नौसेना प्रवक्ता विवेक मधवाल के अनुसार भारतीय नौसेना इन महान योद्धाओं को विदाई देने के लिए तैयार है। आईएनएस अक्षय के कमिशनिंग कमांडिंग ऑफिसर वाइस एडमिरल आरके पटनायक (सेवानिवृत्त) और आईएनएस निशंक के कमिशनिंग कमांडिंग ऑफिसर वाइस एडमिरल एसपीएस चीमा (सेवानिवृत्त) समारोह के विशिष्ट अतिथि होंगे। दोनों अधिकारी इन युद्धपोतों को समुद्र में ले जाने वाले पहले व्यक्ति रहे हैं। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार मुख्य अतिथि होंगे। इस कार्यक्रम में वे पूर्व नौसैनिक भी शामिल होंगे, जिन्हें इन जहाजों पर सेवा करने का मौका मिल चुका है।