गृह मंत्रालय ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में चारों दोषियों में से एक मुकेश की दया याचिका को राष्ट्रपति भवन ने बैरंग लौटा दिया है. मतलब ये कि राष्ट्रपति ने ये दया याचिका खारिज कर दी है. लेकिन इसके बावजूद निर्भया के गुनहगारों को 22 जनवरी ही नही बल्कि जनवरी’20 में फांसी पर लटकाया जाना मुश्किल नजर आ रहा है.
इसकी वजह है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस दरअसल सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार दोषियों को दया याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन तक फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता. मतलब ये कि राष्ट्रपति के निर्णय के बाद फैसले की जानकारी आरोपी तक पहुंचाने के लिए उसी प्रक्रिया को अपनाया जाता है, जिसके तहत यह कैदी से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचती है.
इस केस में एक दिन पहले ही निर्भया की मां ने दोषियों की फांसी में विलंब के लिए दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को दोषी ठहराया था. निर्भया की मां ने केजरीवाल सरकार पर उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.
गौरतलब है कि दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा देने के लिए 22 जनवरी की तारीख और सुबह 7.00 बजे का समय मुकर्रर करते हुए डेथ वारंट जारी कर दिया था. कोर्ट ने फैसले को चुनौती देने के लिए 7 दिन का समय दिया. आरोपियों ने फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी, जिसे सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया.