इस साल गर्मी और लू दोनों ने ही हर राज्यों में हाहाकार मचा कर रख दिया है। जहां देखों वहा हॉय गर्मी…उफ़ गर्मी। मतलब साफ है कि इस भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप से सभी लोग परेशान हो चुके है। बता दें कि राजस्थान जैसे शहर मेें भीषण गर्मी का कहर इस कदर बढ़ता जा रहा है कि मानों इस सूरज की तपन से अब राहत ही कभी नहीं मिलेगी। तेज धूप और लू के थपेड़ों ने आम आदमी के साथ अब वन्यजीवों को भी परेशान कर दिया है। इसकी वजह से जयपुर की पहचान बन चुकी हाथी सफारी को भी तेज धूप से बचाने के लिये बंद कर दिया गया है। ऐसे में पर्यटक अब सिर्फ सुबह 7 से 10 बजे तक ही हाथी सफारी का लुफ्त उठा सकेंगे। वहीं सफाई में लगे हाथी भी अब दिन में सिर्फ 2 घंटे तक ही फेरे ले सकेंगे।
आमेर महल अधीक्षक ने बताया कि गर्मी बढ़ने के साथ ही पत्थरों से बना जलेबी चौक और हाथी सफारी का रास्ता काफी ज्यादा गर्म रहने लगा था। जिसकी वजह से हाथियों को चलने में भी काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था। वहीं गर्मी से उन्हें गुस्सा आने का डर भी बना रहता था। जिसकी वजह से तपती धूप में हाथी सफारी को फिलहाल जून तक बंद किया गया है। ताकि किसी भी तरह की अनहोनी घटना से बचा जा सके। लेकिन गर्मी कम होने के साथ ही फिर से सफारी के समय में परिवर्तन के साथ हाथियों के फेरे का समय भी बढ़ाया जाएगा।
बता दें कि लगातार बढ़ती गर्मी का असर सिर्फ हाथी सफारी ही नहीं बल्कि पर्यटकों की आवाजाही पर भी नजर आने लगा है। आमेर महल के साथ हवामहल, जंतर-मंतर, अल्बर्ट हॉल और नाहरगढ़ फोर्ट पर पर्यटकों की आवाजाही पिछले दिनों के मुकाबले 20% तक कम हो गई है। टूरिस्ट गाइड मनीष ने बताया कि गर्मी बढ़ने की वजह से पर्यटकों की आवाजाही कम हुई है। वहीं जो पर्यटक घूमने आ रहे हैं वह भी सुबह शाम की ठंडक में ही बाहर निकलना पसंद करते हैं। ऐसे में पिंकसिटी में पर्यटकों की आवाजाही गर्मी कम होने के बाद ही बढ़ने की संभावना है।
कोरोना के बाद हाथियों का पालना काफी मुश्किल
जयपुर के हाथी गांव के रहने वाले अजीज ने बताया कि कोरोना के बाद से ही हाथियों को पालना काफी मुश्किल हो गया है। क्योंकि पिछले 2 साल से विदेशी टूरिस्ट आ नहीं रहे। वहीं जो भारतीय टूरिस्ट आते हैं। उन्हें हाथी सफारी में ज्यादा रुचि नहीं होती।जिसकी वजह से हाथियों को पालने के साथ दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भी मुश्किल हो रहा है।
अजीज ने बताया कि फिलहाल हाथी गांव में 86 हाथी है। जिन की देखभाल के लिए हर दिन 2500 से 3000 के बीच खर्चा हो रहा है। लेकिन हाथ मालिक को 1000 रुपए कमाने में भी मुश्किल हो रही है। वहीं सरकार की ओर से भी हमें किसी तरह की रियायत नहीं दी जा रही है। जिसकी वजह से महंगाई के इस दौर में चौतरफा मार झेलनी पड़ रही है।
बता दें कि जयपुर में बना हाथी गांव देश का पहला और एकमात्र हाथी गांव है। जिसे 2010 में जयपुर-दिल्ली हाईवे पर 120 बीघा में बसाया गया था। फिलहाल यहां लगभग 86 हाथी है। देश-विदेश के सैलानी यहां हाथियों और उनके महावतों की रोजमर्रा की जिंदगी को करीब से देखने आते रहे हैं। यहां हाथियों के रहने के लिए 63 शेड होम बने हुए हैं। करीब 20 फीट से ऊंचे और चौड़े हैं। एक ब्लॉक में तीन हाथियों के लिए शेड होते हैं। इसके पास इनके महावतों और परिवार के ठहरने के लिए कमरे बने हैं। बच्चों के खेलने के लिए लॉन है। हाथियों के नहाने के लिए तीन बड़े तालाब हैं।