सिर्फ ये 3 बाहुबली काफी है यूपी का चुनावी गणित बिगाड़ने के लिए…

उत्तर प्रदेश. आगामी 2019 लोक सभा चुनाव का आगाज़ होने के बाद अब यूपी की राजनीति में मुस्लिम वोटर किसी भी दल की किस्मत बना व बिगाड़ सकते हैं। बीजेपी को भी मुस्लिम वोटों की आवश्यकता होती है इसलिए भगवा दल ने 3 तलाक का दांव खेल कर मुस्लिम महिलाओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश की है। प्रदेश में तीन बड़े मुस्लिम नेता ऐसे हैं जो शिवपाल यादव के साथ अखिलेश यादव व बीजेपी को भी लाभ पहुंचा सकते हैं इन नेताओं से बसपा सुप्रीमो मायावती की भी सीट बढ़ सकती है।

मुलायम सिंह यादव के परिवार में बिखराव की बयार बह रही है। शिवपाल यादव ने अपना समाजवादी सेक्युलर मोर्चा बना लिया है जबकि अखिलेश यादव को सपा की ताकत मिली है। अखिलेश यादव व शिवपाल दोनों ही मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में लाने में जुटे हुए हैं। सपा का बसपा व राहुल गांधी की कांग्रेस से महागठबंधन हो जाता है तो मुस्लिम वोट को लेकर उनकी परेशानी खत्म हो जायेगी। बीजेपी भी तीन तलाक के मुद्दे को लेकर मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी में जुटी है। ऐसी परिस्थितियों में यूपी में तीन बड़े मुस्लिम नेता की भूमिका बढ़ जाती है जो किसी भी दल के लिए गेम चेंजर साबित हो सकते हैं।

असदुद्दीन ओवैसी

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने यूपी चुनाव 2017 में चुनाव लड़ा था। पार्टी को सफलता तो नहीं मिली थी लेकिन प्रदेश में संगठन खड़ा करने की शुरूआत हो गयी थी। यूपी चुनाव के बाद लोकसभा में असुद्दीन ओवैसी की पार्टी चुनाव लड़ेगी कि नहीं। यह अभी तय नहीं है लेकिन पार्टी ने जनाधार बढ़ाने के लिए 100 रैली का आयोजन किया है। साफ है कि असुद्दीन ओवैसी महागठबंधन या शिवपाल यादव में जिसके भी साथ जाते हैं उस पार्टी को मुस्लिम वोट मिलना तय है।

मुख्तार अंसारी

बाहुबली मुख्तार अंसारी अभी बसपा में है। बसपा से ही उनके चुनाव लडऩे की संभावना है। मुख्तार अंसारी का अपना वोट बैंक है जबकि उनके बेटे अब्बास अंसारी ने मुस्लिम समाज के युवाओं में अपनी पैठ मजबूत बनाने की मुहिम चलायी हुई है। मुख्तार अंसारी की पार्टी कौएद का सपा में विलय को लेकर ही अखिलेश व शिवपाल में मतभेद शुरू हुआ था। मुख्तार अंसारी को मुलायम व शिवपाल यादव का खास माना जाता है ऐसे में इस बात की संभावना भी बन सकती है कि बसपा से टिकट नहीं मिलने पर मुख्तार अंसारी भी शिवपाल यादव की पार्टी ज्वाइन कर ले। ऐसा हुआ तो सपा व बसपा को तगड़ा झटका लग जायेगा।

अतीक अहमद

बाहुबली अतीक अहमद की ताकत किसी से छिपी नहीं है। इलाहाबाद में अतीक अहमद को मुस्लिमों का बड़ा नेता माना जाता है। अतीक अब सपा में नहीं है और फूलपुर में हुए संसदीय उपचुनाव में जेल में रहते हुए ही निर्दल प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा था। अतीक अहमद ने अपनी पार्टी बनाने की बात कही थी लेकिन अभी तक उसका ऐलान नहीं हुआ है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए अतीक अहमद ने शिवपाल यादव की पार्टी ज्वाइन की तो इलाहाबाद में महागठबंधन का चुनावी समीकरण बदल जायेगा।

BJP को भी मिल सकता है लाभ

3 बड़े मुस्लिम नेता से बीजेपी को भी लाभ मिल सकता है। यह नेता किसी पार्टी की तरफ जाते हैं तो हिन्दू वोटों को अपनी तरफ करने में बीजेपी को आसानी होगी। बनारस लोकसभा सीट पर 2009 में हुए चुनाव में बीजेपी के लिए डा.मुरली मनोहर जोशी ने चुनाव जीता था इसका मुख्य कारण मुख्तार अंसारी का इसी सीट से चुनाव लड़ना था। फूलपुर उपचुनाव में अतीक अहमद के मैदान में उतरने से बीजेपी को कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा था उस समय आरोप लगते थे कि अतीक अहमद को पर्दे के पीछे से बीजेपी ने ही चुनाव लड़ाया था।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें