पीलीभीत : शारदा नदी के कटान से तंग आकर ग्रामीणों ने शुरू की भूख हड़ताल

दैनिक भास्कर ब्यूरो

पीलीभीत। पूरनपुर में तीन दिन से लगातार हो बारिश से शारदा नदी का जलस्तर बढ़ने से गांव में पानी भर गया। लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त है। ग्रामीणों ने भूख हड़ताल करने का फैसला लिया है, गांव के लोग अधिकारियों से नाराज है। पूरनपुर तहसील क्षेत्र के गांव चंदिया हजारा, राहुल नगर आदि गांवों में पानी भर जाने से लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। ग्रामीणों के द्वारा रोष व्याप्त है, ग्रामीण अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन शासन के द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिसके चलते बारिश होने के कारण शारदा का जलस्तर बढ़ने से सैकड़ों एकड़ ग्रामीणों की भूमि काट गई। एक बार फिर तीन दिनों से हो रही लगातार बारिश से शारदा नदी का जलस्तर बढ़ने से गांव में पानी भर गया, इसके बाद सोमवार को भूख हड़ताल पर शुरू कर दी। चंदिया हजारा बताओ संघर्ष समिति ने खेल मैदान में भूख हड़ताल शुरू की है।

बाढ़ के पानी पर बनाया अनिश्चित कालीन धरना स्थल

आरोप हैं कि शारदा नदी कटान को लेकर ज्ञापन दिए और शिकायतें भी की, उसके बाद भी प्रशासन ने कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया। शारदा नदी का जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों की सैकड़ों एकड़ भूमि कटान में शारदा में शमा गई और वन विभाग की भूमि भी कटान की भेंट चढ़ रही है। लेकिन प्रशासन ने शारदा नदी के कटान को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाया है। गांवों के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस मौके पर दिलीप बैरागी सदस्य ग्राम पंचायत, कमलेश राय, देवाशीष राय, शंकर राय, विजय सरकार सदस्य ग्राम पंचायत, विजय मण्डल, मधूसूदन मधू, शंकर विश्वास, व्रोतोचारी बाछाड़, शिव प्रसाद मजूमदार सदस्य ग्राम पंचायत, सुव्रत सरदार, प्रमथ मिस्त्री, बाबू मिस्त्री ,अरुण दास, रविन्द्र नाथ सरकार ,नन्दलाल मिस्त्री आदि लोग शामिल रहे।

बारिश में डूबा धान और गन्ना, किसान परेशान

बारिश व तेज हवा के झोकों ने धान व गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। हालत यह है कि खेतों में धान व गन्ने की फसल जमीन पर लेट गई है। किसानों ने फसल का नुकसान होने के चलते सरकार से मुआवजे की गुहार भी लगा रहे हैं। जिले में लगातार तीन दिन से हो रही बारिश से खेतों में 10 से 20 दिन बाद कटने के लिए तैयार खड़ी अगेती धान की फसल गिर गई है। इससे किसान परेशान हैं। पिछले साल भी बारिश से धान की फसल बर्बाद हो गई थी। इस बार भी तैयार फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दो साल से सितंबर-अक्तूबर में बारिश से नुकसान उठा रहे है।

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