औरैया : पीडि़त परिवार को धमकाने का पुलिस पर लगा आरोप

अजीतमल-औरैया। सरकार के सुशासन के दावों पर सवाल उठ खड़े होने लगे हैं, जंहा प्रसाशनिक उत्पीड़न से त्रस्त किसान परिवार ने न्याय न मिलने और झूठे मुकदमों में फंसाने से आहत हो परिवार सहित इच्छा मृत्यु की मांग की है। कोतवाली अजीतमल के गांव रतनीपुर निवासी किसान पुत्र हरेंद्र राठौर ने माननीय राष्ट्रपति को भेजे शिकायती पत्र में बताया है कि उनके वृद्ध पिता ने अपनी पैतृक भूमि को एक प्रोपर्टी डीलर द्वारा विक्रय किया था। जिसका एग्रीमेंट मुताविक बतौर प्लाट के रूप में बैनामे हुए थे। जिनका नियमानुसार राजस्व विभाग ने खतौनी हस्तांतरण के साथ कब्जा दखल भी संबंधितो को दिलवाया गया था।

मगर तीन वर्ष से अधिक समय गुजरने के बाद अचानक उसी राजस्व विभाग को उपरोक्त भूमि में नजरी नक्शे में नाली होने की बात पता लगते ही वहां लगभग बीस मीटर नाली को एक साजिश के तहत खुदवा दिया जाता है। जिसका पानी आने और न जाने का किसी भी दिशा में कोई रास्ता मौके पर नही है। इधर सम्बन्धित क्रेतागणों को गुमराह कर मुझ परिवार पर दलित उत्पीड़न का मुकदमा पंजिकृत करवा दिया गया है। पुलिस भी मामले में साजिशकर्ताओं के साथ मिली है। इसके बाद शुरू होता है बिक्रेता किसान का उत्पीड़न जिसे मोटा आसामी समझ दबाव में लेकर समझौते के नाम पर उगाही का खेल शुरू किया गया और जब बात नही बनीं तो उसके साथ अपराधियों सा वर्ताव शुरू कर दिया गया। जिससे तंग आकर पीडि़त किसान परिवार ने आत्महत्या की गुहार लगाई है।

मालूम हो कि मौजा जगदीशपुर की हाइवे के निकट गाटा संख्या 255, 256 भौगोलिक रूप से मौजा विलाबा से जुड़ा हुआ है।जहां सीमा रेखा के रूप में राजस्व अभिलेखों में नाली बतौर नक्शा दर्शाती जरूर है मगर मौके पर आज तक अस्तित्व विहीन रही है। किसान का कहना है कि जब कभी भी उपरोक्त नाली से कोई सिंचाई कार्य नही हुआ और न ही सिक्सलेन हाइवे के निर्माण दौरान पुलिया आदि का निर्माण हुआ तो कैसे मान लिया जाए कि अमुख स्थान पर नाली का प्रावधान है। अब ऐसी स्थिती में राजस्व विभाग को तय करना है कि कब्जा दखल की सही जांच करवाए और किसान को उसके रकबे की सही जानकारी दे। जिससे मामले का उचित निस्तारण हो सके।

क्यों उठाया कदम

माननीय राष्ट्रपति को इच्छामृत्यु की गुहार लगाने वाले किसान पुत्र हरेंद्र राठौर ने बताया कि वह लंबे समय से अस्वस्थ्य हैं, मुझे एक साजिश के तौर पर पुलिस लगातार टारगेट कर कंही चैकी तो कभी थाने में ले जाकर बेइज्जत करती है। घर की महिलाओं को तक उल्टा सीधा सुनाया जाता है। और मेरी बात को कोई भी अधिकारी और कर्मचारी सुनने को तैयार नही है जबकि मेरे पास सभी अभिलेख मौजूद होने के बावजूद मुझसे डरा धमकाकर कुछ भी स्टेटमेंट लिखवा लिया जाता है। ऐसी स्थिति में मैंने वरिष्ठ अधिकारियों से अपनी बात कहनी चाही तो मुझे डराया और धमकाया गया इसलिए विबश होकर मेरे सामने परिवार सहित आत्महत्या करने के सिवा कोई रास्ता नही बचता है।

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