बिजनौर कोर्ट में पुलिस साबित नहीं कर पाई कि CAA प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर गोली चलाई

नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। उत्तर से लेकर दक्षिण, पूरब से लेकर पश्चिम तक लोग अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भी ज़ोरदार प्रदर्शन हुए और लोग इस कानून को सरकार से वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में कई जगह पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए। जिसमें पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारियां की। पुलिस ने बिजनौर के नहटौर, नज़ीबाबाद और नगीना में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन के दौरान हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाते हुए 100 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया था और कई एफआईआर दर्ज की थीं।

इस प्रदर्शन में बिजनौर में यूपीएससी की तैयारी करने वाले 20 वर्षीय छात्र सहित दो लोगों की मौत भी हुई थी। पिछले महीने हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के दौरान दंगा कराने और हत्या के प्रयास के दो आरोपियों को जमानत देते हुए उत्तर प्रदेश के बिजनौर के एक सेशन कोर्ट ने पुलिस के दावों को खारिज करते हुए कहा कि ‘उन्होंने ऐसा कोई सबूत नहीं दिखाया जिससे पता चले कि आरोपी गोलीबारी या आगजनी में किसी भी तरह से शामिल थे या पुलिस ने आरोपियों से कोई हथियार जब्त किया हो या कोई पुलिसकर्मी गोली से घायल हुआ हो।’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, अदालत से मिले दस्तावेज दिखाते हैं कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव पांडे 24 जनवरी के जमानत आदेश में पुलिस ने जो दावे किए थे उनमें गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है।’

उन्होंने कहा, ‘मामले के गुण-दोष पर कोई राय बनाए बिना मेरे विचार से परिस्थितियों और अपराधों को देखते हुए अभियुक्त को जमानत दी जानी चाहिए। जमानत आदेश में की गई टिप्पणियां महत्वपूर्ण हैं क्योंकि बिजनौर पुलिस ने बिजनौर के नाहटौर, नजीबाबाद और नगीना में हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाते हुए 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था और कई एफआईआर दर्ज की थीं।

पुलिस ने यह भी माना था कि यूपीएससी की तैयारी करने वाले 20 वर्षीय मोहम्मद सुलेमान को उनके कांस्टेबल मोहित कुमार ने आत्मरक्षा में गोली मारी थी। हालांकि, सुलेमान के पास से कोई हथियार बरामद नहीं हुआ था। इस मामले में सुलेमान के परिवार ने छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

सेशन कोर्ट के आदेश के बाद यह बात साफ़ हो गयी है कि पुलिस द्वारा लगाए गए गोली चलाने के आरोप गलत साबित हुए हैं। बिजनौर की घटना ने पूरे देश को विचलित किया था। अदालत के आदेश से आरोपियों को रहत मिली है।

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