मध्य प्रदेश में पुलिस कर्मियों को मिलेगी ‘द कश्मीरी फाइल्स’ देखने के लिए मूवी लीव

मध्यप्रदेश सरकार ने फिल्म द कश्मीर फाइल्स को टैक्स फ्री करने के बाद एक और फैसला लिया है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने DGP को पुलिसकर्मियों को फिल्म देखने के लिए एक दिन की छुट्‌टी देने के लिए कहा है। मिश्रा ने कहा है कि सुविधानुसार पुलिसकर्मी जब भी अपनी फैमिली के साथ फिल्म देखना जाना चाहें, उस दिन उनके अवकाश को मंजूर किया जाए। ‘द कश्मीर फाइल्स’ का प्रमोशन इंदौर में शिवपुराण कथा कर रहे पं. प्रदीप मिश्रा ने भी किया है। उन्होंने कहा- फिल्म देखने जरूर जाएं। देखें कि कैसे अपनों ने ही हमें डुबोया है। जुलाई 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में 1 लाख 26 हजार 462 पुलिसकर्मी हैं।

पं. प्रदीप मिश्रा इन दिनों इंदौर के देपालपुर में महापुराण कथा कर रहे हैं। शुक्रवार को निर्माता-निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ रिलीज हुई है। कश्मीरी पंडितों के विस्थापन पर बनी ये फिल्म इन दिनों जबरदस्त चर्चा में हैं। ऐसे में पं. मिश्रा ने भी कथा में आए श्रद्धालुओं से इस फिल्म को देखने की अपील की। उन्होंने कहा- ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म अच्छे से देख लेना। ये फिल्म बता रही है कि कश्मीर में हमें अपनों ने ही डुबोया है। तुम पर उंगली उठाने का सामर्थ्य दूसरों में नहीं। कोई हमारा अपना ही घर फोड़ने वाला होगा, जो मिल जाता है। घर में आग लगवा देता है। ऐसे बहुत मिलेंगे।

रुद्राक्ष महोत्सव से सुर्खियों में आए थे
पं. मिश्रा हाल ही के दिनों में चर्चा में रहे थे सीहोर के चितावलिया हेमा में रुद्राश्र महोत्सव कराकर। महोत्सव में बहुत ज्यादा लोग जुट गए थे। भोपाल-इंदौर स्टेट हाइवे के दोनों ओर जाम लग गया था। इस वजह से महोत्सव को स्थगित करते हुए पं. मिश्रा व्यासपीठ पर रो दिए थे। इसे लेकर राजनीति भी खूब हुई थी। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने तो सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चिट्‌ठी लिखकर पूछ लिया था कि आखिर ऐसी क्या विपदा आ गई, जो कथा स्थगित कराना पड़ी।

फिल्म में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की कहानी

19 जनवरी 1990 के दिन 60 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन किया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस की 2008 में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक आतंकवाद से मजबूर होकर 24 हजार से ज्यादा कश्मीरी पंडितों के परिवारों ने कश्मीर छोड़ दिया था। 1989 से 2004 के बीच घाटी में 209 कश्मीरी पंडित मारे गए थे। हालांकि, कश्मीरी पंडितों के संगठनों के मुताबिक ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है।

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