MP में सियासी संग्राम : राज्‍यपाल के अभिभाषण के बाद तय होगा, कमलनाथ सरकार बचेगी या..

भोपाल । मध्यप्रदेश में पिछले दो सप्‍ताह से चल रहे राजनैतिक परिवर्तनों के बीच रविवार रात से प्रदेश की कांग्रेस और भाजपा के बीच अग्‍निपरीक्षा का दौर शुरू हो गया है। अब कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दल अपने विधायकों के विश्‍वास को अपने पक्ष में बनाए रखने के लिए लग गए हैं। इसके लिए दोनों ही दल कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। दूसरी ओर बेंगलुरु में रह रहे सिंधिया समर्थक कांग्रेस के विधायकों के बारे में अब तक यह तय नहीं हो पा रहा कि वे सोमवार को विधानसभा में पहुंचे या नहीं। जयपुर से कांग्रेस के सभी विधायक यहां आ चुके हैं और इन्हें कड़ी सुरक्षा में भोपाल की मैरियट होटल में रखा गया है। हरियाणा ले जाए गए सभी भाजपा विधायकों के देर रात या सुबह तक भोपाल पहुंचने की संभावना है।

फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं, असमंजस बरकरार
उधर, दोनों ही दल के नेता कानून की अपनी-अपनी परिभाषाएं दे रहे हैं। सोमवार को विधानसभा का बजट सत्र राज्यपाल लालजी टंडन के अभिभाषण के साथ शुरू होगा लेकिन उसके बाद फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं इसे लेकर अब तक असमंजस बरकरार है। हालांकि इस संबंध में राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सोमवार को उनके अभिभाषण के बाद बहुमत साबित करने का निर्देश दिया है लेकिन इस संबंध में सवालों के जवाब में विधानसभा अपध्‍यक्ष एनपी प्रजापति ने अभी कुछ स्पष्ट नहीं किया है लेकिन इतना जरूर कहा है कि वे इस बारे में उसी समय निर्णय लेंगे।

मीडिया के बीच फ्लोर टेस्ट से जुड़े प्रश्‍नों को उन्होंने काल्पनिक बताकर टाल दिया। ऐसे में अब तक मध्‍य प्रदेश में फ्लोर टेस्‍ट पर असमंजस बना हुआ है, नियमानुसार विधानसभा अध्‍यक्ष के स्‍वविवेक पर निर्भर है कि वे इसे कराएं या नहीं। दूसरी ओर दोनों दलों के विधायक अपने-अपने विधायकों को सुरक्षित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बेंगलुरु में रुके सिंधिया समर्थक एवं कांग्रेस के 16 विधायकों ने फिर रविवार को अध्यक्ष के पास इस्तीफे भेजकर भोपाल आने से पहले सीआरपीएफ की सुरक्षा देने की गुहार लगाई है।

कांग्रेस आश्‍वस्‍त, सरकार नहीं गिरेगी
अपनी सरकार को लेकर मुख्‍यमंत्री कमलनाथ एवं अन्‍य मंत्रियों का मानना है कि उनकी सरकार स्‍थ‍िर है और भाजपा द्वारा की जा रही उठापटक से कोई नुकसान होने नहीं जा रहा है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि भाजपा ने कांग्रेस विधायकों को कैद करके रखा है। भाजपा सरकार गिराना चाहती है, इसलिए वह सोची समझी रणनीति के तहत उन्‍हें अब तक कर्नाटक में रखे हुए है। विधायकों के जो भी इस्‍तीफे आए, वे उनके द्वारा न देते हुए भाजपा वालों की ओर से दिए जा रहे हैं। हम कैसे विश्‍वास कर लें, वे सही हैं। लोग माफिया और मिलावट खोरी और घपलों की जांच से घबराए हुए हैं। इसलिए ये सब हो रहा है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं, समर्थन हमारे पक्ष में, सरकार पर कोई खतरा नहीं है।

सरकार अल्‍पमत में, उसे बने रहने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं: भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय उपाध्‍यक्ष एवं पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का स्‍पष्‍ट कहना है कि राज्‍यपाल ने कांग्रेस की अल्पमत सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए निर्देश दिया है। 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, इसलिए कांग्रेस को सरकार चलाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्रपति के अभिभाषण का कोई अर्थ नहीं है, बजट सत्र का कोई अर्थ नहीं है। इसलिए इन्हें बजट सत्र से पहले विश्वास मत प्राप्त करना चाहिए। मुख्यमंत्री की ओर से विधायकों को दबाव में लाने की या लालच देने की कोशिश की जा रही है। संविधान के अनुच्छेद 175(2) और अन्य प्रावधानों का भी जिक्र करते हुए पूर्व सीएम शिवराज का कहना है कि विश्वास मत पर मतदान ध्वनिमत के बजाय डिवीजन एवं बटन दबाकर किया जाए। सदन की सारी कार्यवाही की वीडियोग्राफी कराने की हमारी मांग है ।

नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा है कि विधानसभा के 22 सदस्यों ने अपनी सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। इन 22 विधायकों ने मीडिया में आकर भी इस तथ्य की पुष्टि की है। यह जगजाहिर हो चुका है कि कमलनाथ की सरकार ने विधानसभा का विश्वास खो दिया है। अब उनके लिए राज्य में संवैधानिक तरीके से सरकार चलाना संभव नहीं है। सरकार पूरी तरह विश्वास मत खो चुकी है। इस सरकार को बने रहने का संवैधानिक अधिकार नहीं है, इसलिए पहले अपना बहुमत साबित करने के लिए सरकार फ्लोर टेस्ट करवाए।

कांग्रेस विधायकों के बेंगलुरु से आने के बाद ही हो सकता है फ्लोर टेस्ट
इस सब के बीच जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि सदन की कार्यवाही नियम-प्रक्रिया से चलती है। ऐसा नहीं हो सकता कि भाजपा के नेता जो कहें वो होगा। उन्‍होंने कहा कि हमें इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि अध्यक्ष के भी विशेष अधिकार होते हैं। संसदीय कार्य मंत्री गोविंद सिंह का साफ तौर पर कहना है कि बेंगलुरु से कांग्रेस के सभी विधायकों के आने के बाद ही फ्लोर टेस्ट हो सकता है। कमलनाथ की सरकार के पास पूर्ण बहुमत है। विपक्ष नियमों को गलत तरीके से परिभाषित कर रहा है।

विस अध्‍यक्ष ने कहा, विधायक मुझसे सीधे संपर्क करें
प्रदेश में विधायकों की गिनती को लेकर कांग्रेस-भाजपा के अपने समीकरणों के बीच विधानसभा अध्‍यक्ष ने रविवार शाम स्‍पष्‍ट तौर पर कहा कि मैं विधायकों को लेकर चिंतित हूं। विभिन्न माध्यमों से उनके बारे में जानकारी मिल रही है लेकिन वे मुझसे सीधे संपर्क नहीं कर रहे जबकि सभी विधायकों को मुझसे सीधे संपर्क करना चाहिए। अभी शनिवार को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सिंधिया समर्थक 6 विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए गए हैं। अब उनके द्वारा 16 विधायकों पर फैसला लेना अभी शेष है। यदि इनके इस्तीफे वे मंजूर कर लेते हैं तो कांग्रेस के पास कुल 99 विधायक रह जाएंगे। विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 206 हो जाएगी। बहुमत के लिए 104 का आंकड़ा जरूरी होगा जिसमें भाजपा आगे निकल सकती है।

बजट सत्र की कार्यवाही के लिए प्राप्‍त हुईं 5315 प्रश्‍नों की सूचनाएं
पन्‍द्रहवीं विधानसभा का यह पांचवां सत्र सोमवार 16 मार्च से शुरू होकर 13 अप्रैल तक चलेगा। विधानसभा के बजट सत्र की अधिसूचना जारी होने के बाद से लेकर अब तक विधानसभा सचिवालय को कुल 5315 प्रश्‍नों की सूचनाएं प्राप्‍त हो चुकी हैं। ध्‍यानाकर्षण की 160, स्‍थगन की 16, शून्‍यकाल की 29 तथा अशासकीय संकल्‍प की 47 सूचनाएं प्राप्‍त हुई हैं। सत्र की कार्यवाही सुचारु और ठीक ढंग से चले इसके लिए अध्‍यक्ष एनपी प्रजापति एवं विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह द्वारा आवश्‍यक निर्देश अधिकारियों को दिए जा चुके हैं। उधर, भोपाल में दोनों ही पार्टियों भाजपा एवं कांग्रेस में लगातार बैठकों का दौर जारी है।

भाजपा की साजिश को नहीं होने देंगे कामयाब: कमलनाथ

मध्यप्रदेश में चल रही सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ का एक बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने रविवार को मीडिया से बातचीत में कहा है कि कांग्रेस के सभी विधायक उनके साथ हैं। राज्यपाल को संविधान के संरक्षक की भूमिका निभाना चाहिये। सरकार पूरी तरह सुरक्षित है। हम भाजपा की साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे। सरकार को लेकर उन्हें कोई चिंता नहीं है।

गौरतलब है कि राज्यपाल लालजी टण्डन के निर्देश पर सोमवार से शुरू हो रहे मप्र विधानसभा के बजट सत्र में अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट होगा, जिसमें कमलनाथ सरकार को बहुमत साबित करना होगा। रविवार को मुख्यमंत्री कमलनाथ फ्लोर टेस्ट को लेकर आश्वस्त नजर आए। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा है कि यह पूरा षड्यंत्र भाजपा द्वारा रचा गया है। उन्होंने हमारे विधायकों को बेंगलुरु में बंधक बनाकर रखा है। वहां उनकी सरकार है और उनकी ही पुलिस है। हमारी सरकार ने माफियाओं के खिलाफ जो अभियान चलाए और प्रदेश में पिछले 15 साल में भाजपा ने जो घोटाले किये थे, उनके उजागर होने के डर से भाजपा डरी हुई है और इसीलिए यह साजिश रची गई है, लेकिन हम उनकी साजिश को कामयाब नहीं होने देंगे। फ्लोर टेस्ट को लेकर उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के लिए चिंता की कोई बात नहीं है।

सपा ने भी जारी किया व्हिप

इधर, समाजवादी पार्टी ने भी रविवार को व्हिप जारी कर सोमवार, को सदन में बिजावर विधायक राजेंद्र शुक्ला उर्फ बबलू शुक्ला को कांग्रेस के पक्ष में वोट देने को कहा है। पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी द्वारा यह व्हिप जारी किया गया है।

वहीं, आगरमालवा जिले की सुसनेर विधानसभा से निर्दलीय विधायक विक्रम सिंह राणा भी भोपाल पहुंच गए हैं। वे सरकार को समर्थन दे रहे थे, लेकिन अभी उन्होंने अपना मत व्यक्त नहीं किया है कि वे सोमवार को किसका साथ देंगे। इधर, ब्योहारी से भाजपा विधायक शरद कौल ने रविवार को एक विडियो जारी कर कहा है कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। वे भाजपा के साथ थे हैं और रहेंगे। ऐसे में सोमवार को ही साफ हो पाएगा कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार चलेगी या फिर चली जाएगी। फिलहाल, सीएम हाउस में कांग्रेस विधायक दल की बैठक चल रही है, जिसमें सोमवार को होने वाले फ्लोर टेस्ट को लेकर रणनीति तैयार की जा रही है।

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