भोपाल । मध्यप्रदेश में सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट होगा या नहीं, इस पर रविवार को देर रात तक संशय की स्थिति बनी रही। वहीं, विधानसभा की सोमवार का कार्यसूची में भी फ्लोर टेस्ट को शामिल नहीं किया गया है, जबिक राज्यपाल ने सीएम कमलनाथ को पत्र लिखकर अभिभाषण के बाद फ्लोर टेस्ट कराने को कहा था। वहीं, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार को दोहराया कि वह फ्लोर टेस्ट को तैयार हैं, लेकिन जब तक बेंगलुरु में बंधक उनके विधायकों को स्वतंत्र नहीं किया जाता, यह नहीं हो सकता।
दरअसल, रविवार देर शाम सीएम हाउस में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई, जो देर रात तक चली। इस बाठक में कांग्रेस विधायक दल ने फैसला लिया कि जब तक बेंगलुरु में बंधक बनाए गए विधायकों को मुक्त नहीं किया जाता, तब तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराया जाएगा। साथ ही सदन में विपक्ष के अल्पमत की सरकार के आरोपों पर पलटवार करने के लिए बेंगलुरु गए 22 विधायकों के मुद्दे को आक्रामक ढंग से उठाया जाएगा और विधायकों की खरीद-फरोख्त को मामले में भाजपा का घेराव किया जाएगा। बैठक में सिंधिया समर्थक बेंगलुरु में ठहरे विधायकों को छोड़कर कांग्रेस और निर्दलीय विधायक शामिल थे।
विधायक दल की बैठक में सीएम कमलनाथ आश्वस्त दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा अनैतिक और असंवैधानिक रूप से पैदा किए गए संकट के इस दौर में हर हाल में जीत हमारी होगी। जयपुर में उनके विधायकों को ले जाया गया था तो उन्हें पारिवारिक माहौल में एक साथ रखा गया, वहीं बेंगलुरु में रखे गए हमारे साथी विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है। भाजपा के भी 22 विधायक अगर बंधक बना लिए जाएं तो क्या फ्लोर टेस्ट संवैधानिक होगा।
कुल मिलाकर सोमवार को सदन में सरकार की कोशिश रहेगी कि वह फ्लोर टेस्ट न होने दे, जबकि विपक्ष फ्लोर टेस्ट कराने की कोशिश करेगा। ऐसे में सदन में भारी हंगामे के आसार रहेंगे। यानी सियासी दांव-पेच से फ्लोर टेस्ट उलझता सकता है। वहीं, कोरोना वायरस का खतरा जताकर विधानसभा का सत्र टालने की आशंका बढ़ गई है।