6 महीने की बैठकों का हल निकला प्रशांत किशोर की एंट्री, हो सकते है कांग्रेस में शामिल

6 महीने तक चले बैठकों और मुलाकातों के दौर के बाद अब कांग्रेस में प्रशांत किशोर की एंट्री करीब-करीब तय मानी जा रही है। छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बुधवार को दिल्ली पहुंचे हैं। वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे और PK के मसले पर बात करेंगे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कहा है कि प्रशांत किशोर जैसे स्ट्रैटजिस्ट का अनुभव कांग्रेस के लिए फायदेमंद होगा।

सूत्रों के मुताबिक, PK को पार्टी महासचिव का रोल दिया जा सकता है। वे स्ट्रैटजी और अलायंस पर काम करेंगे। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस में पहली बार इस तरह के पद बनाए जाएंगे। यानी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए प्रशांत कांग्रेस की चुनावी रणनीति और दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन पर फैसला करेंगे।

पिछले 22 से अधिक विधानसभा और 2 लोकसभा चुनाव हार चुकी कांग्रेस के लिए PK कितने फायदेमंद होंगे? ये तो वक्त ही बताएगा।

जानिए किस मकसद से कांग्रेस में शामिल होना चाहते है PK

अक्टूबर 2021 में राहुल-प्रियंका से मुलाकात में प्रशांत किशोर ने पार्टी में अपनी भूमिका का जिक्र किया था। उस वक्त पार्टी के फैसले लेने वाली सबसे बड़ी बॉडी कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के सदस्यों के विरोध की वजह से PK की एंट्री टल गई थी, लेकिन अब प्रशांत के कांग्रेस में शामिल होने और उनकी भूमिका को लेकर हाईकमान की मुहर लगभग लग चुकी है। स्ट्रैटजी और अलांयस की भूमिका में आते ही प्रशांत के जिम्मे दो बड़े काम होंगे।

प्रशांत विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी के लिए रणनीति तैयार करेंगे। राज्य के प्रभारी से सीधे कनेक्ट होकर रणनीति को अमल में लाएंगे। PK कांग्रेस में गठबंधन सहयोगियों के साथ बातचीत और सीट बंटवारे का काम देखेंगे। वे इसकी रिपोर्ट सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को करेंगे।

कांग्रेस को लेकर PK की क्या है स्ट्रेटजी?

प्रशांत किशोर ने अपने प्रेजेंटेशन में कांग्रेस में जान फूंकने के लिए कई सुझाव दिए हैं। इनमें देशभर में लोकसभा की 370 सीटों पर फोकस, बिहार-यूपी और ओडिशा में एकला चलो और तमिलनाडु और महाराष्ट्र में गठबंधन करने की रणनीति शामिल है।

इसके अलावा, PK ने सुझाव दिया कि कांग्रेस के कम्युनिकेशन सिस्टम में बदलाव करने की जरूरत है। PK ने एक अन्य सुझाव में कहा कि जिन राज्यों में कांग्रेस का सीधा मुकाबला भाजपा से है। उन राज्यों में पार्टी के स्ट्रक्चर में बदलाव करने की जरूरत है। साथ ही PK ने कहा कि कांग्रेस में एक फुल टाइम प्रेसिडेंट की जरूरत है, जो संगठन को चला सके।

कांग्रेस के लिए कितने फायदेमंद होंगे प्रशांत किशोर?

प्रशांत पिछले 10 सालों में अलग-अलग नेताओं के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम कर चुके हैं। इनमें प्रधानमंत्री मोदी, तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन, महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे, बंगाल के CM ममता बनर्जी, बिहार के CM नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के CM जगनमोहन रेड्डी प्रमुख हैं।

PK के इस पद पर आने के बाद पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी को मजबूत गठबंधन सहयोगी मिल सकते हैं। प्रशांत किशोर के पास करीब 8 राज्यों में काम करने का अनुभव है। इन राज्यों में PK की रणनीति पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है। प्रशांत भाजपा के साथ भी काम कर चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस भाजपा की कमजोरी और मजबूती भी बेहतर तरीके से जान सकेगी। यह चुनावी रणनीति के लिए फायदेमंद होगा।

जानिए कांग्रेस को PK की जरूरत क्यों पड़ी?

138 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी पहली बार किसी चुनावी रणनीतिकार को पार्टी में शामिल कराने जा रही है। आखिर कांग्रेस को इसकी जरूरत क्यों पड़ी? इस सवाल के जवाब में वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई कहते हैं- पिछले 10 सालों में चुनाव लड़ने का ट्रेडिशनल तरीका बदल चुका है। अब चुनाव प्रोफेशनल तरीके से लड़ा जा रहा है। ऐसे में हाईकमान यह महसूस कर रही है कि PK के आने से कांग्रेस में प्रोफेशनलिज्म का तड़का लग सकता है।

पटेल-बोरा की कमी दूर करने की चुनौती

पिछले दो दशक से ज्यादा समय से कांग्रेस में अहमद पटेल पॉलिटिकल क्राइसिस और मोतीलाल बोरा फाइनेंशियल क्राइसिस का निपटारा करते थे। दोनों के निधन के बाद से कांग्रेस में अब तक कोई भी उनका रोल नहीं ले पाया है, जिस वजह से कई राज्यों में कांग्रेस के भीतर अंदरुनी लड़ाई अब भी जारी है।

चुनाव के समय कांग्रेस के नेता एक-दूसरे से लड़ते रहते हैं। ऐसे में इन चुनौतियों से PK कैसे पार पाएंगे? इस सवाल के जवाब में किदवई कहते हैं- प्रशांत किशोर जानते हैं कि चुनाव में क्या करना चाहिए और क्या नहीं? हम ये बंगाल समेत कई चुनाव में देख चुके हैं। इसलिए मुझे लगता है कि PK के आने से कांग्रेस चुनाव लड़ने के तरीके को सीख पाएगी।

कांग्रेस में शामिल होने से PK को क्या मिलेगा?

PK को कांग्रेस में शामिल होने से क्या मिलेगा? इस सवाल पर किदवई कहते हैं- क्षेत्रीय पार्टी और राष्ट्रीय पार्टी में काम करने में फर्क होता है। PK यहां नेशनल लेवल पर काम कर सकेंगे और अपनी पॉलिटिकल एंबिशन को भी पूरा कर सकेंगे।

कांग्रेस में आसान नहीं PK की एंट्री

PK के लिए कांग्रेस में अपनी जगह बनाना आसान नहीं है। प्रशांत किशोर को अंदरुनी और बाहरी दोनों स्तरों पर अपनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। पार्टी भले 240 सीटों पर भाजपा से सीधे मुकाबले में हो, लेकिन यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अभी पार्टी के पास करीब 10 सांसद ही हैं। इन सभी राज्यों में पार्टी के भीतर अंदरुनी लड़ाई भी चल रही है। ऐसे में 2024 तक इसे खत्म कर पटरी पर वापस लाना आसान नहीं है।

इसके अलावा, प्रशांत किशोर के सामने पार्टी के भीतर बने G-23 नेताओं को भी साथ लेकर चलने की चुनौती होगी। अभी तक PK की मीटिंग में G-23 के नेता शामिल नहीं हुए हैं। ऐसे में उनके शामिल होने के बाद G-23 के नेता PK का स्वागत करेंगे, इस पर भी संशय है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें