प्रयागराज. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कुम्भ के अवसर गुरूवार सुबह पूजापाठ के लिये संगम नगरी प्रयागराज में पहुंचे।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया। उसके बाद श्री कोविंद कुम्भ मेला क्षेत्र के लिय रवाना हो गये।
वे संगम नोज पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम की वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा करेंगे। इसके लिये सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। राष्ट्रपति सुबह 09.35 बजे पर बम्हरौली एयरपोर्ट पर पहुंचें। वहां से हेलीकाफ्टर द्वारा अरैल स्थित डीपीएस हैलीपेड पर आएं फिर, वहां से सड़क मार्ग से दिन के 10.20 बजे संगम नोज पहुंचें। यहां वह गंगा पूजा में उन्हें हिस्सा लेना है। दिन के11.06 बजे तक गंगा पूजा करेंगे। यहां गंगा पूजा करने के बाद राष्ट्रपति दिन के 11.20 बजे अरैल क्षेत्र में स्थित परमार्थ निकेतन के शिविर में पहुंचेंगे, जहां विश्व शांति यज्ञ में प्रथम आहुति उनके हाथों डाली जाएगी
संगम में पुजारी दीपू मिश्रा ने 21 बटुकों के साथ राष्ट्रपति और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को विधि विधान से पूजा अर्चना कराई। राष्ट्रपति कोविंद गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के विहंगम दृश्य को देखकर अभिभूत हो गए। वह करीब आधा घंटे तक वहां रहे। राष्ट्रपति पिछले वर्ष माघ मेले में भी परिवार के साथ आए थे।बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति के कुछ बड़े साधु संतों के साथ मुलाकात का भी कार्यक्रम है।
वह शाम 4:30 बजे वायुसेना के विशेष विमान से दिल्ली के लिए रवाना होंगे। गौरतलब है कि कुंभ मेला 2019 का मकर संक्राति से आगाज हो गया है और मकर संक्राति पर पहला शाही स्नान हो गया है। बीच में और भी शाही स्नान होंगे और आखिरी शाही स्नान 4 मार्च होगा और इसी दिन कुंभ मेले का समापन भी होना है।
राष्ट्रपति ने कहा- आज हम संकल्प लें और बापू के स्वच्छताग्रही मिशन को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें। गांधीजी के मन में स्वच्छता अभियान को आगे बढ़ाने की पीड़ा थी। वह हमेशा स्वच्छता को लेकर चिंतित रहते थे। स्वच्छता का संबंध हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। हम स्वस्थ्य रहेंगे तो हमारा परिवार स्वस्थ्य रहेगा और परिवार स्वस्थ्य रहेगा तो गांव स्वस्थ्य रहेगा। इसी तरह स्वस्थ्ता का क्रम बढ़ता रहेगा।
सीएम योगी ने कहा कि प्रयागराज में 450 साल बाद अक्षयवट और सरस्वती कूप के दर्शन हुए। यह आजादी के बाद का पहला कुंभ है, जब गंगा के प्रवाह में कोई रूकावट नहीं हो रही है। गंगा में पानी की कोई कमी नहीं है। उन्होंने इसके लिए स्वामी अच्युतानंद का आभार जताया। गंगा में गिरने वाले सभी नालों को बंद किया गया है। हमने इसके लिए बायो रेमिडेशन पद्धति अपनाई।
32 फीट ऊंची है महर्षि भारद्वाज की प्रतिमा
महर्षि भारद्वाज की प्रतिमा 32 फीट की इस प्रतिमा को 13 फीट की आधारशिला पर स्थापित किया जा रहा है। इसका आधार स्टील से बनाया गया है। ऊपरी परत कल्चर्ड मार्बल की है। इसे इन्दौर के कलाकार महेंद्र कोडवानी ने बनाया है। मूर्ति का वजन 12 टन है।
योगी ने पसंद की थी डिजाइन
महर्षि भारद्वाज की प्रतिमा की डिजाइन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पसंद की है। प्रयागराज में लम्बे समय से ऋषि भारद्वाज के नाम से पार्क बना हुआ है। मूर्ति की स्थापना पार्क के पास ही की गई है।
कौन थे ऋषि भारद्वाज
ऋषि भारद्वाज को प्रयाग का प्रथम वासी माना जाता है। कहा जाता है कि ऋषि भारद्वाज ने ही प्रयाग को बसाया था। चरक संहिता के अनुसार, भारद्वाज ने इंद्र से आयुर्वेद का ज्ञान पाया। महर्षि भारद्वाज व्याकरण, आयुर्वेद संहिता, धनुर्वेद, राजनीतिशास्त्र, यंत्रसर्वस्व, अर्थशास्त्र, पुराण, शिक्षा आदि पर अनेक ग्रंथों के रचयिता थे।