पुलवामा अटैक: सेना का प्लान तैयार, इन तरीको से बदला लेगा भारत…

air strikes

पुलवामा में आतंकी हमले से पूरे देश लोगों में गुस्से की लहर है। लोगों ने पाकिस्तान का पुतला फूंककर अपना गुस्सा जाहिर किया और केंद्र सरकार से आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की मांग की। लवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के लोगों ने श्रद्धांजलि दी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गुरूवार को आतंकी हमले में घायल हुए 30 जवानों में से चार गम्भीर रूप से घायल जवानों ने अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया है। अस्पताल में शहीद हुए जवानों के साथ ही अब इस हमले में शहादत पाने वाले जवानों की संख्या 48 हो गई है। गुरूवार को हुए इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए थे जबकि इस दौरान 30 जवान घायल हुए थे।

बबते चले पुलवामा आतंकी हमले के बाद सशस्त्र बलों ने नियंत्रण रेखा पर अस्थिरता के साथ सैन्य दबाव बढ़ा दिया है। पाकिस्तान की सेना ने भी अपनी सतर्कता को बढ़ा दिया है। आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के लिए प्रमुख भावना यह है कि सरकार को इस्लामाबाद को उसके व्यवहार में बदलाव के लिए मजबूर करने के लिए सीमित सीमा पार कर हमलों के विकल्पों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने कहा कि युद्ध में जाने के लिए सैन्य विकल्प, जमीनी हमलों और नियंत्रण रेखा के साथ कुछ ऊंचाइयों पर कब्जे तक सीमित हो सकते हैं, लेकिन पीओके में ‘नॉन स्टेट टारगेट्स’ के खिलाफ सटीक हवाई हमले हो सकते हैं। इस बात पर सहमति बन सकती है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सावधानीपूर्वक कैलिब्रेटेड एयरबोर्न स्ट्राइक सबसे व्यवहार्य और प्रभावी विकल्पों में से है।

ये है सेना का प्लान  

स्मार्ट’ ग्लाइड बम और मिसाइलों से लैस सुखोई-30एमकेआई, मिराज-2000 और जगुआर जैसे लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल पाकिस्तानी हवाई क्षेत्र को बिना क्रॉस किए आतंकी कैंप और एलओसी के पास लॉन्च पैड्स के लिए किया जा सकता है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘ऐसे हवाई हमलों के लिए तैयारी का समय न्यूनतम है।’

फिर, 90 किलोमीटर तक हमला करने वाले मल्टीपल-लॉन्च रॉकेट सिस्टम और 290KM ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना की चौकियों, आतंकी कैंपों और लॉन्च पैड्स को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है। लेकिन इस तरह के किसी भी आक्रामक विकल्प का प्रयोग करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसके बाद प्रतिशोध का जोखिम बढ़ सकता है।

इस तरह के विकल्प का मकसद पीओके में आतंकी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना होगा, न कि पाकिस्तान के नागरिकों को। 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के समय उत्तरी कमान के प्रमुख रहे, लेफ्टिनेंट जनरल डी एस हुड्डा (रिटायर) ने कहा, ‘पुलवामा एक बड़ी त्रासदी है। इस में पाकिस्तान का हाथ है। हम कब तक ऐसे हमले बर्दाश्त करते रहेंगे? हमें गंभीरता से कुछ कठोर विकल्पों को देखना शुरू करना होगा।’

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