गणतंत्र दिवस की परेड में इस बार महाराष्ट्र की झांकी नहीं होगी। केंद्र सरकार ने इसे राजपथ पर परेड के लिए अस्वीकार कर दिया है। इस बार मराठी रंगमंच के 175 साल पूरे हो रहे हैं और यह झांकी इसी थीम पर बनाई गई थी। अब इस मुद्दे पर शिवसेना और राकांपा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए पक्षपात का आरोप लगाया है। राकांपा नेता जितेंद्र आव्हाड ने भी इस जानकारी की पुष्टि की है।
शिवसेना के सांसद संजय राउत ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए ट्विटर पर लिखा है। महाराष्ट्र की झांकी हमेशा से देश का आकर्षण रही है। अगर यही कांग्रेस के कार्यकाल में हुआ होता तो महाराष्ट्र भाजपा हमलावर हो जाती। बता दें कि गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर कई झांकियां निकलती हैं, जिनमें राज्य, केंद्र शासित प्रदेश और केंद्रीय मंत्रालयों की उपस्थिति होती है।
संजय राउत का ट्वीट..
महाराष्ट्राचा चित्ररथ राजपथावरील संचलनात नेहमीच देशाचे आकर्षण ठरत आला.अनेकदा पहिल्या क्रमांकाचा पुरस्कार मिळाला. महाराष्ट्राला डावलून केंद्र सरकारला कोणता घोडा पुढे सरकवायचा आहे. हे काँग्रेस राजवटीत घडले असते तर महाराष्ट्र भाजपाने बोंबाबोंब केली असती. आज गप्प का?
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) January 2, 2020
सुप्रिया सुले ने भी साधा भाजपा पर निशाना
राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने कहा- केंद्र ने गणतंत्र दिवस परेड के लिए गैर-भाजपा शासित महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की झांकी को अनुमति देने से इनकार कर दिया है। यह सरकार पूर्वाग्रहपूर्ण तरीके से व्यवहार कर रही है। उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उनकी झांकी के लिए कथित तौर पर अनुमति देने से इनकार करने का निर्णय लोगों का अपमान है। यह देश का त्योहार है और केंद्र से सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व देने की उम्मीद की जाती है। बता दें कि गणतंत्र दिवस के दौरान महाराष्ट्र की झांकी काफी पसंद की जाती रही है। 1980 में छत्रपति ‘शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक’ थीम पर पर बनी झांकी को पहला स्थान मिला था। इसी के साथ 1983, 1993, 1994 और 1995 में राज्य की झांकी टॉप 5 में रही।