सीतापुर: पुलिस संग आबकारी विभाग की मिली भगत के चलते कुटीर उद्योग बना कच्ची शराब

सकरन-सीतापुर। शराब के शौकीनों की पहली पसंद बनी कच्ची शराब कहीं जानलेवा ना बन जाये क्योंकि यह देसी शराब से काफी सस्ते दामों पर आसानी से उपलब्ध हो जाती है क्षेत्र के बिसवा व सकरन थाना क्षेत्र में स्थानीय पुलिस व आबकारी विभाग की सेटिंग के चलते लगभग आधा सैकड़ा गांव में कच्ची शराब का काला कारोबार मोटी कमाई का जरिया बन चुका है वही केमिकल यूरिया व अन्य हानिकारक तत्वों से उत्पादित होने वाली कच्ची शराब से आए दिन बड़ी बड़ी घटनाएं सुनने को मिल रही है वहीं बड़ी घटना होने पर प्रशासन सिर्फ खानापूर्ति करके मामले को ठंडे बस्ते में डाल देता है।

क्षेत्र के रेवान, मोइयापुरवा, टेंडवाड़ीह, झाउआ, सिंघापुर, पटनी, उल्लाहा, पटना,कम्हरियाकटेसर, गोंडियनपुरवा, ठेकेपुरवा ,सेमराखुर्द ,रेंधौरा, कुचलैय्या, किशुन मडोर,मिशिरपुरवा ,प्यारापुर, काजीपुर, बदली पुरवा ,सकरन, लालपुरवा, लोहजरा, धनपुरिया, अदलिश पुर, कुर्मिनपुरवा,मोहारी, पतरासा, मनिकौरा ,नसीरपुर ,अन्दूपुर, गढ़वाडीह, उमराकला, तारपारा, प्यारापुर,कल्ली,अंबई,मदनापुरघाट ,कोल्हआपुरवा,घलघला, मिहिपुरवा ,सुमरावा, सैदापुर, भैंसी ,सिकरहना, मढ़ीया, लालापुरवा ,पुरैनी, बिचपरी ,हुलास पुरवा, ईदगाह पुरवा,भोलागंज सहित लगभग आधा सैकड़ा गांव में कच्ची शराब की भट्टिया धड़क रही है।

देसी शराब की तुलना में कच्ची शराब जहां कम दामों पर मिल जाती है वही यह देसी शराब की अपेक्षा अधिक नशीली भी होती है शाम ढलते ही गांव में नशेड़ीयो की भीड़ जमा होने लगती है शराब के नशे में आए दिन सड़कों पर हादसे तो होते ही हैं साथ ही क्षेत्र में चोरियों का ग्राफ भी काफी तेजी से बढ़ा हुआ है क्षेत्रवासियों का कहना है कि जब भी कोई घटना होती है तो प्रशासन सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर ऐसे लोगों को चैकी थाने तक लाकर फिर गठजोड़ करके छोड़ देते हैं ठोस कार्यवाही ना होने के चलते कच्ची शराब के व्यापारियों का हौसला बढ़ा हुआ है जिससे वह धड़ल्ले से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। मामले को लेकर जिला आबकारी अधिकारी कृष्ण पाल यादव से बात करने का प्रयास किया गया किंतु उनके द्वारा फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा गया।

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