गौरतलब है कि जनपद बिजनौर थाना नगीना के ग्राम बिंजाहैडी निवासी एक दलित महिला से वर्ष 2007 में राशन की दुकान का कोटा दिलाने के बहाने गैंगरेप के आरोप में इलाहाबाद विशेष अदालत में चल रहे मुकदमे में मनोज पारस के अधिवक्ता द्वारा संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दिए गए प्रार्थना पत्र को बीती 23 अप्रैल 19 को हाइकोर्ट द्वारा खारिज कर दिए जाने से गैंगरेप के आरोपी मनोज पारस व उसके साथियों के लिए कानूनी दांवपेंच के सभी रास्ते बंद हो गए थे। हाईकोर्ट के इस आदेश से पिछले 13 साल से कानून के साथ लुका छिपी का खेल खेलने वाले आरोपी मनोज पारस के पास जेल के अलावा कोई रास्ता नही बचा था।
शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट कोर्ट के स्पेशल जज पवन कुमार तिवारी ने एसपीओ व एडीजीसी की दलील सुनकार अभियुक्त मनोज पारस की जमानत याचिका को खारिज करते हुए उसे जेल भेज दिया है। जबकि पिछले 13 साल से कानूनी दांव पेंच के जरिये सत्ता और ताक़त के बल पर कानून को धता बता रहे दलित महिला से गैंगरेप के आरोपी मनोज पारस के जेल जाने से पीडिता ने राहत की सांस लेते हुए हमारे संवाददाता शहज़ाद अंसारी को बताया कि वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद दरिंदे मनोज पारस के जेल जाने से वह सन्तुष्ट हैं और उनका न्याय प्रणाली पर भरोसा बढ़ा है। पीडिता का कहना है कि आरोपी चाहे जितना ताकतवर हो अगर आपको अपने हक़ की आवाज़ उठाने की हिम्मत है तो इंसाफ जरूर मिलेगा। जेल जाते ही आरोपी सपा विधायक मनोज पारस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं इतना ही नही मनोज परस के जेल जाने की खबर सुनते ही जयजयकार करने वाले छुटभैये समर्थक भूमिगत हो गए।