शहीद जवानों को प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री, राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पालम हवाई अड्डे पर जम्मू कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स(सीआरपीएफ) के जवानों को श्रद्धांजलि दी।उन्होंने हाथ जोड़कर सभी पार्थिव शरीरों की परिक्रमा की।

प्रधानमंत्री के अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर, थलसेनाध्यक्ष विपिन रावत, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत तमाम नेताओं और सैन्य अधिकारियों ने शहीद जवानों के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

प्रधानमंत्री ने राजनाथ सिंह, सीआरपीएफ प्रमुख और तमाम सैन्य अधिकारियों से जवानों के पार्थिव शरीर उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था के बारे में भी जानकारी ली। पालम हवाई अड्डे पर श्रीनगर से शाम साढ़े सात बजे शहीद जवानों का पार्थिव शरीर लाया गया। श्रद्धांजलि के बाद जवानों के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक घर को विशेष विमान से रवाना किया गया। इससे पूर्व, आज सुबह कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री विशेष विमान से जम्मू कश्मीर पहुंचे, जहां उन्होंने राज्यपाल के साथ शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी और जवानों के पार्थिव को कंधा भी दिया।

मौसम खराब होने के चलते पार्थिव शरीर को दिल्ली लाने वाला विमान देरी से उड़ा और देर शाम दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पहुंचा।

राजनेताओं ने दी श्रद्धांजलि

तीनों सेना के प्रमुखों ने दी श्रद्धांजलि

बता दें कि केंद्र सरकार ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। यह बैठक केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह अध्यक्षता में सुबह 11 बजे संसद की लाइब्रेरी में होगी। माना जा रहा है कि सरकार सभी राजनीतिक दलों को हमले के बारे में पूरी जानकारी देगी और आगे की रणनीति पर भी चर्चा की जा सकती है। पीएम मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी की बैठक में सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला लिया गया था।

सूत्रों की मानें तो मोदी सरकार इस हमले के बाद उठाए जाने वाले किसी भी कदम से पहले विपक्षी दलों को भी विश्वास में लेना चाहती है। इसके अलावा यह संदेश देने की भी कोशिश की जाएगी कि संकट की इस घड़ी में सभी पार्टियां साथ हैं। सरकार की कोशिश है कि विपक्ष को विश्वास में लेने के बाद कोई भी कदम उठाना आसान होगा। हालांकि केंद्र में सरकार की सहयोगी पार्टी शिवसेना इस मुद्दे पर संसद का संयुक्त सत्र बुलाने की मांग कर चुकी है।

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