ई-रिक्शा में स्कूली बच्चों का सफर नहीं है सुरक्षित, खतरे मे जान

भास्कर समाचार सेवा
गढ़मुक्तेश्वर हादसे दर हादसे की के बाद भी लोग अपने लाडले को ऐसे वाहनों पर सवार कर स्कूल रवाना कर देते हैं, जिस पर क्षमता से अधिक सवारियां बैठी हों।स्कूली ई-रिक्शा पर बच्चों से इतने भरे हुए होते हैं कि चालक को हैंडल तक मोड़ने में दिक्कत होती है। क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाकर ई-रिक्शे और स्कूली वैन दौड़ रहीं हैं लेकिन फिर भी अधिकारी कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं। पंजीकृत वाहनों के अलावा अपंजीकृत वाहन भी सड़कों पर दौड़कर बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं।
अहम बात यह है कि बसों की फिटनेस न होने पर अधिकारियों ने कार्रवाई कर दी, लेकिन ई-रिक्शों के बारे में जरा भी नहीं सोचा। ई-रिक्शों पर क्षमता से अधिक सवारियां बैठाकर दौड़ाया जा रहा है। स्कूल संचालक ई-रिक्शों पर इतने बच्चे सवार कर देते हैं कि बैठने तक के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती है। बच्चों को चालक वाली सीट पर बैठा दिया जाता है। आठ सवारियों वाले रिक्शे पर दस से 12 बच्चे बैठाकर सुरक्षा से खिलवाड़ किया जा रहा है।

ई-रिक्शे पर 11 सवारियां, हैंडल मोड़ना भी मुश्किल
-स्कूली बच्चों की जिंदगी के साथ कितना खिलवाड़ किया जा रहा, इसकी बानगी स्कूलों की छुट्टी होने के दौरान देख सकते हैं। ई-रिक्शे पर बच्चों को क्षमता से अधिक बैठाया जा रहा। पीछे की सीटों पर छह सवारियों को बैठाने के बजाय आठ-आठ बच्चे बैठाया जाते हैं। कुछ ई-रिक्शों पर सीटों पर बैठाने के साथ ही बच्चों को खड़ा भी कर दिया जाता है। इसके अलावा चालक के साथ भी दो बच्चे बैठे हुए देखे जा सकते हैं। दो बच्चे बैठे होने के कारण चालक को हैंडल मोड़ने तक में दिक्कत आती है।

कवर नहीं रिक्शे, हादसे की रहती संभावना

-जनपद में संचालित अधिकतर स्कूली ई-रिक्शे कवर्ड नहीं है। सड़कों पर दौड़ने वाले नाम मात्र के ही ई-रिक्शे पूरी तरह से सुरक्षा के मानकों को पूरा कर रहे होंगे। पूरी तरह से खुले ई-रिक्शों के कारण बच्चों के गिरने की संभावना भी बनी रहती है। इन रिक्शों पर बच्चों के साथ हादसा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

अतिरिक्त सीटें डालकर मानकों के साथ खिलवाड़
स्कूल संचालकों ने ई-रिक्शे में अतिरिक्त सीटें लगवा रखी हैं, जिसके जरिये क्षमता से अधिक बच्चों को बैठाकर ई-रिक्शे चलाए जा रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। वहीं दूसरी तरफ अभिभावक भी बच्चों की सुरक्षा की परवाह किए बिना इन ई-रिक्शों पर बच्चों को भेज रहे। अधिक बच्चे होने के कारण ई-रिक्शों के पलटने की संभावना बनी रहती है।

-स्कूल में ई-रिक्शे चलाने का प्रावधान ही नहीं है। अभिभावक ही बच्चों को ई-रिक्शे पर भेज रहे हैं। चालक वाली सीट पर बच्चों को बैठाया जाना गलत है। ऐसे ई-रिक्शों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए बंद कराया जाएगा। दो दिन के बाद अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी। -आशुतोष उपाध्याय एआरटीओ

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