ड्रग्स केस में फंसे दिग्गज अकाली नेता 8 मार्च तक न्यायिक हिरासत में 

ड्रग्स केस में फंसे दिग्गज अकाली नेता बिक्रम मजीठिया की जमानत पर मोहाली कोर्ट में बहस पूरी हो गई है। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब कोर्ट किसी भी वक्त अपना फैसला सुना सकती है। एसआईटी पक्ष की तरफ से सरकारी वकील ने NDPS एक्ट के तहत लगे आरोपों की गंभीरता का हवाला देते हुए जमानत का विरोध किया गया।

सुनवाई पूरी होने के बाद बिक्रम मजीठिया के एडवोकेट डीएस सोब्ती ने कहा कि हमने कोर्ट के आगे सारे तथ्य रख दिए हैं। इसमें फैसले को लेकर टाइम लगेगा। एडवोकेट अर्शदीप कलेर ने कहा कि बिक्रम मजीठिया 3 बार एसआईटी के आगे पेश हो चुके हैं। जो भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कहा, मजीठिया ने वह सब मान लिया। इसके बाद मजीठिया ने सरेंडर भी कर दिया। कल भी पुलिस ने पूछताछ की और कोर्ट में लिखकर दिया कि हमें कस्टडी की जरूरत नहीं, इसीलिए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मजीठिया ने गुरूवार को मोहाली कोर्ट में सरेंडर किया था। इसके बाद पंजाब पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने उनकी कस्टडी मांगी। हालांकि कोर्ट ने परिसर में ही पूछताछ के लिए एक घंटे का वक्त दिया। इसके बाद उन्हें 8 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

मजीठिया को कोर्ट ने संगरूर जेल भेजने का ऑर्डर दिया था। वहां कोरोना की वजह से उन्हें रात को ही पटियाला जेल शिफ्ट कर दिया गया। मजीठिया ने पंजाब कांग्रेस चीफ नवजोत सिद्धू के खिलाफ अमृतसर ईस्ट से चुनाव लड़ा है।

ट्रायल कोर्ट और HC ने खारिज की थी जमानत, SC से मिली राहत
बिक्रम मजीठिया के खिलाफ कांग्रेस सरकार ने मोहाली क्राइम ब्रांच में ड्रग्स केस दर्ज किया था। उन पर इंटरनेशनल ड्रग तस्करों से साठगांठ के आरोप हैं। केस दर्ज होने के बाद उन्होंने मोहाली कोर्ट में अग्रिम जमानत लगाई थी, हालांकि यह खारिज हो गई। इसके बाद वह पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट चले गए। वहां कुछ दिन की अंतरिम राहत के बाद उनकी याचिका खारिज हो गई। फिर वह सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा चुनाव को देखते हुए 23 फरवरी तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।

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