राम दरबार की मूर्ति गिराए जाने के मामले में राजस्थान विधानसभा में बोले स्पीकर- यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना

सालासर में नेशनल हाईवे को चौड़ा करने के लिए राम दरबार की मूर्ति गिराए जाने के मामले में विधानसभा पर चर्चा की अनुमति नहीं दी गई। शून्यकाल में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए मुद्दा उठाना चाहते थे, लेकिन स्पीकर ने अनुमति नहीं दी। राठौड़ ने स्पीकर से कहा कि सालासर में राम दरबार की मूर्ति गिराए जाने पर प्रस्ताव दिया था, उस पर चर्चा की अनुमति नहीं दी है। इस पर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने राजेंद्र राठौड़ को बीच में ही टोकते हुए कहा कि केंद्र सरकार के मुद्दे पर विधानसभा में चर्चा नहीं हो सकती। भारत सरकार की संस्था और कॉन्ट्रैक्टर ही उस सड़क का काम कर रहा है। भगवान राम की मूर्ति वहां पर लगी हुई थी, उसे जिस तरह से गिराया गया, वह दुर्भाग्यूपर्ण है, आपकी भावना को भारत सरकार से अवगत करा देंगे। इस पर ​हाउस में चर्चा नहीं होगी।

एप्रोप्रिशन बिल पर बहस के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा- प्रदेश में गधों और ऊंटों की संख्या लगातार कम हो रही है। यह भी एक संयोग है कि UP, पंजाब, मणिपुर उत्तराखंड में जहां हाल ही चुनाव हुए हैं वहां भी गधों की संख्या में भारी कमी आई है। यह पशुगणना के आंकड़े हैं।

यह एक संयोग है, जहां गधे कम हो रहे हैं, उन राज्यों में कांग्रेस हार रही है। यह गधों और कांग्रेस का कोई गठजोड़ है। इस पर सभापति और मंत्रियों ने आपत्ति की तो राठौड ने कहा कि गधों और कांग्रेस का गठजोड़ हो ही नहीं सकता। मुझे तो चिंता है कि जहां-जहां गधे कम हो रहे हैं, वहां कांग्रेस हार रही है। हमारे राजस्थान में भी गधे कम हो रहे हैं और अगले साल चुनाव है, कांग्रेस का क्या होगा?

अफसर सदन से नदारद, विपक्ष ने की आपत्ति
विधानसभा में एप्रोप्रिएशन और फाइनेंस बिल पर बहस के दौरान वित्त विभाग के वरिष्ठ अफसरों के सदन में नहीं होने पर नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उपनेता प्रतिपक्ष राठौड़ ने आपत्ति जताई। राठौड़ अप्रोप्रिशन बिल पर बोल रहे थे। कहा- हम बोले रहे हैं,लेकिन ऑफिसर्स गैलरी में वित्त विभाग के प्रमुख सचिव और सचिव मौजूद नहीं है। ये बड़े अफसर मुख्यमंत्री जब आएंगे तब उनके साथ आएंगे, फिर बिल पर यहां बोलने का मतलब क्या रह जाएगा? अफसरशाही को इतना हावी कर दिया है। अफसर सदन के प्रति उत्तरदायी नहीं दिख रहे, मुख्यमंत्री के प्रति उत्तरदायी हो गए हैं।

मैं भी कल मेरे प्रधान-सरपंच को प्रतिनिधि बनाकर यहां भेज दूं?
मंत्री बीडी कल्ला ने कहा- वित्त विभााग के प्रमुख सचिव के प्रतिनिधि मौजूद हैं, वे लिख रहे हैं। राठौड़ बोले- प्रतिनिधि का क्या मतलब है? मैं भी कल मेरे प्रधान-सरपंच को प्रतिनिधि बनाकर यहां सदन में भेज दूं क्या? यह अफसरशाही को कितना हावी कर दिया है कि मंत्री को असहाय होकर उनकी तरफदारी करनी पड़ रही है।

कटारिया बोले- सीनियर अफसरों का नदारद रहना गंभीर बात
नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा कि सदन में वित्त विभाग के वरिष्ठ अफसर नहीं होना गंभीर बात है। एप्रोप्रिएशन बिल पर चर्चा के दौरान वरिष्ठ अफसरों का सदन की ऑफिसर्स गैलरी में होना जरूरी है। कल्ला ने जब सफाई दी तो कटारिया ने कहा कि जो मर्जी आए आप करते रहि​ए।

कांग्रेस विधायक ने महेश जोशी को घेरा
इससे पहले विधानसभा में जलदाय मंत्री महेश जोशी एक बार फिर कांग्रेस विधायक के निशाने पर आ गए हैं। इस बार विधायक मेवाराम जैन ने बाड़मेर-मोहनगढ लिफ्ट कैनाल पेयजल प्रोजेक्ट 10 साल से पूरा नहीं होने के बहाने तल्ख लहजे में सवाल उठाए हैं। जलदाय मंत्री महेश जोशी ने कहा कि 2024 तक बाड़मेर-मोहनगढ़ लिफ्ट पेयजल प्रोजेक्ट को 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा।

भाजपा सरकार को घेरेगी
विधानसभा में आज शाम को प्रदेश का बजट पास होगा। बीजेपी आज सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव पर नासिक में दर्ज हुई धोखाधड़ी की एफआईआर का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरने का प्रयास करेगी। एप्रोप्रिएशन बिल पर बहस के दौरान यह मुद्दा उठा सकती है। सुजानगढ़-सालासर हाईवे पर राम गेट तोड़ने का मुद्दा बीजेपी सदन में उठाना चाहती थी लेकिन स्पीकर ने अनुमति नहीं दी।

दिनभर बहस, शाम को पास होगा बजट
आज एप्रोप्रिएशन बिल और फाइनेंस बिल पर दिनभर बहस होगी। शाम को इन्हें पारित ​किया जाएगा। दोनों बिल पारित होने से पहले मुख्यमंत्री बहस का जवाब देंगे। इस दौरान गहलोत आज भी कई घोषणाएं करेंगे। विधायकों की मांग के आधार पर नई तहसील, उप-तहसील बनाने, नए थाने-चौकी खोलने, विधायक फंड में कुछ और काम जोड़ने, नए जीएसएस बनाने जैसी घोषणाएं शामिल हो सकती हैं।

आज सभी कांग्रेस विधायकों को सदन में रहने के निर्देश
आज सभी कांग्रेस विधायकों को सदन में रहने के निर्देश जारी किए गए हैं। एप्रोप्रिएशन बिल और फाइनेंस बिल पर बहस से लेकर वोटिंग के दौरान सभी कांग्रेस विधायकों को सदन में रहने को कहा गया है। फाइनेंस बिल पर वोटिंग के समय अगर सत्ता पक्ष के वोट कम हो जाए तो सरकार को इस्तीफा देना होता है। यह संवैधानिक प्रावधान है। फाइनेंस बिल के गिर जाने पर सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है, इसीलिए व्हिप जारी करके सभी कांग्रेस विधायकों को सदन में रहने के निर्देश जारी किए हैं। यह हर बार होता है।

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