आखिर भोलेनाथ ने ऐसा कौन सा दिया था श्राप जिससे इंसान रह जाता है निसंतान 

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ज्योतिष शास्त्र, वास्तु शास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र, ऐसी ही कुछ विधाएं हैं जिनके प्रयोग से हम जीवन में आ रहे संकटों के रुख मोड़ सकते हैं। तकलीफ होने पर लोग इन शास्त्रीय उपायों का प्रयोग करते हैं, लेकिन पहले भी यदि ये उपाय किए जाएं तो परेशानी का मुख नहीं देखना पड़ेगा। खैर यहां हम कपूर के प्रयोग से होने वाले कुछ शास्त्रीय उपायों की चर्चा करने जा रहे हैं। आशा है कि आपको ये उपाय पसंद आएंगे और आप इनका प्रयोग कर अपने जीवन और भी बेहतर बना सकेंगे।

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भगवान शिव ने कहा इस पाप के कारण मनुष्य को संतानहीन रहना पड़ता है आप सभी जानते ही हैं कि हिन्दू धर्म में कई बातें ऐसी बताई गई है जिन्हे जानने के बाद सभी हैरान रह जाते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं भगवान शिव के द्वारा बताए गए उस पाप के बारे में जिसके कारण इंसान को संतानहीन रहना पड़ता है. इस बारे में एक बहुत पुरानी कथा प्रचलित है जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

पौराणिक कथा – एक बार भगवान शिव और माता पार्वती कैलाश शिखर पर बैठे हुए थे और उन दोनों के बिच ज्ञान की बातें हो रही थी. पुराणों के अनुसार भगवान शिव ही ज्ञान के देवता है. जो मनुष्य शिवजी की पूजा करता है उन्हें ज्ञान प्राप्त होता है. ऐसे भगवान शिव को माता पार्वती ने एक प्रश्न पूछा और वह प्रश्न यह था कि मनुष्य को किस पाप के कारण संतानहिन रहना पड़ता है. उस समय भगवान शिव ने माता पार्वती को जो उत्तर दिया वह हम आप के समक्ष प्रस्तुत करने जा रहे है.

भगवान शिव ने कहा देवी सुनो जो मनुष्य निर्दय होकर मृगों, प्राणियों और पक्षियों के बच्चों को मारकर खा जाता है वह मनुष्य मरने के बाद दीर्धकाल तक नरक की यातना प्राप्त करता है. शिवजी आगे कहते है ऐसा मनुष्य जब सभी यातानाओं को सहन करके लंबे समय के बाद फिर से मनुष्य बनकर जन्म लेता है तो उसे संतान का सुख प्राप्त नहीं होता और वह संतानहीन होकर दुखी ही मृत्यु को प्राप्त हो जाता है..

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