दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में बीजेपी ने पहली सूची में अकाली दल के कोटे वाली 4 सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं करके गठबंधन की उम्मीद कायम रखी है. हालांकि बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के बीच गठबंधन को लेकर तस्वीर स्पष्ट नहीं हुई है. अकाली इस बार ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि बीजेपी के कई नेता गठबंधन के विरोध में हैं. इससे असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हालांकि, बीजेपी ने पहली सूची में अकाली कोटे वाली 4 सीटों पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं करके गठबंधन की उम्मीद कायम रखी है.
दूसरी तरफ बीजेपी साथ ही 3 सिख नेताओं आरपी सिंह को राजेंद्र नगर से, इम्प्रीत सिंह को जंगपुरा से और सुरेंद्र सिंह बिट्टू को तिमारपुर से मैदान में उतारकर अकालियों पर दबाव जरूर बढ़ा दिया है. वहीं, नजफगढ़ और मुंडका सीट पर बीजेपी प्रत्याशी घोषित होने से जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ गठजोड़ की आस भी धूमिल पड़ने लगी है. गौरतलब है कि बीजेपी पंजाब के साथ ही दिल्ली में भी अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ती रही है. पिछले विधानसभा चुनावों में राजौरी गार्डन, हरि नगर, कालकाजी व शाहदरा सीट अकालियों को मिली थीं. इसमें से हरिनगर को छोड़कर अन्य सीटों पर अकाली उम्मीदवार बीजेपी के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे थे.
अकाली दल इस बार इन सीटों के साथ ही मोतीनगर और रोहताश नगर सीट भी मांग रही थी. पार्टी ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं, लेकिन शेष 4 सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए गए हैं. बीजेपी नेताओं का कहना है कि पार्टी इस बार 3 सीट अकालियों को देना चाहती है. यह भी संभव है कि एक सीट पर बीजेपी नेता को अकाली कोटे से मैदान में उतारा जाए. इस तरह का प्रयोग वर्ष 2013 में भी हुआ था, जब बीजेपी नेता शाम शर्मा को अकाली कोटे से हरि नगर से चुनाव लड़ाया गया था.