जिस चौकी को हटाने में 20 जवानों ने दी थी शहादत, उसी को चीन ने फिर खड़ा किया

नई दिल्ली, । गलवान घाटी में 15/16 जून की रात चीन की जिस चौकी को लेकर हुए खूनी संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, उसी पोस्ट को चीनी सैनिकों ने फिर से खड़ा कर लिया है। 24 जून को हुई कोर कमांडर स्तर की वार्ता में दोनों पक्षों के बीच पीछे हटने की सहमति बनी थी जिस पर भारत के सैनिक तो वापस खिसक लिए लेकिन चीन अपनी दोगली चाल से बाज नहीं आया। खबर यह भी है कि पूर्वी लद्दाख के कुछ नए हिस्सों में चीन की ओर से लामबंदी की जा रही है। इससे संकेत मिलता है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और डेपसांग सेक्टरों में नया मोर्चा खोलने की तैयारी में है।

गलवान घाटी में 15 जून की शाम 7 बजे के करीब भारतीय सैनिकों का चीनियों से पहला टकराव वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगभग आधा किलोमीटर दूर पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के करीब बनी चीन की उस चौकी को हटाने पर हुआ जिसे उसी दिन हुई कोर कमांडर स्तर की वार्ता में हटाने पर सहमति बनी थी। शाम तक न हटने पर भारतीय सेना के कमांडिग अफसर कर्नल बी संतोष बाबू की टीम ने जब इस पोस्ट को उखाड़ कर फेंक दिया, तभी विवाद बढ़ा। इसके बाद आधी रात तक चले खूनी संघर्ष में कर्नल समेत 20 जवानों को शहादत देनी पड़ी।

गलवान घटना के बाद 22 जून को फिर चीन और भारत के बीच 11 घंटे तक हुई सैन्य लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की मैराथन बैठक में इस बात पर आपसी सहमति बनी कि दोनों देश पूर्वी लद्दाख में एलएसी से पीछे हटेंगे। इस समझौते पर भारत के सैनिक तो गलवान घाटी के पेट्रोलिंग पॉइंट 14 से पीछे एलएसी की ओर पीछे आ गए लेकिन चीन के सैनिक वहीं जमे रहे। हालांकि सेना ने आधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर उठाए गए सवालों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन अब सेटेलाइट की तस्वीरें बता रही हैं कि चीनियों ने खूनी संघर्ष वाली जगह पर उस विवादित पोस्ट को फिर से खड़ा कर लिया है जिसे हटाने के लिए भारत 20 बहादुर जवानों ने अपनी जान गवां दी थी।

इतना ही नहीं अब पूर्वी लद्दाख के कुछ नए हिस्सों में चीन की ओर से लामबंदी की जाने लगी है जिससे संकेत मिलता है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) और डेपसांग सेक्टरों में नया मोर्चा खोलने की तैयारी में है। डेपसांग वह इलाका है जहां पर चीन की सेना ने 2013 में घुसपैठ की थी। चीन ने ये बेस 2016 से पहले ही बनाए गए थे लेकिन इस महीने सेटेलाइट तस्वीरों पता चला है कि यहां पर नए शिविरों और वाहनों के लिए ट्रैक बनाए गए हैं। जमीनी ट्रैकिंग के जरिये भी इसकी पुष्टि हुई है।

हालांकि भारत ने मई के अंत में ही भांप लिया था कि चीन अगली लामबंदी डेपसांग में कर सकता है, इसीलिए भारतीय सैनिकों ने तभी से इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी पुख्ता कर ली थी। सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने आज ही अग्रिम चौकियों पर जाकर सेना की तैनाती की समीक्षा की है। सेना ने चीन को चौतरफा घेरने के लिए एलएसी पर भीष्म टी-90, टी-72 अजय और मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन तैनात कर दिए हैं।

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