जिनपिंग ने दिया देश को ‘धोखा’, नाराज CCP देगी सज़ा!

भारत से बेवजह पंगा लेकर बुरी तरह फंसे जिनपिंग की मुश्किलें अब अपने घर यानी कि चीन में ही बढ़ गई है. उसके लोग ही अब उसके खिलाफ हो गए हैं और जिनपिंग की जिद की वजह से बर्बाद होते चीन के लिए उसे गुनहगार मानकर सजा देने की तैयारी भी हो रही है. दुनिया को कोरोना के जरिये ‘मौत’ बांटने वाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का खेल अब खत्म होने वाला है. जिनपिंग ने धोखे से जो कोरोना दुनिया को बांटा उसकी सजा उसे मिलने वाली है. जीहां धूर्त जिनपिंग की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है. ब्रिटिश न्यूजपेपर एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक शी जिनपिंग को जल्द ही अपनी कुर्सी गंवानी पड़ सकती है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर बहुत दवाब है, कि वो जिनपिंग पर कार्रवाई करे, क्योंकि चीन इस वक्त जिस मुहाने पर खड़ा है, उसके लिए जिनपिंग ही जिम्मेदार है.

जिनपिंग ने भारत से पंगा लेकर अपने बाज़ार को तो बर्बाद कर ही दिया है. दूसरे पड़ोसियों से तनातनी मोल लेकर देश के खिलाफ दुनिया को खड़ा कर दिया है. अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देश भी चीन के खिलाफ मोर्चाबंदी कर रहे हैं. इससे चीन में जिनपिंग के खिलाफ काफी असंतोष पनप रहा है, क्योंकि भारत से पंगा लेकर जिनपिंग ने अपनी सेना और देश दोनों की नाक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कटवाई है. गलवान में जिस तरह से भारतीय शूरवीरों ने चीनी मक्कारों को मौत के मुंह में भेजा और उल्टे पांव लौटने के मजबूर किया उसके बाद से ही चीन की फर्जी सेना की पोल खोल गई है, उसके बाद लगातार चीन भारतीय सैनिकों के हाथों मुंहकी खा रहा है और उसके कारारी शिकस्त मिल रही है.


इसलिए अब चीन की सीपीसी में जिनपिंग की नाकामियों पर बड़ी बहस शुरू हो गई है. ओक तो जिनपिंग ने कोरोना को सही ढंग से मैनेज नहीं किया. कोरोना का सच पूरी दुनिया से छुपाया और इसीका नतीजा है कि दुनिया का भरोसा चीन से उठ चुका है और चीन दुनिया में अलग थलग पड़ गया है.

इसलिए सीपीसी यानी कि Chinese Communist Party ये फैसला लेकर दुनिया को संदेश देगी कि उसके साथ धोखे की सज़ा वो जिनपिंग को दे चुके हैं, और इसके बाद चीन दुनिया के साथ फिर अपने रिश्तों को सामान्य करेगा. दरअसल कोरोना वायरस की उत्पत्ति और प्रसार में चीन की भूमिका को लेकर जांच शुरू हो चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन में 137 देशों ने एकसाथ मांग की थी कि वुहान वायरस के प्रचार-प्रसार में चीन की भूमिका की जांच की जाए, जिसके बाद एक स्वतंत्र जांच दल बनाया गया है. इस जांच दल की अगुवाई न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क और लाइबेरिया के पूर्व राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ कर रहे हैं. ये जांच दल नवंबर में अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपेगा.

जाने माने रक्षा विशेषज्ञ और ब्रिटिश सेना के पूर्व अधिकारी निकोलस ड्रुमांड कहते हैं, कि ये रिपोर्ट आते ही चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर शी जिनपिंग के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बढ़ जाएगा. क्योंकि कोरोना की वजह से ही चीन के दुनिया के कई देशों के साथ संबंध खराब हुए हैं. निकोलस की मानें तो कोरोना के बारे में भले ही पहली जानकारी दिसंबर 2019 में सामने आई हो, लेकिन चीन में सितंबर-अक्टूबर से ही ये बीमारी फैल रही थी. नवंबर में ही चीन को पता चल गया था ये बहुत गंभीर मामला है. फिर भी उसने तय किया था कि इस वायरस के बारे में दुनिया को पता न चले. कम से कम जनवरी 2022 तक इसे छिपाने का प्लान था. निकोलस की माने तो ‘अगर हमें दो महीने पहले ही कोरोना वायरस के बारे में बता दिया जाता तो संकट इतना गंभीर नहीं होता, लेकिन चीन की मक्कारी की वजह से इसने पूरी दुनिया की इकॉनमी को धराशायी कर दिया. जिसकी सज़ा जिनपिंग को मिलनी तय है.

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