कानपुर शूटआउट : विकास दुबे के संपर्क में थे दो दारोगा और एक सिपाही पर गिरी गाज

कानपुर :  उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए शूटआउट में अहम खुलासा हुआ है। विकास दुबे से पुलिसवालों की मिलीभगत की जहां बात आ रही थी वह सही साबित हुई। विकास दुबे की कॉल डीटेल से पता चला कि घटना के पहले पुलिसवाले लगातार विकास के संपर्क में थे। एसएसपी ने तीनों पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया है। तीनों के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है।

एसएसपी ने बताया कि चौबेपुर थाने में तैनात दरोगा कुंवर पाल, दरोगा कृष्ण कुमार शर्मा और सिपाही राजीव को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया है। एसएसपी ने पुलिसवालों और विकास दुबे की कॉल डीटेल्स निकलवाई थीं। कॉल डीटेल से पता चला कि घटना के पहले से लेकर घटना के दिन तक तीनों पुलिसकर्मी विकास दुबे से लगातार संपर्क में थे।

थाने से आई थी दबिश की सूचना
रविवार को विकास दुबे के करीबी दयाशंकर अग्निहोत्री को पुलिस ने मुठभेड़ में गिरफ्तार किया था। उसने पुलिस को वारदात के दिन की पूरी कहानी बताई थी। उसके बयान में पुलिसवालों की मिलीभगत की बात कही गई थी। उसने बताया था कि पुलिस के दबिश देने की सूचना उसे थाने से ही मिली थी।

पुलिस की आपसी रंजिश का ऐंगल
बिकरू कांड पुलिस की आपसी ‘रंजिश’ का नतीजा भी बताया जा रहा है। चौबेपुर थाने के तत्कालीन एसओ विनय तिवारी और बिल्हौर सर्कल के डीएसपी देवेंद्र मिश्रा के संबंध बहुत तल्ख थे। विनय किसी भी तरह देवेंद्र को सर्कल से हटवाना चाहते थे।

जुआखाने का एंगल
कहानी का दूसरा सिर कानपुर के भौंती क्षेत्र से जुड़ता है। कुछ समय पहले तक शहर का सबसे बड़ा जुआखाना यहां चलता था, लेकिन बाद में इसे चौबेपुर में शुरू कराया गया। पुलिस विभाग में जुए के इस अड्डे को लेकर तनातनी रहती थी। इसके अलावा चौबेपुर एसओ विनय तिवारी की गिनती कुख्यात विकास दूबे के बेहद करीबियों में होती थी। सीनियर अधिकारी देवेंद्र मिश्रा के हस्तक्षेप से एसओ विनय तिवारी खिसियाता था। विकास के सियासी रसूख का इस्तेमाल कर उसने देवेंद्र मिश्रा को हटवाने का प्रयास किया। विनय ने कथित तौर पर विकास के मन में सीओ के खिलाफ खूब जहर भरा। वारदात के दो दिन पहले एसओ समझौते के नाम पर राहुल को लेकर बिकरू गांव पहुंचे। यहां विकास ने राहुल को पीटा। इसका गवाह पूरा गांव है।

पहले सीओ को मारी गोली
विकास को गिरफ्तार करने और एसओ विनय तिवारी की लापरवाहियों को सामने लाने के लिए गुरुवार रात ऑपरेशन के लिए सीओ ने एक टीम तैयार की। इसके लिए जिले के सीनियर अधिकारियों से अनुमति ली गई। हालांकि जोश के बीच बड़ी रणनीतिक चूक हुई। सीओ पुलिस टीम का नेतृत्व करते हुए सबसे आगे थे। विकास ने अपनी बंदूक से सबसे पहले सीओ को निशाना बनाकर गोली मारी। रविवार सुबह विकास के गुर्गे दयाशंकर ने भी कबूला कि विकास ने फायरिंग की थी।

एडीजी, कानपुर (जोन) राजनारायण सिंह ने बताया, ‘वारदात के पहले एसओ गांव पहुंचे थे, लेकिन किसी सीनियर अधिकारी को इसकी सूचना नहीं दी थी। छापे की सूचना भी लीक होने की बात आई है। इसकी जांच जारी है।’

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