महाराष्ट्र में सियासी संग्राम : ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर अड़ी शिवसेना, भाजपा का पलटवार

मुंबई । शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा कि सत्ता का समान बंटवारा होना चाहिए। यही एक पंक्ति का प्रस्ताव है और इस पर भाजपा को विचार करना है। राऊत ने कहा कि उनकी ओर से किसी भी तरह की चर्चा या प्रस्ताव की कोई गुंजाइश ही नहीं रह गई है। उधर, भाजपा की मंगलवार को हुई कोर कमेटी की बैठक में किसी भी कीमत पर मुख्यमंत्री पद का बंटवारा न किए जाने का निर्णय किया गया है। इस प्रकार मतगणना के आज 12वें दिन भी सूबे में सत्ता गठन का रास्ता साफ नहीं हो सका है। राज्य में सत्ता गठन पर अनिश्चितता के बादल बने हुए हैं।

वही महाराष्ट्र में जारी गतिरोध के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने बुधवार की सुबह ट्वीट किया, ”जो लोग कुछ भी नहीं करते हैं, वो कमाल करते हैं…” बता दें कि एक दिन पहले ही संजय राउत ने कहा था कि, ‘मु्ख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा…महाराष्ट्र की राजनीति बदल रही है….आप खुद देखेंगे।’ राउत ने कहा, ‘जिसे आप हंगाम कह रहे हैं वो हंगामा नहीं है बल्कि न्याय और अधिकारों की लड़ाई है. जीत हमारी होगी।’  शिवसेना नेता संजय राउत का दावा, मुख्यमंत्री पद पर हुए समझाते के बाद ही चुनाव के लिए गठबंधन हुआ था.

मंगलवार को भाजपा कोर कमेटी की बैठक वर्षा बंगले पर आयोजित की गई थी। इस बैठक के बाद महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने पत्रकारों को बताया कि राज्य में मुख्यमंत्री भाजपा का ही होगा। शिवसेना को सरकार गठन करने के लिए प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इसलिए शिवसेना को सत्ता गठन के लिए अपना प्रस्ताव भाजपा को भेजना चाहिए। इस पर विचार कर राज्य में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार गठन किया जाएगा। अंदरूनी जानकारी के अनुसार बैठक में मुख्यमंत्री पद के बंटवारे पर किसी भी तरह का समझौता न किए जाने का निर्णय किया गया है। बताया जा रहा है कि बैठक में यह भी तय किया गया है कि अगर शिवसेना सरकार बनाने के लिए साथ नहीं आती है तो भाजपा विपक्ष की भूमिका निभा सकती है।

इसके बाद शिवसेना प्रवक्ता संजय राऊत ने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय भाजपा व शिवसेना में जो तय हुआ है, उसी पर चर्चा की जानी है। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मतगणना के दिन ही साफ कर दिया था कि भाजपा व शिवसेना के बीच सत्ता की समान भागीदारी का फार्मूला तय हुआ है, उसी के अनुसार ही अगली सरकार का गठन होगा। इसी एक पंक्ति के प्रस्ताव पर ही तो चर्चा करना है। इस पर भाजपा आज 12 दिन हो गए, चर्चा करने को तैयार नहीं है।

शिवसेना के पास अन्य कोई भी प्रस्ताव नहीं है। अगर इस प्रस्ताव पर चर्चा नहीं करनी है तो शिवसेना की ओर से चर्चा के दरवाजे बंद हो गए हैं, ऐसा समझा जाना चाहिए। संजय राऊत के इस व्यक्तव्य के बाद भाजपा व शिवसेना की अगली भूमिका अभी तक स्पष्ट नहीं हो सकी है।

जानकारी के अनुसार राज्य में सत्ता गठन की तैयारी शिवसेना की ओर से जारी है। भाजपा की ओर से नकारात्मक उत्तर मिलने के बाद शिवसेना सूबे में राकांपा व कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार गठन का प्रयास कर सकती है। बताया जा रहा है कि शिवसेना किसी भी कीमत पर अपना मुख्यमंत्री बनाएगी और राकांपा व कांग्रेस को दो उपमुख्यमंत्री पद दिए जा सकते हैं लेकिन यह प्रक्रिया बुधवार से शुरु होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

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