लाठी, डंडा और रॉड… जाने कैसे अपने सैनिकों को ‘हैवान’ बना रहा ड्रैगन

पेइचिंग :  15 जून को गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से ही भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है। शांति की बातचीत के बावजूद चीन सीमा पर अपने फौज का जमावड़ा लगातार बढ़ाता जा रहा है। चूंकि 1996 के समझौते के तहत दोनों देश एलएसी पर हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकते इसलिए चीन अपने सैनिकों को हैवान बनाने के लिए अब तिब्बती लड़ाकों को भर्ती कर रहा है।

परंपरागत युद्ध में माहिर होते हैं तिब्बती लड़ाके
ये लड़ाके लाठी-भाले, डंडा और रॉड के जरिए युद्ध करने में माहिर होते हैं। ऐसे ही सैनिकों के भरोसे चीन अब भारत से युद्ध करने की तैयारी कर रहा है। पीपुल्स डेली की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत के पठार इलाके में रहने वाले ये लड़ाके चीनी सेना को नुकीली चीज या लाठी, डंडों से लड़ने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। छद्म युद्ध में माहिर चीन अब इन भाड़े के लड़ाकों के जरिए सीमा विवाद को बढ़ाने के फिराक में है।

सीमा पर हथियारों के बिना लड़ने का समझौता
भारत और चीन ने दोनों देशों की बीच विश्वास बढ़ाने के लिएच 1996 और 2005 में एक समझौता किया था। जिसके मुताबिक दोनों पक्ष गश्त के दौरान आमना-सामना होने पर एक दूसरे पर गोली नहीं चला सकते हैं। साथ ही दोनों देश एलएसी के दो किमी के दायरे में गश्त के दौरान अपने रायफल के बैरल को भी जमीन की ओर झुकी रखते हैं। इसके अलावा दोनों देशों ने बिना सूचना के एलएसी के 10 किलोमीटर के भीतर सैन्य विमानों के उड़ान को भी प्रतिबंधित किया था।

समझौता कितना प्रभावी
इस समझौते के कारण ही 1975 से एलएसी पर शांति बनी रही, लेकिन जून 2020 में चीन ने इस समझौते को तोड़ दिया जिसके बाद भारत ने भी प्रभावी कदम उठाया है। भारत ने अपने कमांडर्स को स्थिति के अनुसार, हथियारों के इस्तेमाल करने की छूट दे दी है। वहीं, चीन ने भी सीमा पर भारी हथियारों, तोप, टैंक को तैनात कर दिया है।

भारत ने भी बदला कॉम्बेट नियम
भारत ने चीन के साथ लगी करीब 3,500 किमी की सीमा के पास अग्रिम मोर्चों पर तैनात थल सेना और वायु सेना को अलर्ट कर दिया है। वहीं, नौसेना को भी हिंद महासागर क्षेत्र में लगातार गश्त कर रही है। सूत्रों के मुताबिक अब से चीन से निपटने के नियम बिल्कुल अलग होंगे। इसी के तहत, अग्रिम मोर्चों पर तैनात सैनिकों को खुली छूट दे दी गई है कि चीनी सैनिक के दुस्साहस का तुरंत मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।

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