धर्मसंकट में है जमातियों के हिमायती ये सियासी दिग्गज

-जमातियों की कारगुजारी पर कुछ भी न बोलना बना राजनीतिक मजबूरी
-अखिलेश की राय क ोई भी कार्रवाई करने से पहले विश्वास में लिया जाए
-कांग्रेस नेतृत्च ने कुछ न बोलकर उपद्रवियों जमातियों का बढ़ाया उत्साह
-ममता और लालू भी किसी से पीछे नहीं लगे है हौसला अफजाई में
-शरद पवार के दबाव के चलते उद्वव भी दो कदम आगे चार कदम पीछे
-वोटबेंक की सियासत में बाकी दलों से पीछे कहां रहने वाले केजरीवाल

-योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ। कोरोना जैसी महामारी फैलने को लेकर इस समय जहां एक ओर वर्ग विशेष को लेकर लोगों में खासा गुस्सा है। वहीं इस महामारी को रोकनें की दिशा में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर जिस तरह जमातियों और एक वर्ग विशेष द्वारा पलीता लगाया जा रहा है उसे देखते हुए लगता है कि इतनी जल्दी न तो इस महामारी से लोगों को निजात मिलने वाली है न हीं लांकडाउन को लेकर होने वाली दुश्वारियों कम होने वाली है।

जिस तरह डाक्टरों,पुलिसकर्मियों पर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में पथराव किया जा रहा है उससे साफ है कि शासन-प्रशासन की मंशा के विपरीत कुछ शरारती तत्व अपनी कारगुजारियों से आम लोगों की दुश्वारियों में इजाफा करने में लगे है। दिलचस्प बात यह है कि जमातियों द्वारा महामारी फैलाने और इसी वर्ग के लोगों द्वारा पथराव करने जैसी घटनाओं को लेकर कोई भी विपक्षी दल इनके कृत्यों पर कोई भी टिप्पणी करने सब बच रहा है। अभी तक जमातियों और पुलिसकर्मियों और डाक्टरों पर पथराव करनेवालों पर किसी दल के नेता गलत नहीं ठहराया है। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों और उसके नेताओं की चुप्पी हैरान करने वाली है। वोटबैंक की राजनीति के चलते हर दल इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से बच रहा है।

अगर यह कहा जाए कि इस मुद्दे पर उसके सामने बड़ा धर्मसंकट है तो बेमानी न होगा। उत्तर प्रदेश,पश्चिम बंगाल और बिहार के अलावा अन्य हिंदी भाषी राज्यों में जहां भी मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है वहां पर जमातियों ने कोरोना जैसी महामारी को विस्तार रूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। जहां कहीं भी भाजपा की सरकारे है वहां पर जमातियों के साथ पत्थरबाजों का भी मुकम्मल इलाज किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश के बाकी जिलों की कौन कहे राजधानी में २२ से ज्यादा हाटस्पाट क्षेत्र घोषित किए गए है। दिलचस्प बात तो यह है कि अभी तक इस एपिश्योड में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व राष्टï्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जो हमेशा देश और प्रदेशों में होने वालें विभिन्न राजनीतिक घटनाक्रमों पर अपनी राय देते रहते है लेकिन इस मुद्दे पर उनके भी बोल नहीं फूट रहे है। उत्तर प्रदेश में  सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव हो या राष्टï्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव दोनो ने ही जमातियों द्वारा की जा रही हरकतों को पर कुछ नहीं बोले बल्कि यह कहकर उनका हौसला बढ़ाया उनपर कार्रवाई करने से पहले उन्हे विश्वास में लेना चाहिए था। एक वर्ग विशेष के तुष्टïीकरण मेंं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का कोई शानी नहीं है। याद रहे अखिलेश ने ही अपने कार्यकाल में न सिर्फ आतंकियो ंसे मुकदमें वापस लेने की कार्रवाई की बल्कि उलटे उनपुलिस अधिकारियों पर ही कार्रवाई करवा दी जिन्होंने आतंकियों के खिलाफ मुकदमा कायम करने से लेकर उन्हे सजा तब दिलाई थी।


इसी तरह पड़ोसी राज्य बिहार में भी राष्टï्रीय जनतादल और उसके मुखिया लालू यादव का भी जमातियों द्वारा फैलाई जा रही इस महामारी को लेकर कोई बयान नहीं आया है। एक वर्ग विशेष के तुष्टïीकरण में उनका भी कोई शानी नहीं है। वे कोई मौको पर इन लोगों के समर्थन में ऐसा बयान दे चुके है। जो सुर्खिया बने।

अब उसी ढर्रे पर उनके दोनों पुत्र भी चल रहे है। जेडीयू के भाजपा से गठबंधन होने के बाद इस वर्ग को साथ रखना राष्टï्रीय जनता दल की और मजबूरी हो गयी है। बिहार में इसी साल विधानसभा के चुनाव भी होने है इसीलिए जमातियों या पत्थरबाजों पर कुछ भी बोलने से राजद या उसका कोई नेता बोलने से कतरा रहा है। इसी तरह पश्चिमबंगाल के मुख्यमंत्री और तूणमूलकांग्रेस की प्रमुख ममताबनर्जी मुस्लिम तुष्टïीकरण में सारे दलों और उसके नेताओं से सबसे आगे चल रही है। अपने प्रदेश में बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाने और हिन्दुओं पर एक वर्ग विशेष के लोगों द्वारा हमला करने की खुली छूट देने को लेकर वे सुर्खियों में रही है। पश्चिम बंगाल में जिस तरह सोशलडिस्टरेंस की धज्जियां उडा़ई जा रही है। उसकी वजह यह है कि वहां पुलिस को ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने की खुली छूट नहीं है। कोरोनों को लेकर सबसे ज्यादा मौते महाराष्टï्र में हो रही है। कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चला रहे उद्वव ठाकरे चाहकर भी इस महामारी को फैलाने वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पा रहे है। उसकी वजह उनके ऊपर कांग्रेस से ज्यादा राष्टï्रवादी कांग्रेस के मुखिया शरद पवार का खासा दबाव है। वे भी इस मुद्दे पर जमातियों द्वारा फैलाई जा रही इस महामारी पर उन लोगों के बारे में कुछ भी बोलने से कतरा रहे है।

इसबार में वहां सबसे ज्यादा मनसे के नेता राजठाकरें आक्रामक रूख अख्तियार किए हुए है। अब बात दिल्ली के सीएम और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल वर्ग विशेष के तुष्टïीकरण में बाकी दलों को पछाडऩे की होड़ में लगे केजरीवाल की दिल्ली से ही इस महामारी को फैलाने के लिए तब्लीगी मरकज से देशभर में जमाती निकले। जब बाजी हांथ से निकल गयी और दिल्ली पुलिस ने इनेसेटिव लिया तो वे भी न चाहकर भी इन सबके खिलाफ कार्रवाई करने की बात करने लगे। ऐसे तत्वों पर उनकी नरमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिल्ली के शाहीनबाग में महीनों सीएए के विरोध में धरनाप्रदर्शन चलता रहा। जिसके चलते लोगों को खासी दिक्कते हुयी लेकिन चुनाव के मद्देनज़र रखते हुए उन्होंने इन प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कुछ भी बोलने या कार्रवाई करने से परहेज किया। 

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