UP: कैबिनेट मंत्री कमलारानी वरुण का निधन, 2 सप्ताह पहले पॉजिटिव आई थी कोरोना रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री कमला रानी की रविवार सुबह 9:30 बजे को कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई। वे 58 साल की थीं। बीते 18 जुलाई को कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। उनका बीते 15 दिनों से लखनऊ स्थित पीजीआई के एपेक्स ट्रामा सेंटर में इलाज चल रहा था। वे यूपी सरकार में प्राविधिक शिक्षामंत्री थीं। कमला रानी के शव का कानपुर में कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी मौत पर अपनी संवेदनाएं प्रकट की है। सीएम योगी ने आज अपने सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिया है।

डायबिटीज और हाइपरटेंशन की समस्या थी

मंत्री कमल रानी को पहले से ही डायबिटीज, हाइपरटेंशन और थायराइड से जुड़ी समस्या थी। उनका ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो गया था। हालांकि शुरुआत के 10 दिनों में उनकी तबीयत स्थिर रही, लेकिन पिछले 3 दिनों से अचानक स्थिति खराब होने लगी। शनिवार की शाम करीब 6:00 बजे तबीयत ज्यादा बिगड़ने के बाद उन्हें बड़े वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। मंत्री की बेटी भी कोरोना पॉजिटिव थी। उसे शनिवार को ही ठीक होने के बाद डिस्चार्ज किया गया था।

पार्षद से मंत्री तक का सफर किया

कमलारानी वरुण का जन्म लखनऊ में तीन मई, 1958 में हुआ था। उनकी शादी एलआईसी में प्रशासनिक अधिकारी किशन लाल वरुण से हुई थी। वे संघ से जुड़े थे। साल 1989 में भाजपा ने उन्हें कानपुर के द्वारिकापुरी वार्ड से कानपुर पार्षद का टिकट दिया था। चुनाव जीत कर नगर निगम पहुंची कमलरानी 1995 में दोबारा उसी वार्ड से पार्षद निर्वाचित हुईं थी। भाजपा ने 1996 में उन्हें उस घाटमपुर (सुरक्षित) संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। अप्रत्याशित जीत हासिल कर लोकसभा पहुंची कमलरानी ने 1998 में भी उसी सीट से दोबारा जीत दर्ज की थी। वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में उन्हें सिर्फ 585 मतों के अंतराल से बसपा प्रत्याशी प्यारेलाल संखवार के हाथों पराजित होना पड़ा था। सांसद रहते कमलरानी ने लेबर एंड वेलफेयर, उद्योग, महिला सशक्तिकरण, राजभाषा व पर्यटन मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समितियों में रहकर काम किया।

2015 में हुई थी पति की मौत
वर्ष 2012 में पार्टी ने उन्हें रसूलाबाद (कानपुर देहात) से टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा लेकिन वह जीत नहीं सकी थी। 2015 में पति की मृत्यु के बाद 2017 में वह घाटमपुर सीट से भाजपा की पहली विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंची थीं। पार्टी की निष्ठावान और अच्छे बुरे वक्त में साथ रहीं कमलरानी को योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट मंत्री बनाया गया था।

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