WhatsApp New Policy: प्राइवेसी को लेकर यूजर्स परेशान, अब इसे गहराई से समझिए

फेसबुक के CEO मार्क जुकरबर्ग की पैसों की भूख अब डेटा चोरी के नए आयामों की ओर बढ़ चली है जिसे प्राइवेसी पॉलिसी का नाम दे दिया जा रहा है। फेसबुक के स्वामित्व वाली इंस्टेंट मैसेजिंग एप WhatsApp के साथ भी कुछ यही हुआ है, जो अब प्राइवेसी पॉलिसी के नाम पर यूजर्स का डेटा हासिल करेगी और लोगों की निजता की धज्जियां उड़ा देगी। दिलचस्प बात ये भी है कि यूजर्स अगर इसे लागू होने से रोकेंगे तो उनका WhatsApp अकाउंट ही बंद हो जाएगा।WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी असल में प्राइवेसी के हनन की पराकाष्ठा को पार करने वाली है। इसके तहत यूजर्स का फोन नंबर, बैंकिंग ट्रांजैक्शन डेटा, सर्विस-रिलेटेड इन्‍फॉर्मेशन, दूसरों से सभी तरह के तरह इंटरेक्टशन की डिटेल्स, मोबाइल डिवाइस इन्‍फॉर्मेशन, आईपी एड्रेस, WhatsApp सर्विस और डेटा की प्रोसेसिंग तक की जानकारी WhatsApp अपने पास रख लेगा। दिलचस्प है कि ये सारा डेटा Facebook समेत Instagram के साथ भी साझा किया जाएगा। इसका मतलब अगर आप इन तीन में किसी एक भी साइट पर होंगे तो सारा डेटा खुद-ब-खुद Facebook के पास पहुंच जाएगा। 

WhatsApp ने एक तानाशाही वाला तरीका चुना है। इसके तहत जो नई पॉलिसी पेश की है, उसे यूजर्स को 8 फरवरी 2021 तक एक्सेप्ट करना होगा। भारतीय यूजर्स के पास नई पॉलिसी का पॉपअप आएगा, जिसे उन्हें एक्सेप्ट करना होगा। यह पॉलिसी 8 फरवरी 2021 से लागू होंगी। अगर इस तारीख तक प्राइवेसी पॉलिसी को सहमति नहीं दी तो यूजर्स का WhatsApp अकाउंट बंद कर दिया जाएगा, जो कि काफी हैरानी वाली बात है।फेसबुक ने जब 2009 में सर्विसेज देनी शुरू की थी तब मार्क जुकरबर्ग की तरफ ने ये वादा किया था किसी भी सर्विस का कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा और न ही किसी भी तरह की डेटा चोरी होगी, लेकिन धीरे-धीरे डेटा चोरी के आधार पर पैसों के लालच में फेसबुक में विज्ञापनों की भरमार आ गई।आज स्थिति ये है कि फेसबुक और WhatsApp सब एक व्यापर बन गए है जिसमें निजता नाम का कोई शब्द नहीं है।

फेसबुक ने 1 लाख 39 हजार करोड़ में WhatsApp के निर्माता जैन कौम और ब्रायन एकटॉन से WhatsApp खरीदा था और वो वहीं काम भी कर रहे थे, लेकिन जैसे-जैसे WhatsApp का इस्तेमाल व्यापारिक गतिविधियों के लिए होने लगा और लोगों की निजता का हनन शुरू हुआ तो WhatsApp के फाउंडर ने कंपनी से इस्तीफा दे दिया। आज स्थिति ये है कि यदि कोई व्यक्ति WhatsApp का इस्तेमाल कर रहा है तो उसका पूरा डेटा फेसबुक के पास जा चुका है और रही बची कसर इस नई प्राइवेसी पॉलिसी के बाद पूरी हो जाएगी।

WhatsApp की इस नई पॉलिसी की हकीकत सामने आने के बाद इसका जमकर विरोध किया जा रहा है। स्थिति ये है कि ट्विटर पर लोग खुलकर WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं और WhatsApp से इस निर्णय को वापस लेने की बात कर रहे हैं।

अब लोग इस WhatsApp से ऊब कर दूसरे मैसेजिंग एप्लिकेशंस की ओर रुख करने की बात करने लगे है, क्योंकि लोग अपनी निजता से खिलवाड़ करने के मूड में नहीं हैं। WhatsApp के गोपनीयता मामले पर यूजर ये तक कह रहे हैं कि ‘हमने अबतक सांप को पाल रखा था’।

लोगों द्वारा बायकॉट करने में एक स्थिति ऐसी भी आ जाएगी कि अलोकप्रियता के कारण एप्लिकेशन खुद ब खुद ही कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा। दुनिया के सबसे लोकप्रिय एप्लिकेशन के इस तरह बर्बाद होने की वजह केवल जुकरबर्ग की व्यापारिक लालसा ही बनेगी।

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दूसरी ओर WhatsApp की नई प्राइवेसी पॉलिसी किसी भी देश के नागरिकों की निजता का सीधा-सीधा उल्लंघन है। ऐसे में भारत सरकार को इस पूरे मसले पर दखल देने की आवश्यकता है क्योंकि ये भविष्य में सुरक्षा मानकों के लिए भी खतरा बन सकती है, लेकिन जुकरबर्ग को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा क्योंकि उनका मुद्दा व्यापार है।

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