इंजीनियर..फिर फैशन डिजाइनर और आख़िरकार लेडी दबंग..इस जांबाज महिला से खौफ खाते हैं क्रिमिनल्स

रात के दो बजे, अपने सहयोगी के साथ एक लेडी पुलिस ऑफिसर सीक्रेट ऑपरेशन के तहत बुर्का पहनकर जुए के अड्डे पर छापेमारी (Raid) करती है, जहाँ से 2 सरगना समेत 28 लोगों को गिरफ्तार कर लिया जाता है। आपको सुनने में भले ही यह कोई फ़िल्मी कहानी लग रही हो, मगर फ़िल्मी कहानी न होकर यह हकीकत है। वो जांबाज़ लेडी पुलिस ऑफिसर अहमदाबाद की असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस मंजीता वंजारा (Manjita vanzara)  है। मंजीता के नाम का इतना खौफ है कि सिर्फ मंजीता का नाम सुनकर ही इलाके के बड़े-बड़े अपराधियों का दम निकल जाता है।

मंजीता के आईपीएस बनने का सफर बड़ा ही दिलचस्प है। मंजीता के परिवार में हर कोई सिविल सर्विस में था, घर में आईएएस और आईपीएस लोगों की भरमार होने के बावजूद उसने कभी भी अपने दिमाग में अधिकारी बनने का कोई सपना नहीं पाला। यही कारण था कि स्कूली शिक्षा पूर्ण होने के बाद उन्होंने अपने मन मुताबिक इंजिनियरिंग की पढ़ाई करने का फैसला लिया। निरमा यूनिवर्सिटी, गुजरात से बीटेक करने के बावजूद इस फील्ड में मंजीता (Manjita) ने अपना करियर नहीं बनाया क्योंकि अब उनका मन फैशन डिजाइनिंग (Fashion designing ) की ओर आकर्षित हो रहा था इसलिए जैसे ही उनकी ग्रैजुएशन खत्म हुई उन्होंने देश के प्रतिष्ठित फैशन डिजाइनिंग संस्थान निफ्ट में अप्लाई कर दिया।

Manjita vanzara

निफ्ट (NIFT) से शिक्षा प्राप्त करने के बाद मंजीता (Manjita vanzara) को एक बड़े ब्रैंड के साथ बतौर फैशन डिजाइनर की नौकरी मिल गई, लेकिन इसी दौरान उन्हें महसूस हुआ कि अभी थोडा और पढना चाहिए और जिसके चलते उन्होंने एजुकेशन में मास्टर कंप्लीट किया। साल दर साल मंजीता को चुनौतियों व संघर्ष के साथ साथ नए नए अनुभव भी मिले । समृद्ध परिवार में जन्म लेने के बावजूद मंजीता के परिवार वालों ने उन्हें कभी जरूरत से ज्यादा सुविधाएं नहीं दीं, जैसे कभी कार चलाने को नहीं दी गई, बल्कि हमेशा सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने को कहा गया। उनके परिवार ने उनके साथ ऐसा इसलिए किया ताकि उन्हें एक आम आदमी के जिंदगी में आने वाली परेशानियों से रुबरु किया जा सका ।

पोस्ट ग्रैजुएशन के दौरान उन्हें ख्याल आया कि एक नागरिक के तौर पर हम अपने समाज और देश को क्या दे रहे हैं ? और उन्होंने समाज की सेवा करने के लिए सिविल सर्विस में जाना बेहतर समझा । उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन के वक्त ही सिविल सेवा की तैयारियां शुरू कर दीं। सिविल सेवा को देश की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है, इसीलिए शायद इस परीक्षा की तैयारी करने वाले प्रतिभागियों को काफी वक्त तैयारी में देना पड़ता है। 2011 में अपने कठिन परिश्रम की बदौलत मंजीता ने पहले ही प्रयास में यह परीक्षा पास कर ली और 2013 में अहमदाबाद की प्रथम महिला एसीपी बनकर समाज सेवा में व्यस्त हो गयी ।

Manjita vanzara गरीब बच्चों को दवाई पिलाते हुए

सिर्फ पढ़ाई में ही अव्वल नही, बल्कि मंजीता भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी नृत्य की पारंगत डांसर भी रही हैं। मंजीता कहती हैं कि, “मेरे लिए देश और उसमें रहने वाले नागरिकों की सेवा करना पहला कर्तव्य लगता है। हमें उनकी समस्याएं सुननी होती हैं और जितनी हो सके उसका समाधान भी निकालना होता है। मेरे कई दोस्त ऐसे हैं जो लाखों रुपये हर महीने कमाते हैं, लेकिन मेरे लिए किसी गरीब की मदद करना, किसी बच्चे को शिक्षा उपलब्ध कराना या मुश्किल में फंसे किसी इंसान के चेहरे पर मुस्कुराहट लाना कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है |”

Manjita vanzara एक समारोह के दौरान

मंजीता अपनी बात पूरी करते हुए कहती हैं कि, “मेरे लिए सिविल सेवा में आने का मकसद पैसे कमाना कभी नहीं रहा है। मैं हमेशा से लोगों की मदद करना चाहती थी और इस काम में मुझे खुशी मिलती है |” गरीब महिलाओं के जीविकोपार्जन के लिए  मंजीता ने अपने पुलिस विभाग की ओर से ‘सुरक्षासहाय’ नाम से एक योजना भी चलायी है जिसमें एक एनजीओ की सहायता से चारानगर की महिलाओं को रोजगार दिया जाता है।  दरअसल, अवैध शराब बनाने का धंधा इस इलाके में काफी हद तक फ़ैल गया है, जिसके चलते आये दिन शराब पीकर हुयी मौत के मामले अधिक देखने को मिलते हैं। ऐसे में मंजीता उन विधवा महिलाओं को शराब बनाने के बजाय कोई प्रतिष्ठित काम दिलवा कर उनकी मदद करती हैं।

Manjita vanzara

मंजीता के पिता के.जी. वंजारा भी आईएएस अफसर रहे हैं, तो उनकी भाभी सुधांबिका ने भी 2014 में यूपीएससी का सिविल सर्विस एग्जाम पास किया था। मंजीता के अंकल डी.जी. वंजारा गुजरात के बहुचर्चित आईपीएस अफसरों में गिने जाते हैं। उनकी मां एक ऐसे गांव से थी जहां पर शिक्षा का कोई साधन उपलब्ध नहीं था, फिर भी उन्होंने अपनी बेटी और बहू को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया । मंजीता कहती हैं कि इंजीनियर से फैशन डिजाइनर और फिर एसीपी बनने का सफर काफी शानदार रहा और वह कहती हैं कि अभी काफी कुछ करना बाकी है।

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