गिलगित-बाल्टिस्तान के मुद्दे पर इमरान के खिलाफ पकिस्तान की आवाम, जानिए पूरा मामला

पाकिस्तान की नशेड़ी सरकार कितना टूट चुकी है. इस बात का अंदाज़ा तो उस दिन ही हो गया था जब संसद में पूर्व स्पीकर अयाज सादिक ने कहा था कि बाजवा के पैर कांप रहे थे, और माथे पर पसीना था. पाकिस्तान को अब अंदर से टूटने का ख़तरा सता रहा है. उसके अधिकारियों ने भी ये बात मान ली है. और एक इमरान हैं जो कुछ भी मानने को तैयार नहीं. उन्हें अभी भी यही लगता है कि वो चीन की मदद से भारत से टकराएंगे. उस चीन से जो अब भारत के आगे झोली फैलाए खड़ा है.  पाकिस्तान में पहले ही खाने की कमी थी और अब चीन में भी हो गई. भुखमरी और आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान अब अंदर से बिखर रहा है.

पहले तो पाकिस्तान की वायुसेना के रिटायर्ड अधिकारी एयर वाइस मार्शल शहजाद चौधरी ने एक लेख लिखा है, जिसका नाम था ‘डोभाल्स  डर्टी वॉर’, इस लेख में उनकी चिंता भी नज़र आई थी. उन्होंने लिखा था कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल पश्तून ट्राइबल इलाकों और बलूचिस्तान में विद्रोही गुटों का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि पाकिस्तान की सेना कश्मीर मुद्दे से दूर रहे और वे आंतरिक मुद्दों में ही उलझी रहे. मतलब सीधा था अगर पाकिस्तान ने कश्मीर को चोट पहुंचाया तो नुकसान बलूचिस्तान में होगा.

इस लेख में उन्होंने जितने आरोप भारत के जेम्स बांड अजित डोभाल पर लगाए, वो कितने सही थे इसका तो पता नहीं पर उन्होंने अपने डर को सबके सामने उजागर कर दिया. और पाकिस्तान की असलियत को भी बता दिया. अभी इस लेख की चर्चा दुनिया में हो ही रही थी. कि पाकिस्तान के एक और अधिकारी के जुबां पर सच आ गया. उन्होंने साफ़ कहा है कि भारत से ख़तरा नहीं है. बल्कि अंदर से है. और इतिहास गवाह जिस देश के अंदर फुट पड़ जाए वो ज्यादा दिनों तक अस्तित्व में नहीं रहता.\

दरअसल नशेड़ी इमरान ने बड़ी गलती कर दी. अब कौन सा नशा फूंक कर उन्होंने ये फैसला लिया, पता नहीं. पर  गिलगित-बाल्टिस्तान को अंतरिम प्रांत का दर्जा देने के कदम का उनके देश में ही विरोध हो रहा है.  हाल ही में, इमरान खान की सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बना दिया. इसके बाद अपनी सेना के दम पर वाहां  चुनाव भी करवा दिए और सूबे में अब उनकी ही पार्टी का नेता मुख्यमंत्री है. इस बात को लेकर भारत ने विरोध किया था और कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पूरा पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान को उसकी स्थिति में बदलाव करने का कोई अधिकार नहीं है.

मगर इन सब की फ़िक्र किए बिना इमरान ने फैसला ले लिया और अब पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के रिटायर्ड पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल असद दुर्रानी ने जो बात कही वो काफी मायने रखती है दरअसल बीबीसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान को भारत से ख़तरा नहीं है बल्कि उसे अपने भीतर की समस्याओं से निपटने की ज़रूरत है.

उन्होंने से पूछा गया की भारत से पाकिस्तान को कितना ख़तरा है इस सवाल पर असद दुर्रानी ने कहा, ”हिन्दुस्तान हमेशा पाकिस्तान के लिए ख़तरा के तौर पर नंबर वन नहीं रहा. आजकल हमें अंदर से बहुत मसला है. यहां के लोग परेशान हैं. अफ़ग़ानिस्तान पर हमारी नीति के वजह से लोग बहुत अलग-थलग हुए हैं.”

भारत को लेकर जो बात उन्होंने कही वो तो अलग है पर सऊदी को लेकर उन्होंने जो कहा वो ज्यादा चौंकाने वाला है दुर्रानी ने कहा, ”मेरा मानना है कि इंडिया यानी ईस्टर्न फ़्रंट से अभी कोई ख़तरा नहीं है. अभी हमें चुपचाप बैठना है. अगर वो बालाकोट की तरह कुछ करेंगे तो उसके लिए तैयारी कर लें. हिन्दुस्तान अपनी ही चीज़ों में इस क़दर फँसा हुआ है कि उन्हें पाकिस्तान की फ़िक्र नहीं है. अगर हमें बाहरी ख़तरे को ही देखना है तो एक-दो चुनौतियां और हैं. ईरान, सऊदी अरब और तुर्की नई चुनौती हैं.”

बिलकुल सही कहा दुर्रानी ने हम तो पाकिस्तान को तो हम वैसे भी मज़ाक में ही लेते हैं. ले भी क्यों ना आपके वज़ीरे आलम सूखे नशे करके जो बैठे हैं. उन्हें किसी की सुध ही नहीं है. जिस देश को पूरी दुनिया ने दरकिनार कर दिया हो उसके बारे में सोच कर भी क्या करना, बस अपनी हरकतों से बाज आ जाए. ये जो टमाटर के बदले परमाणु बम फेंकने की धमकी देते रहते हैं उन्हें जाकर समझाए.

बीबीसी ऊर्दू को दिए इंटरव्यू में दुर्रानी से सवाल किया गया कि पांच अगस्त को भारत ने कश्मीर का विशेष दर्जा छीना तो उससे कई समस्याएं खड़ी हो गईं लेकिन क्या पाकिस्तान का गिलगित बाल्टिस्तान को सूबा बनाने का फैसला सही है? दुर्रानी ने कहा, आप बिल्कुल सही बोल रही हैं. मैं जब कश्मीर को हैंडल कर रहा था तो मेरे एक करीबी दोस्त युसूफ ने कहा था कि अगर एक बार हमने ऐसी गलती की तो हमारे कश्मीर एजेंडे को बहुत गहरा धक्का लगेगा.दुर्रानी ने कहा, कई चीजों का स्टेटस नहीं बदला जाना चाहिए क्योंकि जब भी सियासी नंबर बढ़ाने के लिए ऐसा करेंगे तो हमें नुकसान होगा. बहावलपुर और स्वात बड़े अच्छे स्टेट थे. इन्हें मुख्यधारा में शामिल कर दिया और वही मुख्यधारा भ्रष्ट और नाकाम है. बलूचिस्तान के साथ भी हमने ऐसा ही किया. इसके तीन प्रांत बेहतर तरीके से संभल जाते थे लेकिन हमने उसे एक कर दिया और अब संभाल नहीं पा रहे हैं.

बता दिन असद दुर्रानी 1988 में पाकिस्तान के मिलिटरी इंटेलिजेंस डायरेक्टर जनरल थे और 1990 में इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस यानी आईएसआई के प्रमुख बने. इसके अलावा दुर्रानी जर्मनी और सऊदी अरब में पाकिस्तान के राजदूत भी रहे. यानी उन्होंने पाकिस्तान की चल रही राजनीति और सेना की स्थिति सही से मालुम है. उन्होंने भी कबूल किया है कि पाकिस्तान की माली हालत ठीक नहीं है.

लेकिन इन सबके बावजूद पाकिस्तान चीन के सहारे भारत को आँख दिखाता, अरे इमरान अब तो कुछ सीख लोग कहीं ऐसा न हो की इतिहास बनाने के चक्कर में खुद ही इतिहास बन जाओ.  क्यूंकि तुम्हारे संसद में नेता ये कहते हैं की बाजवा के पैर कांप रहे थे. और हमारे यहाँ के गृह मंत्री अमित शाह छाती ठोक के कहते हैं की pok के लिए जान भी गंवानी पड़ी तो दे देंगे.

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